क्या है बासमती का GI टैग जिसकी वजह से मध्य प्रदेश और पंजाब हैं आमने-सामने?


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भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पंजाब की कांग्रेस सरकार के उस कदम को लेकर आपत्ति जताई है जिसमें पंजाब सरकार मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती चावल को जीआई (GI) टैग दिलाने का विरोध कर रही है। पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती चावल को GI टैग नहीं देने के लिए कहा है।
क्या है GI टैग
GI टैग यानि जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन टैग उन चुनिंदा उत्पादों को दिया जाता है जो किसी एक विशेष क्षेत्र या जगह में ही पैदा होते हैं या तैयार किए जाते हैं। नियमों के मुताबिक सिर्फ 8 राज्यों में पैदा हे वाले बासमती चावल को ही GI टैग प्राप्त है और नियमों के मुताबिक उसे ही बासमती चावल कहा जाता है।
पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली में पूरे राज्य तथा जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्से और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पैदा होने वाले बासमती धान से निकलने वाले चावल को ही बासमती चावल कहलाने का दर्जा मिला हुआ है और इन्हीं जगहों में पैदा हुए चावल को बासमती का GI टैग प्राप्त है। भारत के अलावा पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में पैदा होने वाले चावल को बासमती चावल का दर्जा है।
भारत बासमती का सबसे बड़ा निर्यातक
बासमती चावल के इस GI टैग की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत बासमती का सबसे बड़ा निर्यातक है क्योंकि दुनिया में भारत और पाकिस्तान के अलावा अन्य किसी भी देश के बासमती का GI टैग नहीं है। भारत ज्यादा मात्रा में बासमती चावल पैदा करता है और पाकिस्तान उतना चावल पैदा नहीं कर पाता, ऐसे में बासमती चावल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत वर्ल्ड लीडर है और हर साल लगभग 40 लाख टन चावल का निर्यात करता है।
GI टैग की वजह से पंजाब और यूपी को ज्याफा मुनाफा
क्योंकि बासमती चावल और धान की कीमत सामान्य चावल और धान के मुकाबले ज्यादा होती है और पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही इसका ज्यादा उत्पादन होता है, तो इसके निर्यात का लाभ भी इसको पैदा करने वाले राज्यों के किसानों और कारोबारियों को ज्यादा मिलता है। चीन सहित दुनिया के कई देश भी बासमती चावल जैसी किस्में उगाकर चावल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतरने की फिराक में हैं, लेकिन GI टैग के नियमों के मुताबिक बासमती भारतीय जियोग्राफी में ही पैदा होती है ऐसे में बासमती के नाम पर वे देश अपना चावल नहीं बेच सकते।
MP कर रहा है बासमती जैसी किस्म का उत्पादन
भारत में मध्य प्रदेश लंबे समय से बासमती जैसी किस्म का उत्पादन कर रहा है और भारतीय बाजार में कई जगहों पर मध्य प्रदेश का बासमती बिक भी रहा है लेकिन क्योंकि बासमती जैसे मध्य प्रदेश के चावल को बासमती नाम नहीं मिल सकता ऐसे में मध्य प्रदेश के किसानों को वह लाभ नहीं मिल पाता जो पंजाब, हरियाणा और बासमती का GI टैग प्राप्त दूसरे राज्यों के किसान हासिल कर रहे हैं।
यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार अपने यहां पैदा होने वाले चावल को लंबे समय से GI टैग दिलाने की मांग कर रही है और पंजाब तथा अन्य राज्य इसका विरोध भी कर रहे हैं क्योंकि उनको डर है कि कहीं मध्य प्रदेश को GI टैग में शामिल कर लिया तो दुनिया के अन्य देश भी इस छूट का इस्तेमाल करके बासमती चावल के अंतरराष्ट्रीय बाजार में कूद जाएंगे।