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भूमि डायवर्सन कराने में आवेदकों के छूट रहे पसीनें, कलेक्टर के निर्देशों के बावजूद छः माह से लंबित है सैकड़ों प्रकरण

कवर्धा। कबीरधाम जिले में राजस्व प्रकरण काफी संख्या में लंबित है वहीँ कोविड-19 की वजह से जिले में लगे लॉकडाउन की वजह से इसकी संख्या और बढ़ गई है। राजस्व प्रकरणों के निपटान के लिए प्रदेश के मुखिया सहित मंत्री मोहम्मद अकबर भी राजस्व मामलों में तेजी लाने के लिए अधिकारीयों को बैठक में निर्देश देते रहते हैं। किन्तु उसके बाद भी जिले में राजस्व लंबित मामलों की संख्या काफी ज्यादा है। भूमि डायवर्सन के मामले ज्यादा संख्या में लंबित है और इन लंबित प्रकरणों का कारण कहीं न कहीं भ्रष्टाचार की ओर इंगित करता है।

कल कलेक्टर ने बैठक में सभी राजस्व अधिकारियों/अनुविभागीय अधिकारियों सहित राजस्व अमलों को निर्देश दिया है की राजस्व प्रकरणों का जल्द से जल्द निपटारा किया जाये। कलेक्टर ने कहा कि नामांतरण का कोई प्रकरण लंबित न रहे यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने विवादित प्रकरणों में टीम गठित कर सीमांकन की कार्रवाई पूरी करने की कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होने नामांतरण, सीमांकन, बटांकन, फौती, खाता रिकार्ड दुरूस्तीकरण, ऑनलाईन रिकार्ड दुरूस्तीकरण, नजूल भूमि का नवीनीकरण, डायवर्सन, भू-भाटक और बकाया राजस्व वसूली सहित अन्य लंबित राजस्व प्रकरणों का त्वरित निराकरण किये जाने का सख्त निर्देश दिए हैं।

सैकड़ों भूमि डायवर्सन प्रकरण छः माह से है लंबित

एक ओर पूरा राजस्व अमला को कलेक्टर लंबित कार्य शीघ्र-अतिशीघ्र पूर्ण करने का निर्देश देते हैं और वहीँ दूसरी ओर एसडीएम कार्यालय में भूमि डायवर्सन के सैकड़ों मामले है जो विगत छः माह से लंबित पड़े हैं। कुछ आवेदकों ने नाम न बताने के शर्त पर बताया कि उनका भूमि डायवर्सन का प्रकरण एसडीएम कार्यालय कवर्धा में विगत छः माह से लंबित है। वे कार्यालय के चक्कर लगा लगा कर थक चुके हैं। उन्होंने बताया कि डायवर्सन हेतु लगने वाले पूरा पेपर संलग्न करने के बावजूद भी उनका डायवर्सन नहीं हो पा रहा है वहीँ कई ऐसे भी लोग हैं जिनका डायवर्सन महज एक माह से कम समय में ही हो जा रहा है। कई आवेदक ने यहाँ तक कहा कि जल्दी डायवर्सन कराने के लिए पैसे मांगते है पैसे नहीं देने की असमर्थता जताने पर नियम में फेरबदल कर देते हैं और ये कागज की कमी है बोलकर आवेदक को फिर घुमाया जाता है।

आवेदक ने बताया की आवेदन प्रस्तुत करने पर नियमतः प्रकरण को राजस्व विभाग के पोर्टल में ऑनलाइन दर्ज करना होता है जिससे आवेदक को आवेदन की स्थिति का पता घर बैठे मिल सके। किन्तु कार्यालय में आवेदन को तत्काल ऑनलाइन नहीं किया जाता और न ही आवेदक को उसकी पावती दी जाती है। प्रकरण को कार्यालय द्वारा अपने हिसाब से आवेदन प्रस्तुत दिनांक को छोड़ डायवर्सन प्रक्रिया पूर्ण होने के 4-6 दिवस पूर्व ही ऑनलाइन में दर्ज किया जाता है जिससे ये भी स्पष्ट नहीं हो पाता की कौन से प्रकरण कार्यालय में कब प्रस्तुत किया गया। इसी बात का फायदा उठाकर कार्यालय के कर्मचारी द्वारा अपने हितैषियों का काम जल्दी कर देते हैं और अन्य लोग छः-छः माह तक कार्यालय का चक्कर लगाते रहते हैं।

डायवर्सन पूरा करने राज्य सरकार का है भूमि डायवर्सन सरलीकरण का नियम

पूरे प्रदेश में डायवर्सन में विलंब होने की मिल रही शिकायत पर राजस्व विभाग ने इसमें तेजी लाने के लिए सरलीकरण का नियम लाया है। पूर्व में इसे पूरा करने के लिए लगभग दो से तीन माह तक का समय लग जाता था। अब कृषि से आवासीय रूप में दर्ज करने के लिए सभी दस्तावेजों को प्रमाणीकरण के साथ प्रस्तुत करने पर जिसे 72 घंटे के अंदर करने का प्रावधान कर दिया गया है। किन्तु नियमों के सरलीकरण के बावजूद भी जिले में डायवर्सन के नई गाइडलाइन का पालन नही हो रहा है।

डायवर्सन के लिए ये है नई गाइड लाइन

  • मौके पर ही आवेदन जांच के बाद ही लिए जाएंगे।
  • भू-अभिलेख के दस्तावेजों को पूरा कराने की प्रक्रिया होगी।
  • डायवर्सन होने वाली एरिया की संबंधित हल्का के पटवारी करेंगे मुआयना।
  • आपत्ति के बदले आवेदक को देंगे काम होने की सूचना।
  • भुईंया में संबंधित खसरा नंबर के डायवर्सन को दर्ज करेंगे।

 

अधिकारी क्या कहते हैं? 

कार्यालय में बिना आपत्ति के डायवर्सन के एक भी प्रकरण लंबित नहीं है। बिना पैसा डायवर्सन कार्य में देरी होने की बात पर अधिकारी ने साफ़ इंकार किया। कौन आवेदक पैसा दिया है? किसको पैसा दिया है? कौन दे रहा है? क्यों दे रहा है? एसीबी में जाये शिकायत करें।

: एसडीएम कवर्धा (विनय सोनी)

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