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सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करते थे ठगी, फर्जी पुलिस वेरिफिकेशन तक करवाता था शातिर गैंग….

देहरादून एसटीएफ ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है, जो बेरोजगार युवक युवतियों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगता था. पुलिस ने पूरे गैंग की मॉडस ऑपरेंडी बताई.

देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. एसटीएफ ने बेरोज़गार युवक/युवतियों को अपनी प्लानिंग के तहत फंसाकर बड़े संस्थानों में नौकरी दिलाने वाले राष्ट्रीय गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार किया है. अभी तक यह गिरोह कई बेरोज़गारों से लाखों रूपयों की धोखाधड़ी कर चुका है. बेरोज़गार युवक/युवतियों से “नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी की शिकायत के बाद आरोपी विकास चंद्रा की गिरफ्तारी हुई है. वहीं, गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.

फर्जी पुलिस वेरिफिकेशन तक करवाते थे

देहरादून में एक प्रकरण साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को प्राप्त हुआ था. पीड़ित द्वारा बताया गया था कि, उनको फूट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) विभाग में 10 लाख रुपये में नौकरी दिलाने की बात कही गयी. जिस पर विश्वास करते हुये उनके द्वारा 10 लाख रुपये आरोपियों के बैंक खातों में डाली गयी. विश्वास में लेने के लिए पुलिस वेरिफिकेशन भी करवाया, जिससे विश्वास हो जाये की उनकी नौकरी वास्तव मे लग गयी है. इतना ही नहीं FCI का आईकार्ड व ज्वाइनिंग लेटर भी दिया गया और उसका फर्जी तरीके से प्रशिक्षण भी गोरखपुर यूपी में करवाया गया. बाद में जब ज्वाइनिंग लेटर में अंकित तिथि को शिकायतकर्ता द्वारा फोन किया तो फोन नहीं उठा. शक होने पर जब शिकायतकर्ता द्वारा Food Corporation of India (FCI) विभाग देहरादून में जाकर आई कार्ड व ज्वाइनिंग लेटर के सम्बन्ध में पता किया तो फर्जी पाये गये.

कई राज्यों में सक्रिय
एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि यह गिरोह विभिन्न राज्यों में सक्रिय है, जिनके द्वारा भोले-भाले लोगों को नौकरी का झांसा देकर ठगी की गई है. गिरोह में शामिल अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी पर काम किया जा रहा है.

नौकरी के विज्ञापन के जरिये करते थे ठगी
बताते चलें कि, इस गिरोह द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में जब भी प्रमुख संस्थाये जैसे FCI, Railway, AIIMS आदि में सरकार द्वारा रोजगार सम्बन्धी विज्ञप्ति समाचार पत्रों आदि में जारी की जाती थी तो बेरोजगार युवक युवतियों से सम्पर्क कर उनको FCI, Railway, AIIMS आदि में नौकरी लगाये जाने का प्रलोभन देकर उनसे लाखों रुपये प्राप्त करते थे. किसी को शक न हो इसके लिये उनकी फर्जी ट्रेनिगं, पुलिस वेरिफिकेशन, मेडिकल व इंटरव्यू आदि भी करवाते, इतना ही नहीं सम्बन्धित विभागों की फर्जी ई-मेल आईडी से उन्हें मैसेज करते थे व फर्जी आई कार्ड व ज्वाइनिंग लेटर डाक के माध्यम से भेजते थे.

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