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भूमि सुपोषण एवं संरक्षण के संदर्भ में राष्ट्र स्तरीय जन अभियान के उद्देश्य को लेकर पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय ग्राम विकास कार्य प्रमुख

Ap न्यूज पंडरिया: भूमि सुपोषण एवं संरक्षण के संदर्भ में राष्ट्र स्तरीय जन अभियान के उद्देश्य को लेकर पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय ग्राम विकास कार्य प्रमुख दिनेश पंडरिया खण्ड के एक दिवसीय प्रवास पर रहे। ग्राम रोहरा के केशव गौशाला में आयोजित “सुरभि यज्ञ” में जिले भर के किसानों ने अपने खेत से लेकर आये एक मुट्ठी मिट्टी को संग्रहित कर आचार्य रमाकांत तिवारी एवं रमेश तिवारी के द्वारा विधि-विधान से पूजन कराया गया। ततपश्चात उस अभिमंत्रित मिट्टी को अपने अपने खेत में डालने आग्रह किया गया। उपस्थित कृषकों को सम्बोधित करते हुए दिनेश ने कहा कि भारत में कृषि के क्षेत्र में गन्ना का शोध संस्थान कोयंबटूर में है। उत्तरप्रदेश के थाना-भवन, शामली के रहने वाले धरमपाल सिंह ने शोध संस्थान से भी अधिक 7 सौ क्विंटल/एकड़ का रिकार्ड उत्पादन किया है। भारतीय संस्कृति का पूर्ण चक्र कृषि पर ही आधारित है। गीता सत्य है जिसे विज्ञान भी मानता है कि 5200 वर्ष पहले महाभारत हुआ था। आंनद भवन्ति भूतानि पर्जन्य अन्न सम्भवः। यज्ञात भवति पर्जन्यौ, यज्ञ कर्म समुद्भवं। कर्म ब्रह्मोद भवं, विधि ब्रम्हाहार समुद्भवं। तस्मात सर्वगतं भवं, नित्ययज्ञे प्रतिष्ठितम। अर्थात प्राणी अन्न से उतपन्न होता है, अन्न से व्यष्टि, व्यष्टि से यज्ञ और यज्ञ से कर्म होता है, कर्म वेद से और वेद परमात्मा से है। इसका भावार्थ यह है कि परमात्मा यज्ञ है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि मैं वृक्षो में पीपल हूँ, इसलिए पीपल से बढ़कर कोई ऑक्सीजन (सिलेंडर) कुछ भी नहीं। भारत की कृषि ही नहीं, अपितु कृषि ही संस्कृति है। भारतीय नस्ल के नैमेलिया गाय के गौमूत्र एवं गोबर से सैकड़ों बीमारी दूर होने का प्रमाण है। इसलिए सभी प्रकार के वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया हुआ है। जहां पेंड़ पौधे है वहां ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना का प्रकोप कम रहा और जहां बड़ी बड़ी सुविधा सम्पन्न शहरों में ऑक्सीजन (पेंड़) का चक्र टुटा इसलिए सबसे अधिक प्रभावित शहर के लोग हुए थे। गढ़चिरौली महाराष्ट्र में जल स्तर ऊपर बढ़ने के पीछे जल एवं पर्यावरण को संरक्षण करने के लिए गांव के लोगों को जागरूक किया। धरती माता को बचाने का केवल एक ही उपाय है रसायनमुक्त खेती। हमारे जीवन की प्राचीन रचना से हम दूर हो चले हैं, शहरीकरण होने से लोग बन्द पैकेट सामग्री का उपयोग होने से हम रोगी हो रहे हैं। धान की खेती में छत्तीसगढ़ का पूरे देशभर में अग्रणी होने के साथ ग्रीन जोन में है,जबकि महाराष्ट्र रेड जोन में है। प्राकृतिक सम्पदा को जन्म देने वाली धरती माता और गौमाता यदि इसके संरक्षण पर अभी भी नही जागे तो हमारे जीवन चक्र में नुकसान स्वभाविक है। स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग, परिवार रचना, आयुर्वेद का उपयोग, वृक्ष संहार को रोकना और रसायन मुक्त खेती ऐसी पांच व्यवस्था को यदि व्यवहार में लाएंगे तो निश्चित ही स्वस्थ होंगे। भारत की प्रगति का केवल यही उपाय है। भूमि सुपोषण एवं संरक्षण को गांव-गांव एवं जन-जन तक पहुंचाने की कार्ययोजना बनाने हेतु बिशेषर पटेल को प्रान्त संयोजक का दायित्व सौंपा गया है। इस अवसर पर विश्वहिंदू परिषद के प्रांत कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रशेखर वर्मा ने श्रीराम मंदिर निधिसंग्रह अभियान में लगे सभी बन्दुओं को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ के समस्त जिले में कबीरधाम, विकासखण्ड की दृष्टि से पंडरिया एवं मण्डल की दृष्टि से मोहगांव तथा ग्राम की दृष्टि से कुसुमघटा का पूरे प्रान्त में अग्रणी रहा है। सह जिला कार्यवाह रवि वर्मा के ने कोरोनाकाल के दौरान आरएसएस के सेवा विभाग द्वारा जनहित के लिए लगाए गए “हेल्प-डेस्क” से लाभान्वित व्यवस्था की जानकारी दिए। इस अवसर पर भारत सरकार कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित प्रभात चन्द्राकर ने उपस्थित कृषकों को जैविक खेती करने का संकल्प दिलाया गया। इस बीच भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री सुरेश चंद्रवंशी, जिलाध्यक्ष एवं मान.जिला संघचालक दानेश्वर सिंह परिहार,विश्वहिंदू परिषद के प्रांत महामंत्री संजय वर्मा, कन्हैया लाल वर्मा, रघुनंदन गुप्ता, जीवन यादव, डोमन चंद्रवंशी, कुणाल सिंह ठाकुर, द्वारिका चंद्रवंशी, जयचंद वर्मा, सुशील कुमार जायसवाल, दिनेश चंद्रवंशी, समारू साहू, रिखीराम चंद्रवंशी, घनश्यामचंद्रवंशी, बेदराम, बीरबल साहू, इंद्रकुमार वर्मा सहित बड़ी संख्या में कृषक एवं ग्रामीण उपस्थित थे।

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