प्राणरक्षक बनी डायल 112 : सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को पहुंचाया अस्पताल

घटना की सूचना प्राप्त होने के महज 07 मिनट के भीतर डायल 112 टीम पहुंची पीड़ित के गाँव

चिल्फी। डायल 112 की टीम ने एक बार फिर आपातकालीन परिस्थिति में मदद कर मानवता की मिसाल पेश की है। बोड़ला ब्लॉक के वनांचल क्षेत्र चिल्फी अंतर्गत ग्राम तुरैया बहारा में युवक जहरीले सांप ने काट लिया, जिसकी सूचना मिलने पर डायल 112 चिल्फी पैंथर 02 के द्वारा महज सात मिनट के भीतर घटना स्थल ग्राम तुरैया बहारा पहुंचकर कॉलर से संपर्क कर पीड़ित को इलाज हेतु अस्पताल पहुंचाया गया।
जिसको इलाज हेतु चिल्फी अस्पताल में भर्ती कराया गया।पीड़ित व्यक्ति का नाम चंदू पिता लयशिंग मेरावी उम्र 42 वर्ष जिसे जहरीले सांप गउहा डोमी ने काट लिया था वह दर्द से काफी व्याकुल होकर तड़प रहा था।जिसे आज डायल 112 की पुलिस टीम ने अस्पताल पहुंचाकर युवक की जान बचाई। उक्त सराहनीय कार्य में पैंथर 02 चिल्फी के आरक्षक- 766 आशु तिवारी एवं चालक भोलाराम का सराहनीय योगदान रहा।
बचकर रहिए, मौसम बदलते ही बढ़ा सर्पदंश का खतरा
बारिश शुरु होते ही जहरीले सांप अपने बिलों से बाहर आने लगे हैं। बिलों से बाहर आकर ये सांप कई बार रहवासी इलाकों में भी पहुंच जाते हैं। जिसके कारण अक्सर बारिश की शुरुआत से बारिश की अंत तक सर्पदंश के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। बीते दिनों में हुई हल्की बारिश के बाद एक बार फिर सर्पदंश के मामले लगातार सामने आ रहे हैं।
ऐसे रखें सावधानी
बारिश के मौसम में सर्पदंश का डर बना रहता है, इससे बचाव के लिए आवश्यक सावधानी की जरूरत पड़ती है, लेकिन जिले में हर साल बारिश के दिनों में औसतन पांच से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इन लोगों कर मौत जागरूकता के अभाव में हुई है।
दरअसल ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश के मामले आने पर झाड़-फूंक का सहारा लिया जाता है। इससे चलते मरीज देर से जिला अस्पताल पहुंचता है। और सर्पदंश पूरे शरीर में फैल जाता है। इससे मौत हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग ने सलाह दिया है कि सांप कांटने के बाद लोग बैगा-गुनिया से झाड़-फूंक के चंगुल में न फंसे। बल्कि पीड़ित रोगी को सीधे अस्पताल पहुंचाएं। जागरूकता के अभाव में लोग सर्पदंश के शिकार होते हैं।
ये है सर्पदंश के लक्षण
मरीज को सर्पदंश के बाद रक्त का बहाव और विष का फैलाव धीमा करने के लिए रोगी को दिलासा देनी चाहिए। काटे हुए शरीर के अंग को स्थिर रखकर पट्टी का उपयोग करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को लेटे हुए स्थिति में रखकर जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए।
काटे हुए छोर से अंगूठी, कंगन, जूते अथवा अन्य दबाव वाले वस्तु को निकालना चाहिए।और तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले जाना चाहिए।
किसी भी बंधन अथवा संपीडन पट्टी नहीं लगाई जाए। काटे गए स्थान पर ज्यादा कसकर नहीं बांधा जाए, जहर निकालने के लिए चूसना अथवा चीरा नहीं दिया जाए। रोगी को मादक पेय अथवा एस्पिरिन नहीं देना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को चलने नहीं देना चाहिए, काटने की जगह पर बर्फ लगाकर इसे ठंडा नहीं करें।