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संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तकनीकी टीम ने भोरमदेव मंदिर का निरीक्षण किया।

संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के तकनीकी टीम ने भोरमदेव मंदिर का निरीक्षण किया।


तकनीकी टीम ने मंदिर के बाहरी भाग में भी चावल व केमिकल युक्त गुलाव व अन्य समाग्री छिड़कने पर प्रतिबंध लगाने की रिपोर्ट दी।

कवर्धा, 16 सितम्बर 2021। राज्य शासन के संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम द्वारा कबीरधाम जिला प्रशासन के रिर्पोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक भोरमदेव मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में जल्द ही काम शुरू किया जाएगा। इसकी प्रांरभिक तैयारियां शुरू हो गई है।


फणीनागवंशी काल, 11वीं शताब्दी में निर्मित छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक, पुरात्व,पर्यटन एवं धार्मिक जन आस्था के केन्द्र भोरमदेव मंदिर के परिसर एवं गर्भगृह में हो रहे बरसात के पानी के रिसाव व मंदिर के बाहरी भाग के क्षरण के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए जिला प्रशासन की रिपोर्ट पर आज गुरूवार को छत्तीसगढ़ संस्कृति एवं पुरात्व विभाग की टीम ने मंदिर परिसर का अवलोकन किया। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के डिप्टी डायरेक्टर श्री अमृत लाल पैकरा की अवलोकन टीम में चार अलग-अलग तकनीकी विशेषज्ञों ने बारिकी से निरीक्षण किया। निरीक्षण टीम में पुरात्व विभाग के सहायक अभियंता श्री सुभाष जैन, उप अभियंता श्री दिलीप साहू, केमिस्ट श्री विरेन्द्र धिवर, मानचित्रकार श्री चेतन मनहरे और जिला प्रशासन की ओर से कवर्धा एसडीएम श्री विनय सोनी, डिप्टी कलेक्टर श्री रश्मी वर्मा, बोडला तहसीलदार श्री अमन चतुर्वेदी शामिल थे।
पुरात्व विभाग की संयुक्त टीम ने भोरमदेव मंदिर परिसर एवं आसपास क्षेत्रों को बारिकी से अवलोकन किया। अवलोकन के बाद टीम ने कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा को भोरमदेव मंदिर परिसर के गर्भ गृह में पानी का रिसाव,व बाहरी भाग के रक्षण होने के वास्तविक कारणों को बताया।
पुरात्व विभाग की विशेषज्ञों की टीम ने बताया छत्तीसगढ़ में 11 वीं शताब्दी काल में निर्मित व इसके समकालिन अन्य मंदिरों की तुलना में भोमरदेव मंदिर की स्थिति बहुत ही अच्छा है। कुछ कारणों से पानी का रिसाव हो रहे हैं, इसकी रिपोर्ट विभाग को दे दी जाएगी। विशेषज्ञों की टीम ने भोरमदेव मंदिर की संरक्षण व संवर्धन की दिशा में मंदिर की उपरी भाग की विशेष साफ सफाई, पत्थरों के जोड़ों को पुनः फिलिंग करने व विशेष कोडिंग के लिए रिपोर्ट बनाई है। टीम ने मंदिर के आसपास के पेड़ों की छटाई करने की रिपोर्ट जिला प्रशासन को दी है। टीम ने बताया कि पतझड़ के मौसम में आसपास के पेड़ों के पत्तें मंदिर के उपरी भाग में जम गए है, जिसकी वजह से पानी की निकासी सही नहीं हो पा रही है। पुरात्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के चारों दिशा में भूतल से नए सिरे से फिलिंग करने के लिए सर्वे किया है।
तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने मंदिर के गर्भगृह के बाहरी भाग में चावल व केमिकल युक्त गुलाल, चंदन व वंदन लगाने के लिए प्रतिबद्ध करने की बात कही है। एसडीएम श्री विनय सोनी ने बताया कि मंदिर में अंदर गर्भगृह में भोरमेदव प्रतिभा में चावल व केमिकल युक्त गुलाल पर प्रतिबद्ध लगाया है। पुजारी श्री अशीष शास्त्री ने बताया कि जिला प्रशासन के निर्देश पर गर्भगृह में चावल व केमिकल युक्त अन्य समाग्री के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। सर्व साधारण को सुचना देने के लिए प्रबंधन समिति की ओर से सुचना देने सूचना चस्पा की गई है।

पुरात्व विभाग की टीम द्वारा शीघ्र ही भोरमदेव मंदिर के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में काम किए जाएंगे – कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा

कलेक्टर श्री रमेश कुमार शर्मा ने बताया कि भोरमदेव मंदिर में पानी की रिसाव की समस्या व मंदिर के विशेष सफाई के लिए जिला प्रशासन द्वारा पुरात्व विभाग को रिपोर्ट भेजी गई थी। रिपोर्ट एव सुचना के आधार पर संस्कृति एवं पुरात्व विभाग के विशेषज्ञ टीम व जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में संयुक्त रूप से आज गुरूवार को मंदिर का अवलोकन किया गया। मंदिर में होने वाले पानी रिसाव की समस्या के कारणों को पता लगाया गया है। रिपोर्ट के आधार पर पुरात्व विभाग द्वारा शीघ्र की मंदिर की मेटनेंश का काम किया जाएगा।

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