दशहरा के दिन,आज मिलो तक फैला है सन्नाटा, यादे-दशहरा 2019 का देखें वीडियो।


0 शाम 6:00 बजे के बाद प्रशासन के निर्देशानुसार व्यापारियों ने किए दुकान बंद।
कवर्धा। कोरोना वायरस के चलते लोगों की जिंदगी से लेकर दिनचर्या में आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिल रहा है वही तीज त्यौहार भी इस संक्रमण काल के चलते उल्लास और उमंग नहीं रहा। दशहरा का पर्व असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक इस त्यौहार का लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है, नवरात्रि के बाद विजयदशमी के दिन रावण का दहन से लेकर राजा की सवारी निकलने व पूरी रात खरीद-फरोख्त करते समय हर जगह कयामत की भीड़ नजर आती थी। लोगों में उत्साह और उमंग देखते ही बनता था, एक दूसरे के घरों में जाकर बधाई देने का सिलसिला कई दिनों तक जारी रहता था, सड़कों में जो मिलता था उससे गले मिलकर मुबारकबाद पेश की जाती थी, लेकिन इस दफा दशहरे के दिन यह नजारा कहीं खो सा गया है, हर तरफ मायूसी और उदासी का माहौल देखने को मिल रहा है, जिस बाजार में पूरी रात रौनक रहती थी,ग्रामीण से लेकर शहर के लोगों की भीड़ जमा होकर दुकानों में खरीद-फरोख्त करते हुए नजर आते थे, आज वही सड़क वीरानियों के साए में है, हर तरफ सन्नाटा फैला हुआ है प्रशासन के निर्देशानुसार व्यापारी 6:00 बजे से ही अपना दुकान समेटना शुरू कर दिए थे, जो 7 बजे के आसपास बाजार की रौनक सन्नाटे के आगोश में खो गई, लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं, आवाजाही आम दिनों के जैसा ही है, कहीं से भी यह प्रतीत नहीं हो रहा है कि आज दशहरा का बड़ा पर्व है, इसी बीच गिने-चुने लोगों की मौजूदगी में शाम में रावण दहन का आयोजन किया गया, राजमाता रानी शशि प्रभा देवी के निधन व पूर्व से ही निर्धारित नियमों के तहत इस बार राजमहल से राजा की शाही सवारी शहर भ्रमण के लिए नहीं निकल पाई।
व्यपारियो में मायूसी खासकर छोटे और फुटकर व्यापारियों को दशहरा में व्यापार के लिए पूरा साल इंतजार रहता है, इस दिन फुटपाथ के किनारे में अस्थाई दुकान लगाकर दो-तीन दिन व्यापार करते थे जिससे उन्हें कुछ आमदानी हो जाती थी, जो उनके परिवार के लिए कुछ महीने के लिए भरण पोषण करने के लिए पर्याप्त रहता था,लेकिन लगातार कोरोना संक्रमण काल के चलते फुटकर व्यापारियों की हालत बद से बदतर हो गई है, परिवार के पालन पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, व्यापारी राजकुमार ने बताया कि वह खिलौने की दुकान 2 दिनों के लिए फुटपाथ में लगाकर व्यापार करता था,जिससे कुछ पैसे कमा लिया करता था, लेकिन इस बार यह भी नसीब नहीं हुआ।
व्यापारियों और आम जनता का अभूतपूर्व प्रशासन को समर्थन कवर्धा की जनता इस मामले में पूर्णता एकजुट दिखी, अष्टमी के दिन धारा 144 का भी पालन आम जनता व व्यापारी ने किया, सड़कों पर लोगों की भीड़ नदारद थी इसी बीच सन्नाटे में तीनों मंदिरों से खप्पड़ निकला जो पूरे शहर का भ्रमण किया। वही दशहरे के दिन भी शाम 6:00 बजे से ही व्यापारियों ने अपना दुकान बंद करना शुरू कर दिया था, जबकि इसी वक्त में सबसे ज्यादा खरीद बिक्री होती है