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बैंड-डीजे नहीं, मंत्रोच्चार के साथ बारात — रापा में गूंजी वैदिकता की गूंज”


पंडरिया
कुंडा तहसील के मालगुजारी ग्राम रापा में हाल ही में कुर्मी क्षत्रिय समाज के प्रदेश महामंत्री दुर्ग संभाग एवं विश्व हिंदू परिषद के जिलाध्यक्ष कबीरधाम नंदलाल चंद्राकर ने अपने सुपुत्र चिं.होमेश्वर संग सौ.कां. प्रगति सुपुत्री धर्मराजसिंह चंद्राकर बंसापुर एवं चिं.वेदप्रकाश संग सौ.का. खेमेश्वरी सुपुत्री राजेंद्र चंद्राकार कोदवा जिला बेमेतरा के परिणयोत्सव में वैदिक नियमावलियों के अक्षरशः पालन का मिसाल पेश किया जिसमें विवाह के आमंत्रण पत्र से लेकर अतिथियों के विदाई एवं वधु के गृहप्रवेश तक वैदिकता का ध्यान रखा गया जिसमें आमंत्रण पत्र में अक्षत दूर्वा हल्दी सुपारी के साथ सर्वप्रथम ग्राम के समस्त देवी देवताओं को आमंत्रण दिया गया तत्पश्चात सगे संबंधी आदि को चूलमाटी देवतेला जैसे विवाह के अनिवार्य कार्यक्रम में साथ ही बारात में भी किसी भी प्रकार के वाद्ययंत्रों एवं पटाखों आदि को सम्मिलित नहीं किया गया एवं ब्राह्मण को साथ लेकर मंत्रोच्चार सहित कार्यक्रम को पूर्ण किया गया साथ ही इनके द्वारा प्रभुत्व संपन्न होते हुए भी पाश्चात्य सभ्यता को रौंदते हुए बारात में केवल पूरजन और परिजन जो अनिवार्य नेगी हैं ऐसे अतिथियों को सम्मिलित किया गया बारात में भी किसी प्रकार के डीजे बैंड पार्टी आदि का प्रयोग नहीं किया गया विशेष रूप से ब्राह्मणों के उपस्थिति में कार्यक्रम को सम्पन्न कराया गया सर्वसंपन्न होते हुए भी वैदिकता का ध्यान रखा गया खास बात यह है कि इस विवाह में लग्न का विशेष ध्यान रखा गया बारात दिन में दो बजे प्रस्थान कर पाणिग्रहण गोधूलिबेला में संपन्न हुआ आमंत्रित परिजन पूरजन मित्रगण एवं जनप्रतिनिधियों का विशेष सम्मान एवं सत्कार किया गया इस विवाह के प्रत्येक पलों को जो दिवस के कार्यक्रम है उसे भगवान सूर्य देव के साक्षी में संपन्न कराया गया एवं जो चंद्रदेव के उपस्थिति में कार्यक्रम करने के नेग को भगवान चंद्रदेव के रात्रिकालीन बेला में संपन्न कराया गया अतिथि भी सुबह 10:00 से लेकर सूर्यास्त के पहले 6:00 बजे तक सम्मिलित हुए सभी वर्गों के आमंत्रित जनों का यथा योग्य स्वल्पाहार भोजन प्रसाद एवं उपहार देकर सम्मान किया गया अतः हम कह सकते हैं कि ग्राम रापा में नंदलाल चंद्राकर के घर संपन्न हुए विवाह में वैदिकता का पूरा-पूरा ध्यान रखा गया वधुओं के गृह प्रवेश पर इष्टदेव पूजन एवं  श्रीसत्य नारायण कथा व श्रीरामचरितमानस का आयोजन भी हुआ जो आज के पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ते कदम के लिए एक अच्छा उदाहरण है।

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