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छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग के जिलों में वर्षा की कमी की परिस्थिति हेतु आकस्मिक कार्य योजना

AP news aap ki awaz विश्वराज ताम्रकार स्टेट रिपोर्टर & जिला ब्यूरो चीफ के.सी.जी



इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि मौसम विज्ञान विभाग में दिनांक 16.07.2024 को ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना अंतर्गत कृषि मौसम सलाह सेवा समिति की बैठक आयोजित की गई थी। जिसमें विभिन्न विभागों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के प्रमुखों द्वारा वर्षा की वर्तमान स्थिति एवं पूर्वानुमान के आधार पर कृषि कार्य हेतु कृषि सलाह एवं आकस्मिक कार्य योजना बनायी गई। किसान भाई इसका उपयोग कर कृषि कार्य करें एवं वर्षा की कमी से होने वाले नुकसान को कम कर सकें।
कृषि विज्ञान केन्द्र, राजनांदगांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा के द्वारा वर्तमान स्थिति में छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग के जिलों में वर्षा की कमी की परिस्थिति हेतु आकस्मिक कार्य योजना प्रस्तुत की गई।

  1. जिन खेतों में रोपा नहीं लगाया गया है, वहाँ वर्तमान स्थिति में धान की कतार बुवाई करे एवं कम व मध्यम अवधि (120-130 दिनों) की धान की किस्में जैसेरू- विकम-टीसीआर, महामाया, एम.टी.यू-1010 इत्यादि का उपयोग करें। बीज दर सामान्य से 15-20 प्रतिशत अधिक रखे।
  2. उच्च भूमि क्षेत्र में धान की जगह मूंग, उड़द, मक्का, तिल एवं अरहर की बुवाई करें।
  3. मूंग हेतु शिखा, विराट, पी.के.वी.ए.के.एम-4 एवं उड़द हेतु इंदिरा उड़द-1.एन.यू.एल-7. आई.पी.यू.11-02. आई.पी.यू. 10-26, आई.पी.यू. 31-01, आई.पी.यू.17-01, टी.जे.यू.-130 इत्यादि किस्मों का चयन करें।
  4. जिन खेतों में धान की रोपाई हो चुकी है, वहीं 15-20 दिनों बाद की जाने वाली यूरिया की टॉप ड्रेसिग अभी न करें या विलम्ब से करें।
  5. देरी से रोपाई की स्थिति में अधिक अवधि का थरहा होने पर उसकी पत्तियों के ऊपरी भाग को तोड़ कर प्रति हिल 3-4 पौधे लगाये।
  6. रोपाई से पूर्व थरहा को क्लोरोपायरीफॉस 20 ई.सी. 3-4 मि.ली. एवं 25 ग्राम यूरिया को 1 लीटर पानी में घोलकर 1 घण्टे तक जड़े डुबाकर उपचारित करें इसके बाद रोपाई करें, जिससे तना छेदक एवं अन्य कीटों से रोकथाम हो सकेगी।

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