जिला केसीजी विकास खंड छुईखदान के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत पैलीमेटा में पानी बचाओ जागरूकता लाने की शपथ दिलाया गया


AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो चीफ केसीजी
प्राप्त जानकारी अनुसार जिला केसीजी छुई खदान के ग्राम पंचायत पैलीमेटा के मार्गदर्शन में कुमार लाल पाल (सरपंच ),जागेसर पाल ,थानसिंग ठाकुर , टीकम कुंभकार ,चैतु नेताम , राधेलाल यादव , शंकर यादव , जीवन राम , हेमलाल यादव , ललित यादव , राजकुमार यादव , योगेश साहू, सक्रिय युवा सुखनंदन साहू के द्वारा शपथ दिलाया गया व पानी के महत्व सभी जीव जंतुओं के लिए आवश्यक कर विचार विमर्श किया गया व पानी बचाने, वर्षा जल संचय के लिए सोखता गड्ढा बनाने व पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया । ज्ञात हो हमारी माँ समतुल्य पृथ्वी ने सदैव ही हमारी रक्षा की है तथा यह सुनिश्चित किया है कि हमारी जरुरत की हर एक वस्तु हमें प्राप्त हो। इस प्रकार से मानव जाति के भलाई के लिये कई प्रकार के प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर मौजूद है। पर यह दुर्भाग्य ही है कि इन प्राकृतिक संसाधनो का सदुपयोग करने के जगह हम इनका दोहन ही करते है और इन्ही प्राकृतिक संसाधनो में से एक है जल जोकि पृथ्वी पर हर प्रकार के जीवन का मूल आधार है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन की पहली उत्पत्ति जल में ही हुई थी। यह स्वच्छ जल धरती पर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। इस प्राकृतिक संसाधन का हमने सिर्फ दोहने ही नही किया है बल्कि की भारी मात्रा में इसे व्यर्थ करके इसके उपलब्धता पर भी संकट खड़ा कर दिया है। हमने नदियों, महासागरो को दूषित करने के साथ ही हमने भूमिगत जल स्तर को भी बिगाड़ दिया है। सेव वाटर सेव मदर अर्थ हम जल के बिना पृथ्वी पर जीवन की परिकल्पना भी नही कर सकते है, इसलिए यह बहुत ही जरुरी है कि हम इसके महत्व को समझें। एक शोध के द्वारा पता चला है कि पूरे पृथ्वी पर उपलब्ध जल में मात्र 1 प्रतिशत जल ही ताजे पानी (फ्रेश वाटर) के रुप में मौजूद है। हम मनुष्यो द्वारा हर वस्तु की तरह जल को भी भारी मात्रा में व्यर्थ किया जाता है, इसलिए वह दिन दूर नही है जब जल भी सोने की तरह मंहगा और बेशकीमती हो जायेगा। ऐसे कई सारे तरीके है जिनसे हमारे द्वारा पानी को व्यर्थ किया जाता है, इन्ही में से कुछ के विषय में नीचे बताया गया है। पानी के उपयोग ना होने पर भी नल को खुला छोड़ देना।
मैदानो और उद्यानो में उपयोग ना होने पर भी पानी छिड़काव के यंत्रो को खुला छोड़ देना।
जल का सदुपयोग ना करनाः ज़्यादातर जल का सदुपयोग किया जाना चाहिए, जिससे काफी मात्रा में पानी बचाया जा सकता है।नदियों और अन्य पानी के स्त्रोतो को प्रदूषित होने से बचाव करना।
अनियोजित जल प्रबंधन – वनोन्मूलन जिसके कारणवश भूमिगत जल का स्तर गिरता जा रहा है। हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे शरीर में 70 प्रतिशत पानी होता है और यदि पृथ्वी पर हमारे लिए पर्याप्त मात्रा में पानी नही होगा तो हम कैसे जीवित रहेंगे। हम प्रतिदिन अपने दैनिक गतिविधियों जैसे कि कार, सब्जी और कपड़े इत्यादि धोने में काफी मात्रा में पानी व्यर्थ करते है। यदि यह समस्या ऐसी ही बनी रही तो जल्द ही या तो पानी बहुत कम मात्रा में बचेगा या फिर बिल्कुल ही समाप्त हो जायेगा, जिससे हमारे अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो जायेगा। वैसे भी मौजूदा हालात में हमारे उपयोग हेतु बहुत कम स्वच्छ पानी बचा हुआ है और बाकी के बचे पानी को उपयोग करने से पहले एक लम्बे प्रक्रिया के तहत शुद्ध करना पड़ता है। हमें ऐसे तरीको की आवश्यकता है जिनके द्वारा पानी का सही रुप से प्रबंधन किया जा सके निष्कर्ष -यह वह समय है जब हमें इस बात को समझने की आवश्यकता है कि हम स्वंय के लिए एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे है और इसका परिणाम इतना भयावह होगा जिसकी हम परिकल्पना भी नही कर सकते। पानी के बिना हर तरह का जीवन समाप्त हो जायेगा तथा पृथ्वी बंजर हो जायेगी। तो अब इस विषय को लेकर जागरुक हो जाइये क्योंकि यदि हम जल बचाएंगे तभी पृथ्वी को बचा पायेंगे। इस अवसर पर वार्ड पंच,व वरिष्ठ गण उपस्थित रहे।