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8 दिन में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का बदला? जानिए 8 दिन में क्या कुछ हुआ

Full story of Vikas Dubey and his encounter
Image Source : ANI

लखनऊ। 8 दिन पहले कानपुर के बाहर शायद कम ही लोग जानते थे कि विकास दुबे कौन है, लेकिन 8 दिन पहले उसने ऐसा अपराध कर दिया जिसकी वजह से पूरे देश में विकास दुबे के नाम की चर्चा होना शुरू हो गई और 8 दिन के भीतर ही उसका और अपराध में उसका साथ देने वाले अधिकतर लोगों का खात्मा हो गया। विकास दुबे ने 2-3 जुलाई की रात को 8 पुलिसकर्मियों की जो हत्या की वह उसके अपराध के घड़े में अंतिम बूंद साबित हुआ और आज घड़ा फूट गया।

2-3 जुलाई की रात को पुलिसकर्मियों की हत्या

विकास दुबे देशभर में तब सुर्खियों में आया जब उसने और उसके साथियों ने 2-3 जुलाई की रात को उसके घर दबिश देने गई पुलिस की टीम पर हमला कर दिया। विकास दुबे और उसके साथियों ने बेहद निर्दयता से 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी और वहां से फरार हो गया।     

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3 जुलाई पूरे यूपी में शुरू हुई तलाश

पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद फरार हुए गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों की धरपकड़ के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस ने अभियान छेड़ दिया और उसी दिन विकास दुबे की गैंग के 2 लोगों को एनकाउंटर में मार गिराया गया। उत्तर प्रदेश के 40 थानों की पुलिस विकास दुबे और उसके साथियों की तलाश में जुट गई।

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4 जुलाई को मकान गिराया गया और 50 हजार का इनाम

पुलिस ने विकास दुबे की तलाश में पूरे उत्तर प्रदेश में छापेमारी कर दी और साथ में विकास दुबे की सूचना देने वाले को 50 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया गया। इस दौरान स्थानीय प्रसाशन को पता चला कि विकास दुबे ने गैर कानूनी तरीके से अपना मकान बनाया हुआ था और साथ में गैर कानूनी तरीके से गाड़ियां रखी हुई थी। 4 जुलाई को स्थानीय प्रसाशन ने पुलिस के साथ मिलकर बिकरू गांव में स्थित विकास दुबे का पूरा मकान तोड़ दिया और साथ में गाड़ियों को भी नष्ट किया गया।

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5 जुलाई को विकास दुबे का नजदीकी साथी पकड़ा गया, इनाम की राशि 1 लाख

उत्तर प्रदेश पुलिस ने पूरे राज्य और पड़ोसी राज्यों में विकास दुबे के साथ उसके साथियों की तलाश तेज कर दी। 5 जुलाई को उसका एक करीबी साथी दया शंकर गिरफ्तार किया गया जो उस रात विकास दुबे के साथ ही था जिस रात उन्होंने पुलिसकर्मियों की हत्या की थी। दया शंकर ने बताया कि विकास दुबे को पुलिस स्टेशन से फोन आ गया था कि पुलिस की टीम उसके घर दबिश के लिए आ रही है। दया शंकर से और भी पूछताछ की गई। इस दौरान पुलिस ने विकास दुबे पर रखे गए ईनाम की राशि को बढ़ाकर 1 लाख रुपए कर दिया। उसी दिन उन पुलिस कर्मियों को भी निलंबित कर दिया गया जिनपर आरोप लगा कि उन्होंने विकास दुबे के लिए मुखबरी की थी।

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6 जुलाई को छापेमारी तेज हुई 3 लोगों को पकड़ा गया

उत्तर प्रदेश पुलिस ने 6 जुलाई को विकास दुबे की तलाश में छापेमारी बढ़ा दी और उसी दिन विकास दुबे से जुड़े होने के शक में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास दुबे की सूचना देने वाले को इनाम की राशि बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी और इतने बड़े इनाम के साथ विकास दुबे उत्तर प्रदेश के 3 सबसे बड़े इनामी बदमाशों में शामिल हो गया।

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7 जुलाई को फरीदाबाद से भागा, गुर्गे प्रभात की हुई गिरफ्तारी

विकास दुबे की 7 जुलाई को ही गिरफ्तार हो जाता लेकिन उस दिन पुलिस को भनक थोड़ी देर बाद लगी। उस दिन खबर आई कि विकास दुबे फरीदाबाद के एक होटल में कमरा मांगने के लिए गया था। लेकिन जबतक पुलिस वहां पहुंची तो वह भाग चुका था। लेकिन पुलिस ने उसके करीबी प्रभात को गिरफ्तार कर लिया। प्रभात ने ही विकास दुबे को फरीदाबाद में शरण दे रखी थी और पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले दिन भी वह उसके साथ था। प्रभात से पुलिसकर्मियों से लूटी हुई पिस्टल भी बरामद की गई।

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 8 जुलाई को प्रभात और अमर का एनकाउंटर, विकास दुबे पर इनाम 5 लाख हुए

पुलिस ने विकास दुबे के जिस खास गुर्गे प्रभात को गिरफ्तार किया था उसे 8 जुलाई को जब कानपुर लेकर जा रहे थे तो गाड़ी का टायर पंचर हुआ और उसने वहां से भागने की कोशिश की। पुलिस ने एनकाउंटर में उसे मार दिया। उसी दिन पुलिस ने विकास के राइट हैंड माने जाने वाले अमर दुबे को भी एनकाउंटर में मार दिया। 8 जुलाई के दिन विकास दुबे की सूचना देने वाले को इनाम की राशि बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई और वग उत्तर प्रदेश का सबसे वांटेड अपराधी बन गया।

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9 जुलाई को उज्जैन से गिरफ्तार, पत्नी ने भी किया सरेंडर

गुरुवार 9 जुलाई को खबर मिली की विकास दुबे मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित भगवान महाकाल के मंदिर में देखा गया है। मध्य प्रदेश पुलिस वहां पहुंची और उसे गिरफ्तार किया। बाद में शाम को उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे अपने कब्जे में लिया और कानपुर वापस लेकर आने लगी। विकास दुबे की पत्नी भी अपने बेटे के साथ 3 जुलाई से फरार चल रही थी और उसने भी 9 जुलाई को ही शाम को लखनऊ में सरेंडर किया।

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10 जुलाई को हुआ अंत

विकास दुबे को आज उत्तर प्रदेश पुलिस उज्जैन से कानपुर लेकर आ रही थी और कानपुर से लगभग 15 किलोमीटर पीछे वह गाड़ी रास्ते में पलट गई जिसके अंदर पुलिसकर्मियों के साथ विकास दुबे बैठा हुआ था। विकास दुबे ने पुलिस कर्मियों के हथियार छीने और 2 पुलिस कर्मियों को गोली भी मारी। साथ में चल रही अन्य गाड़ियों में बैठे पुलिस कर्मियों ने विकास दुबे पर गोली चलाई और उसे अस्पताल के लिए भेजा गया। लेकिन अस्पताल में पहुंचने पर उसकी मौत हो चुकी थी।

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