कवर्धा बोड़ला:- उद्यानिकी विभाग के अजीब करनामें अनुदान के नाम पर चल रहा फर्जीवाड़ा विभाग के ही कर्मचारी विभाग को लगा रहे चुना।
बोड़ला – ग्राम पंचायत घोंघा में उद्यानिकी विभाग ने ऐसे कारनामे किए जिसे सुनकर विभाग के ही उच्च अधिकारी ने आश्चर्य जताया। आपने ये कहावत तो सुनी होगी सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे का। ये कहावत बिलकुल विभाग पर सटीक बैठती है। एक तरफ सरकार किसानों को आर्थिक बोझ ना पडे यह सोचकर उनके जीवकोपार्जन में सतत बढ़ोत्तरी हेतू तरह-तरह की योजनाएं लागू करती है तो वही इस योजना का लाभ विभाग के क्षेत्राधिकारी के द्वारा अपने चहेते किसान को दी जा रही है जिससे उनकी आपसी साथ गांठ हो सके। ऐसा ही एक मामला ग्राम घोंघा में देखने को मिला जिसमे कृषक शंकर पिता मशयाराम जिनकी भूमि 2.500 हे.में राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत फल विकास कार्यक्रम के तहत केला क्षेत्र विस्तार हेतु कुल 7715 केले के पौधा रोपित किया जाना था जिसमे किसान के द्वारा 3 से 4 माह पूर्व पौधा रोपण किया गया है और अनुदान की राशि 93750/- जो मार्च 2025 में मिलता परन्तु विभाग की मेहरबानी इतनी की मार्च 2024 में ही रोपण पूर्व ही किसान को अनुदान जारी कर दी गई।
राजेश्वरी पति नरेंद्र राउतकार जिनकी भूमि 2.550 हे. रोपित हेतु पौधों की संख्या 7869 जिसपर अनुदान राशि 95625/- इन्हे भी पहले अनुदान की राशि जारी की गई और बाद में रोपण किया गया। राशि जारी करने के पूर्व भौतिक सत्यापन किया जाता है उसके बाद ही राशि स्वीकृत की जाती है ऐसे में विभाग के कर्मचारियों के द्वारा आपसी साठ गाठ कर राशि पूर्व में ही जारी कर दी गई जो की जांच का विषय है बिना विभागीय साठ गाठ के राशि आना संभव ही नही है,मामला यही नही रुकता विभाग के द्वारा इन किसानों को द्वितीय वर्ष की अनुदान की राशि हेतु सर्वे कर इनका नाम चयनित किया गया है जबकि फसल लगे अभी 6 माह भी नही हुआ है विभाग आखिर इतना मेहरबान क्यों है?
गौर करने वाली बात तो ये भी है की राजेश्वरी पति नरेंद्र राउतकर जिनकी 3 वर्ष की पूर्व निर्मित भवन को नवीन पैक हाउस बताकर दो लाख का अनुदान हेतु चयनित किया गया है। इस विषय पर उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक आर एन पाण्डेय से पूछा गया तो उन्होंने बताया की पहले पौधारोपण किया जाता है उसके बाद अनुदान की राशि जारी की जाती है और यदि ऐसा हुआ है कि पहले अनुदान की राशि जारी कर दी गई है तो यह जांच का विषय है उस पर मैं जांच करवाता हूं और पुराने भवन पर अनुदान हेतु आया है तो उसकी भी जाँच कराने की बात कही । कुछ लोगों ने बताया की शंकर के नाम की भूमि बोड़ला जनपद में कार्यरत नरेंद्र राउतकर के रिश्तेदार की है। एक ही किसान को विभाग लगातार लाभ के ऊपर लाभ दे रहा है जो सोचने वाला विषय है केला के पौधा रोपण पहले उसी रकबे में पपीते का पौधा था और बाद में केला लगया गया जब कृषक को इस बात की भनक लगी तो आनन फानन में पपीता को काटकर गायब किया गया। भौतिक सत्यापन किया जाये तो पौधों की संख्या में भी बहुत अंतर आएगा। ये आंकड़ा सिर्फ लगभग 5 हेक्टेयर का है जबकि जिले में अनुदान 114 हेक्टयर में दिया गया है बारीकी से जाँच की जाती है तो लाखों की भ्रष्टाचारी सामने आएगी।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारी से फोन से बात चीत जानकारी प्रदान किया गया अधिकारी का कहना है की जांच करवाते है।