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खैरागढ़:-संगीत दिवस पर खैरागढ़ विश्वविद्यालय में किताब का विमोचन, विद्यार्थियों ने दी शानदार प्रस्तुति।

संगीत दिवस पर खैरागढ़ विश्वविद्यालय में किताब का विमोचन, विद्यार्थियों ने दी शानदार प्रस्तुति

खैरागढ़। विश्व संगीत दिवस के अवसर पर इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में शानदार सांगीतिक संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के गायन विभाग के असिस्टेंट प्रो. डाॅ. लिकेश्वर वर्मा द्वारा लिखित किताब “भारतीय संगीत एवं फ़की़रूल्लाह कृत रागदर्पण” का विमोचन कुलपति पद्मश्री डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर के मुख्य आतिथ्य तथा कुलसचिव प्रो. आई.डी. तिवारी के विशेष आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर अधिष्ठाता द्वय प्रो. डाॅ.हिमांशु विश्वरूप, प्रो.डाॅ. काशीनाथ तिवारी, फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रेम चंद्राकर, प्रो. डाॅ. नमन दत्त और किताब के लेखक डाॅ. लिकेश्वर वर्मा मंचासीन हुए।

विमोचन उपरांत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दी गई। प्रस्तुतियों की श्रृंखला में गायन विभाग के चैतन्य जोगलेकर ने शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी, जिनके साथ तबले पर देवेश कुमार, हारमोनियम पर दीपसुंदर भौमिक ने संगत किया। इसी तरह सुगम शिवाले ने गजल की प्रस्तुति दी, जिनके साथ तबले पर देवेश कुमार और की-बोर्ड पर किशन गबेल ने संगत किया। विवेक कुमार ने भी गजल की प्रस्तुति दी, जिनके साथ तबले पर दुष्यंत यादव और हारमोनियम पर अमित सुर्यवंशी ने संगति दी। तंत्रीवाद्य विभाग से कु. झिंकी राय और बिदेशी शवीन ने बेला जुगलबंदी पेश की, जिनके साथ तबले पर केशव प्रजापति ने संगत किया। अवनद्य विभाग से नेरियन वीरलापिन (माॅरीशस) ने तबला वादन पेश किया, जिनके साथ भोजराज आचार्य ने हारमोनयिम पर संगति दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति पद्मश्री डाॅ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर ने सभी को विश्व संगीत दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों की सराहना की, साथ ही विमोचित किताब “भारतीय संगीत एवं फ़की़रूल्लाह कृत रागदर्पण” को संगीत से जुड़े लोगों के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने लेखक डाॅ. वर्मा की प्रंशसा करते हुए कहा कि यह किताब लेखक की शोधपरक परिश्रम का परिणाम है, जो संगीत से सीधे संबंध न रखने वाले पाठकों को भी भारतीय संगीत के एक विशेष कालखंड से परिचय कराता है। आभार व्यक्तव्य देते हुए कुलसचिव डाॅ. आईडी तिवारी ने भी लेखक डाॅ. वर्मा की मेहनत, उनके लग्न और समर्पण की प्रशंसा की। उन्होंने विमोचित किताब के महत्व पर प्रकाश डालने के बाद संगीत और सज्जनता के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए डाॅ. लिकेश्वर वर्मा को इसका उदाहरण निरूपित किया। कार्यक्रम का संचालन छात्रा भक्ति बिसेन ने किया। इस अवसर पर अधिष्ठाता, प्राध्यापक, शिक्षक, विद्यार्थी, शोधार्थी, अधिकारी, कर्मचारी समेत पूरा विश्वविद्यालय परिवार उपस्थित था।

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