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जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में बाल विवाह कुरीति को समाज से समूल समाप्त करने दिये निर्देश

कवर्धा, 02 मार्च 2021। कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा की अध्यक्षता मे किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत गठित जिला बाल संरक्षण समिति एवं जिला स्तरीय मॉनिटरिंग सह निरीक्षण समिति लैगिक अपराधो से संरक्षण समिति टास्क फोर्स एवं सखी वन स्टॉप सेंटर की त्रैमासिक बैठक कलेक्टोरेट सभा कक्ष मे आयोजित किया गया। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला पंचायत, पुलिस विभाग, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लोक अभियोजन, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, समाज कल्याण विभाग, नगर पालिका, जिला सेनानी, आदिम जाति कल्याण विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, शासकीय बालगृह, विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण, चाईल्ड लाइन, किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति, सखी वन स्टाप सेंटर एवं आईसीपीएस के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया की महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत एकीकृत बाल संरक्षण कार्यक्रम का संचालन किशोर न्याय (बालको के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत देखरेख एवं संरक्षण की जरूरतमंद बच्चों को समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिये सुरक्षित वातावरण तैयार कर संस्थानीकरण पुनर्वास एवं संरक्षण प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने किशोर न्याय (बालकों के देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों की जानकारी देते हुए एकीकृत बाल संरक्षण योजना, किशोर न्याय बोर्ड, बाल कल्याण समिति में प्राप्त प्रकरणों विशेष किशोर पुलिस इकाई बाल देखरेख संस्था शासकीय बालगृह विशेषीकृत दत्तक ग्रहण अभिकरण एवं चाईल्ड लाईन 1098 के कार्यो का विस्तृत जानकरी दी गई जिसका समिति द्वारा समीक्षा किया गया।
कलेक्टर ने निर्देशित करते हुए कहा कि अक्षय तृतिया एवं वैवाहिक महुर्तो में विवाह का प्रचलन है। बाल विवाह के रोकथाम विधि अनुकूल हो सके इसके लिये एकल व सामूहिक रूप से होने वाले विवाहों में वर वधु की उम्र पर विशेष ध्यान देने एवं जिले में बाल विवाह के प्रकरण न हो व बाल विवाह कुरीति को समाज से समूल समाप्त किये जाने समाज एवं समुदाय सभी लोगो को आगे आना आवश्यक है। जिले में बाल विवाह की रोकथाम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 एवं किशोर न्याय (बालकों के देखेरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के प्रावधानों के अनुरूप हो सके इसके लिये बाल विवाह रोकथाम दल को सतर्क रहने व जिले मे कड़ी निगरानी रखने एवं प्राप्त सूचना पर बालक बालिका की आयु विवाह योग्य नही होने पर त्वरीत कार्यवाही करने आदेशित किया गया।
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 वर्ष के कम उम्र की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित किया गया है। इसके तहत् कोई व्यक्ति बाल विवाह करता है या करवाता है अथवा उसमें सहायता करता है को दो वर्ष का कठोर कारावास अथवा 1 लाख रूपये तक जुर्माना हो सकता अथवा दोनो से दण्डित किया जा सकता है का प्रावधान है।

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