Chhattisgarh

खैरागढ़ : केसीजी की रागी से बनेगा, स्वादिष्ट लड्डू-डोसा और ठेठरी-खुरमी

सूक्ष्म धान्य की वैज्ञानिक कृषि से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करें-डॉ. जगदीश सोनकर

मैने इस वर्ष एक एकड़ में मढ़िया बोया है, फसल का उत्पादन अच्छा हुआ है -पुरुषोत्तम वर्मा, किसान, दिलीपपुर

लघुधान्य फसल रागी के उत्पादन से किसानों को है ज्यादा फायदा-उपसंचालक कृषि, केसीजी

लक्ष्य : सूक्ष्म धान्य की वैज्ञानिक कृषि, उत्पादन में वृद्धि, किसानों के आय बढ़ाना और सुपोषण को बढ़ावा देना

केसीजी से इस वर्ष लगभग 250 किसानों ने अपने 140 हेक्टेयर खेतों में बोया रागी की फसल

छत्तीसगढ़ बीज निगम, रागी को 5700 रु प्रति क्विंट्ल की दर पर खरीदेगी

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई। कलेक्टर डॉ जगदीश सोनकर ने कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक लेकर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2022-23 में सूक्ष्म धान्य की फसल को बढ़ावा देने निर्देश दिए थे। इसका उद्देश्य जिला में सूक्ष्म धान्य कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और रागी (मड़िया) की फसलों की वैज्ञानिक कृषि, उत्पादन में वृद्धि, किसानों की आय बढ़ाना और सुपोषण को बढ़ावा देना था। जिला में इस वर्ष लगभग 250 किसानों के द्वारा खेतों में रागी-मढ़िया की फसल उगाई गई।

जिला में सूक्ष्म धान्य की वैज्ञानिक कृषि से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करें-डॉ. जगदीश सोनकर
केसीजी कलेक्टर डॉ. जगदीश सोनकर ने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि जिला में सूक्ष्म धान्य की वैज्ञानिक कृषि से अधिक से अधिक किसानों को लाभान्वित करें। इस मिशन से जोड़कर किसानों को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन दे, जिससे लघु धान्य फसलों के उत्पादन को बढ़ावा मिल सके। कृषि विभाग के उपसंचालक राजकुमार सोलंकी ने बताया कि जिले में इस वर्ष लगभग 140 हेक्टेयर जमीन में किसानों के द्वारा रागी-मढ़िया की फसल बोई गई है। “रागी” एक ऐसी लघु धान्य फसल है जिसको रबी व खरीफ दोनो ही मौसम में बोई जा सकती है। खैरागढ़ क्षेत्र के प्रगतिशील कृषक ग्राम दिलीपपुर निवासी पुरुषोत्तम वर्मा के लहलहाते हुए “रागी” के फसल को देखने दूर दूर से लोग आ रहे हैं।

लघुधान्य फसल रागी के उत्पादन से किसानों को है ज्यादा फायदा
कृषि उपसंचालक सोलंकी ने बताया कि लघुधान्य फसल रागी के उत्पादन से किसानों को बहुत फायदा है जैसे रागी का फसल लगभग 140 दिनो में हार्वेस्टिंग के लायक हो जाती है। इस फसल की सबसे खास बात यह है की यह अल्प वृष्टि वाले क्षेत्रों के लिए एक बेहतर विकल्प है।जिसमे न ज्यादा पानी की जरूरत होती है न खाद और न ही किसी प्रकार से कीटों का प्रकोप होता है।किसानों के इस उत्पादन को छत्तीसगढ़ बीज निगम द्वारा 5700/ रु प्रति क्विंट्ल की दर पर खरीदा जायेगा,इस फसल का उत्पादन स्तर भी लगभग 12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जो लागत की तुलना में काफी बेहतर है। विगत दिनों संयुक्त संचालक कृषि संभाग दुर्ग के आर के राठौर ने भी कृषक पुरुषोत्तम वर्मा के खेत में जाकर रागी के फसल को देखा तथा क्षेत्र व विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए संबंधित अधिकारियों को बधाई दी।

रागी में होता है भरपूर विटामिन व मिनरल्स, रागी से बनता है स्वादिष्ट व्यंजन
क्षेत्र के ग्राम सेवक बुलेश वर्मा ने बताया कि रागी एक लघु धान्य फसल है जो कोलेस्ट्रॉल व रक्त चाप को नियंत्रित करता है। इसमें विटामिन बी ट्वेल्व, विटामिन सी, खनिज पदार्थ व मिनरल्स ,की भरपूर मात्रा होती है। कैल्शियम की प्रचुरता,फाइबर के साथ साथ बच्चों में होने वाली बीमारी एनीमिया (खून की कमी) भी इसके सेवन से दूर हो जाता है। रागी को चावल जैसा पकाकर खाया जा सकता है, इससे बहुत स्वादिष्ट रोटी, ठेठरी, खुरमी, लड्डू और डोसा बनता है। वही पुराने समय में लोग इसका घोंटो, मढ़िया सूप बनाकर पीते थे, और स्वस्थ रहते थे।

मैने इस वर्ष एक एकड़ में रागी बोया है, फसल का उत्पादन अच्छा हुआ -पुरुषोत्तम वर्मा, किसान
ग्राम दिलीपपुर, खैरागढ़ के किसान पुरुषोत्तम वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग की जानकारी, प्रोत्साहन और सहयोग से मैंने इस वर्ष एक एकड़ में रागी की फसल को लगाया है, फसल का उत्पादन बहुत अच्छा हुआ है। पिछले कई कई साल से मौसम की मार की वजह से चना की पैदावार कम होती थी। लागत ही वसूल होता था किंतु अब विकल्प के रूप में मुझे रागी का फसल मिल चुका है, आने वाले समय में इसे ज्यादा मात्रा में लगाऊंगा।

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