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भित्ति चित्र लोक मंगल के प्रतीक हैं: डॉ. पीसी लाल यादव

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी

गंडई पंडरिया – संचालनालय पुरातत्व,अभिलेखागार संग्रहालय रायपुर द्वारा 21से 23 दिसंबर तक महंत घासी दास संग्रहालय सभागार में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसका विषय था “प्राचीन छत्तीसगढ़ में कला एवम वास्तुकला”। मुख्य अतिथि थे डॉ.भुवन विक्रम क्षेत्रीय निदेशक (मध्य क्षेत्र)भोपाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण।स्वागत उद्बोधन दिया विवेक आचार्य,संचालक,संस्कृति पुरातत्व ने।सात सत्रों में संपन्न उक्त संगोष्ठी में देश भर से पैंतालीस अध्येताओं ने अपने – अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
गंडई नगर के अध्येता व संस्कृति कर्मी डॉ.पीसी लाल यादव ने छत्तीसगढ़ की प्राचीन व पारंपरिक भित्ति चित्र तथा भूमि अलंकरण जैसे सवनाही, आठे कन्हैया, देवारी का हाथा,विवाह में अंकित भित्ति चित्र,निषाद जाति का भित्ति चित्र, जवांरा अनुष्ठान में भित्ति चित्र,मांगलिक कार्यों में हाथा आदि के उद्भव और विकास पर शोधपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ.यादव ने कहा कि ये भित्ति चित्र और भूमि अलंकरण हमारे लोक जीवन की धरोहर और लोक मंगल के प्रतीक हैं,जो आज भी गावों में लोक आस्था और लोक विश्वास के साथ ग्रामीण महिलाओं द्वारा पूरी तन्मयता के साथ चित्रित किए जाते हैं।बदलते समय के साथ इनके स्वरूप में परिवर्तन हुआ है। इनका संरक्षण और संवर्धन जरूरी। डॉ.पीसी लाल यादव की इस प्रस्तुति पर साहित्यकारों व कलाकार मित्रों द्वारा बधाई दी गई

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