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पोंडी में मनाया गया कमरछठ त्यौहार, माताओं ने रखी संतान की लंबी आयु के लिए उपवास

पोंडी में मनाया गया कमरछठ त्यौहार, माताओं ने रखी संतान की लंबी आयु के लिए उपवास

पोंडी में मनाया गया कमरछठ त्यौहार, माताओं ने रखी संतान की लंबी आयु के लिए उपवास
कवर्धा/पोड़ी :- शनिवार के दिन पोंडी में भी बड़ी धूम धाम से छत्तीसगढ़ की पारम्परिक त्यौहार कमरछठ(हलषष्ठी) मनाया गया।कमरछठ के मौके पर माताओं ने अपने बच्चों की लंबी आयु के लिए आज पूरे दिन उपवास रखा और पूजा के समय लाई ,पसहर चावल, का भोग लगाकर माताओं ने अपने बच्चों की लम्बी आयु की कामना करते हुए सगरी का पूजा अर्चना किये।इस बार कोरोना संक्रमण मे कमी के चलते पोंडी में भी बहुत से मुहल्लों में कमरछठ त्योहार में पूजा अर्चना किया गया इसमे शीतला मन्दिर परिसर ,गायत्री गुरुकुल स्कूल,गोस्वामी पारा सहित कई मुहहलो में पूजा अर्चना कर माता हलषष्ठी की कथा का श्रवण माताओं ने किया वही अगर बात करे तो छत्तीसगढ़ का यह एक ऐसा पारम्परिक त्यौहार है जिसे हर जाति वर्ग के लोग मानते है साथ ही इस त्यौहार के दिन घर की महिलाएं खेत मे काम करने नही जाती है पूरे दिन उपवास रहकर सगरी माता का पूजा करने के बाद पसहर चावल को बनाकर अपना उपवास पूरा करती है सभी का मानना है कि कमरछठ(हलषष्ठी)उपवास रहने से सन्तानो की आयु बढ़ती है इसी मान्यता को मानकर आज के दिन सभी माताएं उपवास रहती है।पोंडी के दीपक तिवारी ने बताया कि हलषष्ठी त्यौहार पर माताएं अपने सन्तान की लंबी आयु के लिए हलषष्ठी माता की प्रतिमा, गौरी गणेश साथ ही कलश की स्थापना कर काशी से चारो को उसको लगाकर हलषष्ठी माता की कथा श्रवण कराया जाता है जिसके माताएं पूजा अर्चना करती है और अपना उपवास तोड़ती है इससे संतान की आयु लम्बी होती है और यह परंपरा वैदिक सनातन धर्म से चलती आ रही है यह पर्व ऐसा पर्व है जो गांव के साथ-साथ शहरों में भी बड़े रूपो में मनाया जाता है यही परम्परा बस आज अपना अस्तित्व बना के रखी है बाकी की परंपरा सिर्फ गावो में देखने को मिलती है लेकिन यह परंपरा आज गांव और शहर दोनो में है।

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