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शालेय शिक्षक संघ की प्रदेश स्तरीय संगठनात्मक बैठक संपन्न:मंत्रालय घेराव की तैयारियो को दिया अंतिम रूप

⏺️ 28 को राजधानी मे जुटेगा जनसैलाब छ,ग,शालेय शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शिवेंद्र चंद्रवंशी ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग में प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण तथा उसके विरोध में घोषित मंत्रालय घेराव से स्पष्ट है कि राज्य में समस्त शिक्षक संगठनों तथा विभाग के बीच संघर्ष ठन गई है। शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा है कि राज्य का कोई भी शिक्षक तथा शिक्षक संगठन एकल शिक्षकीय व शिक्षक विहीन शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराने की कार्यवाही का विरोध नहीं कर रहा है। उनके विरोध का प्रमुख बिंदु 2008 के विभागीय सेट अप की तुलना में प्राथमिक तथा पूर्व माध्यमिक शालाओं में एक एक शिक्षक कम करने की कवायद को लेकर है। वीरेंद्र दुबे ने बताया कि स्कूल शिक्षा विभाग अपने ही वर्तमान में भी लागू सेट अप को अप्रासंगिक बता रहा है तथा 15 वर्षों से लागू आर टी ई एक्ट 2009 को ढाल बनाने का प्रयास कर रहा है जबकि आर टी ई एक्ट पूरे देश के लिए न्यूनतम मापदंड तय करता है न कि अधिकतम। अर्थात् न्यूनतम मापदंड लागू करना बाध्यता है किंतु न्यूनतम से अधिक शिक्षक और संसाधन उपलब्ध कराने पर रोक नहीं है। वैसे भी आर टी ई में विषयवार शिक्षक की व्यवस्था का प्रावधान होने तथा राज्य के सेट अप में विषयवार शिक्षकों की लागू व्यवस्था को 2023 में छ ग में विलोपित कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि स्कूल शिक्षा युक्तियुक्तकरण के एकतरफा, विसंगतिपूर्ण, शिक्षा शिक्षक व शिक्षार्थी विरोधी अपनी कार्यवाही के बचाव में ढाल की तरह आर टी ई एक्ट 2009 का उपयोग करना चाहती है। शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा है कि शिक्षा व्यवस्था केवल मंत्रालय व संचालनालय में बैठे अधिकारियों से नहीं चलता बल्कि इसमें समुदाय और मैदानी अमले तथा शिक्षकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन युक्तियुक्तकरण के मसले पर विभाग ने किसी भी चर्चा करना आवश्यक नहीं समझा बल्कि उनके सुझावों को भी दरकिनार कर एकतरफा निर्णय लेकर संघर्ष को आमंत्रित किया है। जबकि संबंधित पक्षों से बातचीत करके सार्थक और व्यावहारिक समाधान निकाला जा सकता था। संगठन ने सवाल उठाया है कि आर टी ई के मापदंड से अधिक शिक्षक होने के बावजूद छ ग शैक्षिक मानकों तथा उपलब्धि में देश में 25 वें से 30 वें स्थान पर आता है तो प्राथमिक शालाओं में न्यूनतम 01+02 शिक्षक व पूर्व माध्यमिक शालाओं में 01+04 के स्थान पर क्रमशः न्यूनतम स01+01 व 01+03 शिक्षकों की संख्या वाला युक्तियुक्तकरण कैसे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाएगा? संगठन ने विभाग से पूछा है कि प्राथमिक शालाओं में 01+01 के सेट अप में संचालित प्राथमिक शालाओं में से एक सहा. शिक्षक के संकुल समन्वयक होने या उन कार्यरत दो शिक्षकों में से एक के अवकाश, स्थानांतरण पदोन्नति या अन्य कार्यों में संलग्न होने की स्थिति में क्या वह एकल शिक्षकीय या शिक्षक विहीन की स्थिति में नहीं होगा? ऐसी में शिक्षा और शिक्षा की गुणवत्ता तो दूर बच्चों की सुरक्षा से भी समझौता की स्थिति निर्मित हो जाएगी शिवेंद्र चंद्रवंशी जिलाध्यक्ष छ, ग,शालेय शिक्षक संघ,कबीरधाम

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