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छत्तीसगढ़ी को समृद्ध बनाने लोक व्यवहार और दैनिक उपयोग में लाना जरूरी: अमरजीत भगत

रायपुर: संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि राजभाषा वास्तव में राज्य व समाज के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी राजभाषा को लोक व्यवहार, दैनिक उपयोग में लाकर ही परिष्कृत या समृद्ध किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग की ओर से छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार-प्रसार एवं इसकी उपयोगिता के लिए गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत शनिवार को घासीदास संग्रहालय स्थित सभाकक्ष में राजभाषा आयोग के 14वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित किए। मंत्री भगत ने कार्यक्रम के दौरान छत्तीसगढ़ी बोली-भाखा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए इसके दस्तावेजीकरण, लेखन एवं पुस्तक प्रकाशन, स्थानीय लोगों के लेखों और विचारों के प्रकाशन पर बल दिया। इसके जीवन में, व्यवहार में लोक भाषा एवं लोक गीत और संगीत है, वास्तव में उनके जीवन में उत्कर्ष और ललक है। कोई कितना भी थका-हारा क्यों न हो लोक गीत गाना और गुनगुनाना उसकी थकन को दूर कर देता है। लोक गीत-संगीत जीवन में उर्जा प्रदान करता है। प्रदेश की भाषा, कला-संस्कृति और साहित्य को संरक्षित और सवंर्धित करना और देश-दुनिया में प्रचारित करने का प्रयास हम सबको मिलकर करना चाहिए। सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। उन्होंने मीडिया के साथियों, साहित्यकारों, कवियों, लेखकों से छत्तीसगढ़ भाषा को बढ़ावा देने का आग्रह किया।


कार्यक्रम में संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि भाषा को समृद्ध बनाने के लिए मानकीकरण की बात होती है। मानकीकरण और मापदंड के साथ हम छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का अभियान चला रहे हैं। यह अभियान छत्तीसगढ़ी भाषा में ही चलाया जाना चाहिए। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएल वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयासों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक विवेक आचार्य, राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अनिल भतपहरी, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जेआर सोनी, डॉ. पंचराम सोनी सहित जिला समन्वयक एवं साहित्यकार, कवि और लेखक उपस्थित थे।

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