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“फुले” फ़िल्म, संघर्ष और समानता का संदेश है. यह टैक्स फ्री होना चाहिए – विप्लव साहू

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो चीफ केसीजी

खैरागढ़ : महात्मा ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन और सामाजिक सुधारों पर आधारित फिल्म ‘फुले’ 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। इस फिल्म ने अपनी विषयवस्तु और ऐतिहासिक महत्ता के कारण व्यापक चर्चा बटोरी है। सामाजिक चिंतक विप्लव साहू ने सरकार से इस फिल्म को टैक्स-फ्री करने की मांग की है, ताकि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।

‘फुले’ फिल्म, जिसका निर्देशन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार विजेता अनंत महादेवन ने किया है, में प्रतीक गांधी और पत्रलेखा ने क्रमशः ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की भूमिकाएं निभाई हैं। जातिगत भेदभाव, महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक समानता के लिए फुले दंपति के संघर्ष को दर्शाती है। उन ऐतिहासिक घटनाओं को चित्रित किया गया है, जिन्होंने भारत में सामाजिक सुधार की नींव, लड़कियों के लिए पहली स्कूल, विधवा मुंडन का विरोध, पुनर्विवाह और सत्यशोधक समाज का गठन किया।

विप्लव साहू ने कहा कि रिलीज से पहले सेंसर बोर्ड ने कुछ दृश्यों और संवादों पर कैंची चलाई, जिनमें जातिगत अत्याचारों से संबंधित संदर्भ शामिल थे। सेंसर बोर्ड के इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई, कई सामाजिक संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। सेंसरशिप के बावजूद, फिल्म ने अपनी मूल भावना को बनाए रखा है।

“यह फिल्म शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है। इसे टैक्स-फ्री करके सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि फुले दंपति का संदेश समाज के हर वर्ग तक पहुंचे

टैक्स-फ्री करने की मांग के समर्थन में सोशल मीडिया पर भी अभियान चल रहा है, जहां लोग #PhuleTaxFree हैशटैग के साथ अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं। अब सभी की निगाहें केंद्र और राज्य सरकारों पर टिकी हैं कि छावा की तरह क्या वे इस फिल्म को टैक्स-फ्री घोषित करेंगी! ताकि महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले का संदेश देश के कोने-कोने तक पहुंच सके। यह कदम न केवल फिल्म को प्रोत्साहन देगा, बल्कि सामाजिक सुधार और समानता के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों को भी सम्मान देगा।

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