ChhattisgarhINDIAखास-खबर

विश्व जूनोसिस दिवस पर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा वेबिनार का आयोजन

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी

खैरागढ़, 5 जुलाई 2025//
विश्व जूनोसिस दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देशानुसार जिला खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चंद्रवाल के मार्गदर्शन में, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा, जिला सर्विलेंस अधिकारी डॉ. विद्या श्रीधरन एवं सहायक नोडल अधिकारी  नागेश सिमकर के समन्वय से किया गया।

इस वेबिनार में जिले के समस्त खंड चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सक, स्वास्थ्य विस्तार एवं प्रशिक्षण अधिकारी, ग्रामीण चिकित्सा सहायक, सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी, स्वास्थ्य संयोजक, पर्यवेक्षक, स्टाफ नर्स और कार्यक्रम प्रबंधक शामिल हुए। वेबिनार का उद्देश्य जूनोसिस रोगों की जानकारी देना तथा उनके प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम पर प्रकाश डालना था।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता केरल के शासकीय मेडिकल कॉलेज की सह-प्रोफेसर डॉ. आरती अच्युतन रहीं, जिन्होंने ब्रूसेलोसिस, रेबीज, स्क्रब टायफस जैसे प्रमुख जूनोसिस रोगों के कारण, लक्षण, रोकथाम और उपचार की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने विशेष रूप से किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण समुदायों में स्वास्थ्य शिक्षा एवं जन-जागरूकता अभियान की आवश्यकता पर बल दिया ताकि इन रोगों से बचाव संभव हो सके।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा ने जानकारी दी कि आगामी 7 जुलाई को जिले के समस्त आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप-स्वास्थ्य केंद्रों में किसानों, पशुपालकों एवं संबंधित समुदायों के लिए नि:शुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन किया जाएगा। साथ ही, विशेषज्ञ चिकित्सकों एवं पशु चिकित्सकों द्वारा वर्चुअल माध्यम से स्वास्थ्य परामर्श और प्रेजेंटेशन भी उपलब्ध कराया जाएगा।

इस वेबिनार के आयोजन और सफलता में  खिलेश साहू (डीडीएम),  खेमराज साहू, सुश्री ऐश्वर्य साव (बीडीएम) तथा जन आरोग्य समिति के सदस्यों का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।

वेबिनार के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि ब्रूसेलोसिस और रेबीज जैसे रोग केवल पशुओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मनुष्यों में भी गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं। संक्रमित पशुओं से संपर्क, कच्चे दूध का सेवन, सफाई में लापरवाही तथा पशु टीकाकरण की अनदेखी से यह रोग फैलते हैं। वहीं रेबीज जैसी बीमारी संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से मनुष्यों में फैलती है, जिसके प्रारंभिक लक्षणों को नजरअंदाज करना घातक हो सकता है।

प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि पशुपालकों को हमेशा दूध उबालकर ही सेवन करना चाहिए, गर्भपात से ग्रसित पशुओं को अलग रखना चाहिए और प्रसव या गर्भपात के समय सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही, पशु शेड की नियमित सफाई, प्लेसेंटा का सुरक्षित निपटान और नियमित पशु जांच कराना भी आवश्यक है। ब्रूसेलोसिस से बचाव हेतु पशुओं का नियमित टीकाकरण आवश्यक बताया गया।

रेबीज पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने बताया कि यह एक जानलेवा बीमारी है, जिसका उपचार नहीं है, लेकिन समय पर टीकाकरण करवाकर इससे बचाव संभव है। जानवर काटे जाने की स्थिति में घाव को तत्काल साबुन और पानी से धोना चाहिए, घाव को एंटीसेप्टिक से साफ कर रेबीज का टीका लगवाना जरूरी है। साथ ही, पालतू कुत्तों व बिल्लियों का नियमित टीकाकरण करवाना एवं आवारा कुत्तों से दूरी बनाए रखना भी आवश्यक बताया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page