जिला स्तरीय आदिवासी दिवस 9 अगस्त 2025 को गंडई में मनाया जाएगा


AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो केसीजी
जिला स्तरीय आदिवासी दिवस गंडई में मनाया जाएगा
जिला खैरागढ़ छुईखदान गंडई के आदिवासी समाज प्रमुखों एवं छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के तत्वाधान में गंडई के मंडी प्रांगण में 3 अगस्त 2025 को अहम बैठक का आयोजन किया गया जिसमें 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए कार्यक्रम की अंतिम रूप रेखा तैयार किया गया
विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त 2025 को गंडई के मंडी प्रांगण में मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन जिला स्तरीय सर्व आदिवासी समाज द्वारा किया जा रहा है, जिसमें गोड़ समाज, कंवर समाज, कंडरा समाज, परधान समाज, बैगा समाज और अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के पदाधिकारी शामिल हैं।

कार्यक्रम के मुख्य बिंदु:
- विश्व आदिवासी दिवस: 9 अगस्त 2025 को गंडई में मनाया जाएगा।
- जिला स्तरीय कार्यक्रम: जिला भर के आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: आदिवासी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाएगा।
- अधिकारों के प्रति जागरूकता: आदिवासी समुदायों के अधिकारों और शिक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी।
- भागीदारी की अपील: सभी समाज के लोगों से तन, मन और धन से सहयोग देने की अपील की गई है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी समुदायों की संस्कृति, परंपराओं और अधिकारों को प्रोत्साहित करना है। इसमें आदिवासी समुदायों के विकास और कल्याण के लिए चर्चा की जाएगी और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी।
आदिवासियों के समक्ष कई ज्वलंत समस्याएं हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:
- आर्थिक समस्याएं: आदिवासियों को अपने जीवन और आजीविका के लिए आवश्यक संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है, जैसे कि भूमि, जल और वन संसाधनों की कमी।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी एक बड़ी समस्या है, जिससे आदिवासियों को अपने जीवन में आगे बढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- विस्थापन और पुनर्वास: आदिवासियों को बांध निर्माण, खनन और अन्य विकास परियोजनाओं के कारण विस्थापित किया जाता है, जिससे उन्हें अपने पारंपरिक आवास और आजीविका से वंचित होना पड़ता है।
- सांस्कृतिक और सामाजिक समस्याएं: आदिवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को खतरा है, जिससे उनकी पारंपरिक जीवनशैली और रीति-रिवाजों को खतरा है।
इन समस्याओं का निदान करने के लिए निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं:
- जन भागीदारी: आदिवासियों को अपने विकास और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए, जिससे उनकी आवश्यकताओं और समस्याओं का समाधान हो सके।
- सरकारी योजनाएं: सरकार को आदिवासियों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए, जैसे कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान, भूमि और जल संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन।
- आर्थिक सशक्तिकरण: आदिवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को सहयोग करना चाहिए, जैसे कि रोजगार के अवसर प्रदान करना और स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देना।
- सांस्कृतिक और सामाजिक संरक्षण: आदिवासियों की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित करने के लिए सरकार और गैर-सरकारी संगठनों को सहयोग करना चाहिए, जैसे कि उनकी पारंपरिक जीवनशैली और रीति-रिवाजों को प्रोत्साहित करना.¹
इसके अलावा, आदिवासियों के लिए निम्नलिखित उपाय भी हो सकते हैं:
- वन धन विकास योजना: आदिवासियों को वन उत्पादों के संग्रह और प्रसंस्करण के लिए सहायता प्रदान करना।
- प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान: आदिवासियों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए विशेष अभियान चलाना।
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं: आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रावधान करना।
इन उपायों को अपनाकर आदिवासियों की समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और उनके जीवन में सुधार लाया जा सकता है।