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जिला स्तरीय यूथ एवं ईको क्लब दो दिवसीय प्रशिक्षण कवर्धा में संपन्न



कवर्धा
राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा छत्तीसगढ़ के निर्देशानुसार एवं जिला शिक्षा अधिकारी योगदास साहू व जिला मिशन समन्वयक नकुल पनागर के मार्गदर्शन में कबीरधाम जिले के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में युथ एवं इको क्लब के सुचारू रूप क्रियान्वयन हेतु जिला स्रोत समूह के  मास्टर ट्रेनरों का दो दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन 22 एवम 23 अप्रैल 2025 को जिला ग्रंथालय कबीरधाम के सभा कक्ष में आयोजित किया गया, जिसमे राज्य से प्रशिक्षित शिक्षक (राज्य स्रोत समूह ) राजीव श्रीवास्तव एवम शिवकुमार वर्मा द्वारा प्रशिक्षण दिया गया।
              समापन अवसर पर पनागर जी  ने सभी प्रशिक्षार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि युथ एवं इको क्लब के हर एक गतिविधियों का 100% क्रियान्वयन अपने-अपने विकासखंड के साथ-साथ जिला के हर एक स्कूल में होना चाहिए। पर्यावरण के संपूर्ण संरक्षण हेतु छात्र-छात्राओं, पालकों एवं आम नागरिकों को सामाजिक रूप से भी जोड़ते हुए इस पर वृहद कार्य करने की आवश्यकता है,कम से कम प्लास्टिक का उपयोग,  अधिक से अधिक वृक्षारोपण ,जल संरक्षण, वायु प्रदूषण की रोकथाम आदि हेतु प्रशिक्षण में बताएं अनुसार उपाय अपनाए तथा सामान्य जन समुदाय में भी विद्यालय के माध्यम से ही जागरूकता लाना है। उन्होंने अवगत कराया कि कबीरधाम जिले के चारों विकासखंडों से 10-10कुल 40 मास्टर ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया गया है।
   प्रशिक्षण सत्र का शुभारंभ माता सरस्वती की  तैल चित्र पर बीआरसीसी कवर्धा केसलाल साहू एवं सहायक कार्यक्रम समन्वयक व प्रशिक्षण प्रभारी  श्रीमती प्रार्थना शर्मा जी द्वारा पूजन पाठ के साथ प्रारंभ करते हुए अवगत कराया गया की प्रथम दिवस के प्रशिक्षण में जमीन एवं प्लास्टिक साक्षरता तथा द्वितीय दिवस पोषण वाटिका पर विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। प्रशिक्षण प्राप्त कर के सभी डीआरजी अपने-अपने विकास खंडों में प्रशिक्षण प्रदान करेंगे, तथा विकासखंड के माध्यम से संकुल स्तर पर होना है, जिसकी मॉनिटरिंग राज्य स्रोत समूह के साथ जिला कार्यालय के अधिकारियों  द्वारा समय-समय पर की जाएगी।
      मास्टर ट्रेनर्स राजीव श्रीवास्तव ने पर्यावरण, यूथ एवं इको क्लब की  गठन व अवधारणा, महासागर साक्षरता, जमीन एवं प्लास्टिक साक्षरता पर विशेष रूप से बतलाया कि कैसे हमारे शरीर के अंदर हर सप्ताह 5 ML माइक्रो प्लास्टिक जाते जा रहा है, प्लास्टिक का सफर व निर्माण, 3R की अवधारणा में रिड्यूस, रीयूज,रिसायकल ,वृक्ष मित्र कार्ड, प्लास्टिक का विकल्प व इसके 07 प्रकार- PET, HDPE, PVC, LDPE, PP,PS, OTHER से विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक की पहचान विभिन्न  गतिविधियों के माध्यम से अवगत कराना। 12 सप्ताह की गतिविधियां, प्लास्टिक की वस्तुओं में भोजन आदि ग्रहण करने का दुष्परिणाम, समूह गतिविधियाँ, पेपर बैग निर्माण, सोख्ता गड्ढे का निर्माण, वाटर हार्वेस्टिंग,जल प्रदूषण व जल संरक्षण, जमीन मेला, पौधारोपण आदि विषय पर विस्तृत रूप से प्रशिक्षण दिया गया। वही शिवकुमार वर्मा ने पोषण वाटिका विषय पर प्रशिक्षण देते हुए किचन गार्डन और पोषण वाटिका में अंतर, वाटिका हेतु जगह का चयन, मिट्टी की तैयारी, फसल का चयन और फसल चक्र, बीज संकलन और प्रदर्शनी, कम स्थान पर कैसे अधिक फसल या खेती की जाए इस हेतु नक्शा बनाना, बुआई, फसल वृद्धि के कारक, फसल की सुरक्षा और कटाई आदि विषयों पर प्रशिक्षित करते हुए रसायन रहित खेती के स्थान पर जैविक खेती की उपयोगिता पर जोर दिये तथा बहुत कम खर्चे में जीवामृत, बीजामृत, नीम अर्क इत्यादि जैविक खाद्य तैयार करने की विधि गोबर, गोमूत्र,गुड़, मिट्टी, चना बेसन ,पानी नीम पत्ती आदि के माध्यम से बनाने की विधि बतलाई गई।
     ग्रुप  विभाजन व कार्य
दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र में सभी 40 मास्टर ट्रेनरों को चार समूह में विभाजित किया गया था, जिसमें ओजोन ग्रुप, पर्यावरण संरक्षण ग्रुप, ऑक्सीजन ग्रुप और ग्रीन हाउस ग्रुप रहा, जिन्होंने विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से प्रस्तुति दी। जिसमें प्रभावशाली  व शानदार प्रस्तुति ग्रीन हाउस ग्रुप की रही, जहाँ प्लास्टिक का कम उपयोग,प्लास्टिक का निपटान , प्रभाव ,प्रकार, पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों को अपनी गतिविधियों में शामिल करके अत्यंत प्रशंसनीय प्रस्तुतीकरण दी।

      शपथ
प्रशिक्षण सत्र में प्रमुख रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक, प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना, प्लास्टिक कचरे को ना जलाने, कचरे का उचित प्रबंधन एवम निपटान आदि के संबंध में सभी शिक्षक साथियों ने संकल्प लिया।

   पौधे से स्वागत व सम्मान
इस प्रशिक्षण सत्र के समापन अवसर पर प्रार्थना शर्मा द्वारा अधिकारियों एवम राज्य मास्टर ट्रेनरों का स्वागत व सम्मान पौधा भेंट करके किया गया ।
प्रशिक्षण में प्रशिक्षार्थी राजर्षि पाण्डेय, राकेश सोनी, श्रीमती वंदना हरदहा, श्रीमती स्मृति द्विवेदी, श्रीमती मंजू चंद्राकर सहित अनेक शिक्षक, शिक्षिकाओं ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित किया।

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