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कूई कुकदूर : इलाज के आभाव में चौथी कक्षा के बैगा छात्र की मौत..प्रशासनिक लापरवाही और आश्रम व्यवस्था पर गंभीर सवाल

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ पंडरिया : इलाज के आभाव में चौथी कक्षा के बैगा छात्र की मौत – आश्रम अधीक्षक पर लापरवाही के आरोप, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा समुदाय में आक्रोश पंडरिया विकासखंड के ग्राम कुई स्थित आदिवासी बालक छात्रावास में चौथी कक्षा के छात्र की मौत ने प्रशासनिक लापरवाही और आश्रम व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक छात्र मनेश पिता मिनकु बैगा (निवासी – छिन्दीडीह) विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय से था, जिसे संविधान और सरकार “राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र” कहकर विशेष संरक्षण की गारंटी देती है।सूत्रों के अनुसार अगस्त माह के पहले रविवार को छात्र मनेश अपने साथियों के साथ खेल रहा था। खेल के दौरान सीनियर बच्चों से किसी बात को लेकर विवाद और मारपीट हुई। इसके बाद छात्र को पेट दर्द की शिकायत हुई। आश्रम अधीक्षक डहरिया ने उसे सामान्य दवा दी और उसके परिजनों को बुलाकर घर भेज दिया।

ग्रामीणों का आरोप है कि अस्पताल की आपातकालीन सेवाएं चालू होने के बावजूद अधीक्षक ने बच्चे का तत्काल इलाज कराने के बजाय उसे घर भेज दिया। छिन्दीडीह बीहड़ जंगल में बसा गांव है, जहां इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इलाज न मिलने के कारण छात्र की दर्दनाक मौत हो गई। ग्रामीणों ने आश्रम अधीक्षक को मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि गरीब बैगा समुदाय के बच्चों को सरकारी संरक्षण के बावजूद आज भी मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है।यह घटना न सिर्फ आश्रम व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा समुदाय के बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा का जिम्मा लेने वाले विभाग आखिर कितने संवेदनशील हैं।


बैगा छात्र की इलाज के अभाव में मौत – आश्रम अधीक्षक पर लापरवाही के आरोप,

पंडरिया विकासखंड के ग्राम कुई स्थित आदिवासी बालक आश्रम में चौथी कक्षा के बैगा छात्र की दर्दनाक मौत ने आश्रम व्यवस्था, स्वास्थ्य सेवाओं और प्रशासनिक जिम्मेदारी पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। मृतक छात्र की पहचान मनेश पिता मिनकु बैगा (निवासी–छिन्दीडीह) के रूप में हुई है, जो विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा समुदाय से था। उल्लेखनीय है कि बैगा समुदाय को देश में “राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र” कहा जाता है और इन्हें विशेष संरक्षण प्राप्त है।

घटना कैसे हुई
सूत्रों के अनुसार अगस्त माह के पहले रविवार को छात्र मनेश अपने साथियों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान सीनियर बच्चों से किसी बात को लेकर विवाद और मारपीट हुई। उसके बाद मनेश को पेट दर्द की शिकायत हुई।


ग्रामीणों के आरोप
ग्रामीणों का कहना है कि आश्रम अधीक्षक डहरिया ने बच्चे को गंभीर हालत में भी सरकारी अस्पताल ले जाने की जगह सिर्फ दवाई देकर परिजनों को बुलाया और उसे घर भेज दिया। छिन्दीडीह गांव बीहड़ जंगल में बसा है, जहां स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है। इलाज न मिलने के कारण मनेश की मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सीधी-सीधी लापरवाही है और अधीक्षक इस मौत के जिम्मेदार हैं।

बड़ा सवाल
यह घटना बैगा जनजाति जैसे संवेदनशील और संरक्षित समुदाय के बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करती है। सरकार इन बच्चों को विशेष संरक्षण देने का दावा करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर आश्रमों में स्वास्थ्य सुविधा, आपातकालीन व्यवस्था और जिम्मेदारी की कमी साफ झलकती है।ग्रामीण अब इस मामले की उच्चस्तरीय जांच और अधीक्षक पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

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