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लोहारीडीह की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली: तुकाराम चन्द्रवंशी।

लोहारीडीह की घटना मानवता को शर्मसार करने वाली: तुकाराम चन्द्रवंशी।

प्रदेश के गृहमंत्री के गृह जिले की पुलिस बनी मानवता की मक्षक।

कवर्धा। अपने गृह जिले की खस्ताहाल और चरमाई कानून व्यवस्था को दुरूस्थ कर पाने में प्रदेश के गृह मंत्री पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं और जिले की यह स्थिति तब है जब वे अधिकांश समय अपने गृह जिले में ही गुजार रहे हैं। बीते रविवार को जिले के रेंगाखार जंगल थाना क्षेत्र के ग्राम लोहारीडीह में घटित वारदात इसका जीवंत उदाहरण है। इस दिन प्रदेश के गृह मंत्री जिला मुख्यालय कवर्धा में ही मौजूद थे और रेंगाखार जंगल थाना मुख्यालय से महज 5 किलो मीटर की दूरी में आक्रोशित ग्रामीणों की भीड़ ने एक ग्रामीण के घर में आग लगाकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस प्रशासन अपनी पीठ थपथपा रहा है कि उसने परिवार के शेष लोगों को बचा लिया। लेकिन ये झुपाने में अपना पूरा जोर लगा रही है कि पुलिसिया बर्बरता और मारपीट ने एक ग्रामीण युवक की जान ले ली। उक्त बातें जारी बयान में युवक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष तुकाराम चन्द्रवंशी ने कहीं। श्री चन्द्रवंशी ने कहा कि लोहारीडीह घटना बहुत ही विभत्स, अमानवीय, दर्दनाक और शर्मनाक है। अगर पुलिस प्रशासन समय पर ध्यान देती और इस घटना को गंभीरता से लेती तो इतनी बड़ी घटना घटित ही नहीं होती। जिससे जिले के माथे पर ये कलंक कभी नहीं लगता। उन्होंने आगे कहा की लोहाराडीह की घटना पुलिस प्रशासन की नकामी का प्रतीक है। जिसकी खीझ मिटाने पुलिस ने जिस प्रकार से अमानवीयता के साथ बच्चो, महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गो को घर से निकालकर रास्ते में घसीटकर बेरहमी से मारते पीटते उन्हें गिरफ्तार किया ऐसा कृत्य शायद ही कहीं देखने को मिले और यही कारण है की बेरहमी से पिटाई की वजह से 34 वर्षीय युवा की जेल में मृत्यु हो गई। तुकाराम चन्द्रवंशी ने बताया की इस पूरी घटना से कई सवाल खडे हुए है। जैसे कचरु साहू की संदेहास्पद स्थिति में लाश का मिलना, रघुनाथ साहू के घर में पुलिस सुरक्षा में या पुलिस की उपस्थिति में आग का लगना और रघुनाथ की आग में जलकर मौत हो जाना, ऐसी कौन से कारण थे जिसमें पुलिस ने महिलाओं, बच्चो, बुजुर्गो, युवाओं को घर से घसीटकर बेरहमी से मारते हुए गिरफ्तार करना पड़ा, करीब 160 लोगों को आरोपी बनाया गया जिनमें 72 लोगो को गिरफ्तार किया गया जिन्हें थाने में ले जाकर बहुत बेरहमी से अमानवीयता की हद को पार करते हुए मारा गया, ऐसी कौन सी ताकत थीं जो पुलिस को ये सब करने के लिए प्रोत्साहित कर रही थीं, इन ग्रामीणों पर ऐसा कौन सा गुस्सा निकाला जा रहा था जिससे उन्हें न्यायालय से पहले ही सजा दें रही थीं, प्रशांत साहू की गंभीर स्थिति को देखते हुए भी पर्याप्त मेडिकल सुविधा क्यों नहीं दिलाई गई, गंभीर रूप से घायल कैदी को आखिर जेल दाखिल कैसे कराया गया। ऐसे कई प्रश्न है जो संदेह को जन्म देते है। जिसकी जांच हाईकोर्ट के जज के माध्यम से कराई जाए। उन्होने मांग की है कि जेल में बंद समस्त आयोपियों का पुन: मेडिकल जांच की जाए और उनका बयान लिया जाय, परिवार को उचित मुआवजा देते हुए उन्हें न्याय दिया जाए। साथ ही इस पूरी घटना से पुरे राज्य को और मानवता को कलंकित करने वाले दोषियों को जो चाहे कितने भी बड़े पद में हो उन्हें कड़ी सजा मिले ताकि हमारे शांति के टापू इस राज्य में दोबारा ऐसी घटना घटित ना हो सके।

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