कवर्धा : जिले में भ्रष्टाचार चरम पर है कोई विभाग ऐसा नहीं है जहाँ भ्रष्टाचार की ख़बरें पढ़ने को नहीं मिलती हो। ऐसा ही एक निर्माण में अफसर और निर्माण एजेंसी के मिलिभगत से सरकारी धन का सुनियोजित तरीके से बन्दरबाँट हुआ है जिसकी बानगी पंडरिया विकास खण्ड के गांगपुर और चरखुरा कला में देखने को मिलेगी। जहाँ तत्कालीन इंजीनियर और निर्माण एजेंसी द्वारा निर्माण कार्य में भर्राशाही की गई है। जबकि विडम्बना है कि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारी को विभाग का प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी बना दिया गया है।
कबीरधाम जिला के पंडरिया विकास खण्ड में आर ई एस विभाग में विभागीय अधिकारी की उदासीनता कहें या निर्माण एजेंसी के साथ साठगांठ के चलते गांगपुर ग्राम पंचायत में 3 वर्ष बीत जाने पर भी लगभग 20 लाख रुपये की लागत से बनने वाले पुलिया का निर्माण कार्य पूर्ण नही हुआ है। वहीँ कार्य के निगरानी करने वाले अधिकारी के संरक्षण में निर्माण एजेंसी द्वारा उक्त कार्य मे 13 लाख 61 हजार रुपये आहरित कर लिया गया है जबकि कार्य का मूल्यांकन महज 10 लाख रुपये हुआ है। इस तरह निर्माण एजेंसी द्वारा 3 लाख 61 हजार रुपये का गबन किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पंडरिया के गांगपुर में पंडरी पथरा जाने वालें मार्ग पर वर्ष 2016 -17 में पुल निर्माण के लिए लगभग 20 लाख रुपये आर ई एस विभाग में स्वीकृत हुआ था जिसमें सांसद और विधायक मद से 5 -5 लाख रुपये तथा मनरेगा में 9 लाख 90 हजार की राशि है। उक्त कार्य मे आर ई एस के तत्कालीन इंजीनियर द्वारा जिस स्थल पर पुल निर्माण हेतु ले आउट दिया गया है उसके दोनों तरफ निजी जमीन और मकान है जिसकी जांच उच्चाधिकारी द्वारा किया गया परन्तु कार्यवाही शून्य रही। वहीँ कार्य 3 वर्ष बीत जाने पर भी अधूरा पड़ा है। पुल के निर्माण कार्य अपूर्ण रहने के कारण बरसात में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। ग्रामीणों के लिए ब्लॉक मुख्यालय आने के लिए एकमात्र वही मार्ग है।
गौरतलब है कि पंडरिया विकास खण्ड अंतर्गत स्थित चरखुरा कला में पुलिया निर्माण के लिए बी आर जी एफ मद से तकनीकी स्वीकृति क्रमांक 7966 दिनांक 17 दिसम्बर 2014 में 5 लाख रुपये की स्वीकृति आर ई एस विभाग में हुआ। उक्त पुलिया चरखुरा कला के डीलवापरा में अधूरा निर्माण कर छोड़ दिया गया है। इस कार्य मे भी निर्माण एजेंसी और विभागीय अधिकारी के मिलीभगत से शासकीय धन का बन्दरबाँट किया गया है। निर्माण एजेंसी द्वारा उक्त कार्य के लिए 4 लाख रुपये आहरित किया गया है जबकि कार्य का मूल्यांकन ढाई लाख रुपये हुआ है। इस कार्य का भी तत्कालीन इंजीनियर द्वारा गलत ले आउट दिया गया है जहाँ पुल की कोई उपयोगिता नही है उक्त स्थल पर पुल निर्माण का ले आउट देना और 6 वर्ष बीत जाने पर भी पुल का निर्माण पूर्ण नही होना विभागीय अधिकारी के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रहा है जिस पर जिला प्रशासक से ठोस कार्यवाही की दरकार है।