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आस्था समिति ने मनाई बाबा साहब अंबेडकर जी की 135 वीं जयंती

आस्था समिति ने मनाई बाबा साहब अंबेडकर जी की 135 वीं जयंती

कवर्धा। आज दिनांक 14 अप्रैल 2025 को कलेक्टर कार्यालय के पीछे ऊर्जा पार्क के पास स्थित आस्था समिति का कार्यालय में जिले के प्रतिष्ठित स्वयंसेवी संस्था आस्था समिति द्वारा भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का जयंती मनाया गया। इस अवसर पर संस्था प्रमुख दौलत राम कश्यप एवं संस्था से जुड़े सभी कार्यकर्ताओ के द्वारा बाबा साहब के तैल चित्र का पूजा अर्चना कर भारत के सविधान एवं उद्देशिका का पालन करने हेतु शपथ लिया गया। आस्था समिति के योगदान की जानकारी देते हुए कहा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के लगन, कठिन परिश्रम एवं योगदान से भारत को विश्व का सर्वश्रेष्ठ संविधान प्राप्त हुआ उनके अथक परिश्रम से ही लोकतंत्र और सबको समान अधिकार का सविधान मिल पाया। उन्होंने देश के कानून मंत्री रहते हुए अनेको जन कल्याणकारी कानूनों की नींव रखी जिसमे वंचित समूहों, महिलाओं को खास अधिकार सुनिश्चित कराया सविधान एवं कानूनों में दिए गए आदर्श, आचरण निभाने का संकल्प लेना ही बाबा साहब ने सन्देश दिए। बाबा साहब के तीन मन्त्र को बताया की शिक्षित बनो, संघर्ष करो और संगठित रहो।

कार्यक्रम प्रबंधक राजेश गोयल ने बताया की अम्बेडकर जी समानता को लेकर काफी प्रतिबद्ध थे। उनका मानना था कि समानता का अधिकार धर्म और जाति से ऊपर होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध कराना किसी भी समाज की प्रथम और अंतिम नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए। अगर समाज इस दायित्व का निर्वहन नहीं कर सके तो उसे बदल देना चाहिए।

श्री ललित सिन्हा (जिला समन्वयक – कृषक सहयोग संस्थान, कबीरधाम ) द्वारा डॉ॰ भीमराव अंबेडकर के राजनीतिक विचारों के बारे में बताया की डॉ॰ अंबेडकर का मानना था कि लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता, अगर वह सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र से जुड़ा न हो वे राज्य को एक अनिवार्य और उपयोगी संस्था मानते थे, उन्होंने सामान्यतः शासन की संसदीय पद्धति को उपयुक्त माना, उन्होंने लोकतंत्र को जीवन पद्धति के रूप में महत्त्व दिया। उन्होंने समानता को स्वतंत्रता, न्याय और भाईचारे के साथ जोड़ा, उन्होंने शिक्षा को आधुनिक भारतीय समाज के विकास का एक महत्वपूर्ण साधन माना था। उन्होंने दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की, उन्होंने समाज से अछूत शब्द को मिटाने के लिए छुआछुत को असंवैधानिक ठहराया। उन्होंने महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की वकालत किये।

कार्यक्रम में मोनिका बांधेकर, देवेंद्र चौसरे, आशीष कुमार, लक्ष्मी गन्धर्व, सरोजिनी धुर्वे, प्रीती बंजारे, ज्योति धुर्वे, रविता ठाकुर, ज्योति ठाकुर, आशा मंडावी एवं शशि हठीले की उपस्थिति रही।

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