BIG NewsINDIATrending News

राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि मूक पर्वत की शिलाएं भेजी गईं अयोध्या

राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि मूक पर्वत की शिलाएं भेजी गईं अयोध्या
Image Source : T RAGHAVAN

हम्पी. तकरीबन 500 सालों के इंतजार के बाद अयोध्या में भगवान श्री राम के मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है। इसको लेकर अयोध्या और उत्तर भारत के लोगों में जितना उत्साह है, उतने ही खुश दक्षिण भारत के लोग भी हैं। सबसे ज्यादा खुशी कर्नाटक किष्किंधा में रहने वाले लोगों को है क्योंकि इस शहर का नाता भगवान राम से सीधे जुड़ा है। वर्तमान में किष्किंधा को हम्पी के रूप में पहचाना जाता है, यह वो स्थान है जहां आज भी रामायण के सुबूत देखने को मिलते हैं।

राम भक्तों की ओर से किष्किंधा के प्रसिद्ध अंजनाद्री पर्वत ऋषि मूक पर्वत की शिला को अयोध्या  भेजा जा रहा है। यह शिला भगवान राम के भव्य मंदिर की नींव का हिस्सा होगी। रामायण में किष्किंधा नगर, राम भक्त हनुमान की जन्म स्थली और ऋषि मूक पर्वत को काफी प्रमुखता से वर्णित किया गया है।

ram mamdir bhoomi bujan hampi stones taken to ayodhya । राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि

राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि मूक पर्वत की शिलाएं भेजी गईं अयोध्या

पौराणिक मान्यता है कि तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित अंजनाद्री पर्वत पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ है। ऋषि मूक पर्वत वह जगह है जहां पर बाली से जान बचाने के लिये वानर राजा सुग्रीव रहते थे, यह वही जगह है जहां पर पहली बार भगवान राम और राम भक्त हनुमान का मिलन हुआ था।

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह पूरा पहाड़ ऋषि-मुनियों की हड्डियों से बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि जब राक्षस राज रावण ने ऋषि-मुनियों का नरसंहार किया, तब उसने सभी ऋषि मुनियों के शवों का ढेर लगा दिया गया और उनकी हड्डियों से जो पहाड़ खड़ा हुआ, उसे ऋषि मूक पर्वत कहा जाता है, यहां अब भी ऐसा माना जाता है कि सद गति को प्राप्त हुए ऋषि मुनि मौन रहकर, तपस्या में लीन हैं।

ram mamdir bhoomi bujan hampi stones taken to ayodhya । राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि

राम मंदिर भूमि पूजन के लिए किष्किंधा के ऋषि मूक पर्वत की शिलाएं भेजी गईं अयोध्या

वानर राज सुग्रीव की अपने भाई बाली के साथ जब लड़ाई हो गई तो अपनी जान बचाने के लिए सुग्रीव ऋषि मुख पर्वत पर छुपे थे, बाली की शाप मिला था कि वो ऋषि मूक पर्वत पर पैर नहीं रख सकता, बाली को ऋषि मतंग ने श्राप दिया था कि वह ऋषियों की हड्डियों से बने इस ऋषि मूक पर्वत के आसपास भी जाएगा तो भस्म हो जाएगा।

इसी वजह से बाली कभी भी ऋषि मुख पर्वत पर नहीं जा पाया, यह वही जगह है जहां भगवान राम की मदद से सुग्रीव ने बाली को हराया और भगवान राम ने बाली का वध कर सुग्रीव को किष्किंधा का राजपाठ दिलवाया। इसी पर्वत से कुछ किलोमीटर दूरी पर अंजनाद्री पर्वत भी मौजूद है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था ।

इन दोनों पर्वतों के मध्य तुंगभद्रा नदी बहती है जिसका जिक्र भी रामायण में है। यही वजह है कि यहां के राम भक्त ऋषि मूक पर्वत की शिला, अंजनाद्री पर्वत की मिट्टी और तुंगभद्रा नदी का पवित्र जल अयोध्या पहुंचा रहे हैं। न सिर्फ किष्किंधा बल्कि  कावेरी नदी का पवित्र जल और मिट्टी भी अयोध्या पहुंचाई जा रही है। चामराजनगर जिले में तलै कावेरी वह जगह है जहां से कावेरी नदी का उद्गम होता है यहीं से नदी का पवित्र पानी और मिट्टी अयोध्या पहुंचाई जा रही है। तलै कावेरी के मुख्य पुजारी ने इस पवित्र जल और मिट्टी की पूजा की जिसके बाद इसे अयोध्या रवाना कर दिया गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page