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कवर्धा : रेललाइन का सपना अधूरा, 800 करोड़ खर्च, फिर भी नहीं मिली सौगात…

कवर्धा : रेललाइन का सपना अधूरा, 800 करोड़ खर्च, फिर भी नहीं मिली सौगात…

टीकम निर्मलकर AP न्यूज़ कवर्धा : छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में रेलवे लाइन का सपना फि लहाल सपना बनकर ही रह गया है। लोगों को इसके आने की बुहत उमीद है, लेकिन इंतजार की वो घड़ियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इस प्रोजेक्ट को अब कागजों से उतारकर जमीन में लाने की जरूरत है। लोग इस परियोजना से काफी उम्मीदे पाल के रखे हैं। और ना केवल कवर्धा जिला बल्की डोंगरगढ़ से आगे कवर्धा-मुंगेली व कटघोरा क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी बेसब्री से इंतजार है।

सपनों का रेलवे ट्रैक
सात वर्ष पहले डोंगरगढ़-कवर्धा-मुंगेली-कटघोरा रेललाइन की आधार शिला रखी गई थी, लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन के चलते कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं किया। लिहाजा पांच साल यह प्रोजेक्ट ठंड़े बस्ते में चला गया। राज्य में फिर से भाजपा की सरकार बनने के लगभग दो साल बाद व केन्द्र में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने के डेढ़ साल बाद भी कोई खास उमीद नहीं दिख रही है।

फिर से लगा कि…
इस पर कोई ठोस काम होता नहीं दिख रहा है। अभी तक केवल कागजी कार्रवाई चल रही है, जबकि सात पहले सभी तैयारियां करके भूमिपूजन किया गया था। क्षेत्रीय सांसद संतोष पांडेय भले ही इस प्रोजेक्ट के फायदे तो गिना रहे थे, लेकिन इस पर काम कब शुरू होगा इसका जवाब उनके पास भी नहीं है। वो केवल केन्द्र के रेल मंत्री को पत्र लिखने मुलाकात करने से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

केंद्र व राज्य सरकार से राशि जारी
दो वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ फिर से जब भाजपा सरकार आयी तो लोगों को लगने लगा था कि जिले में रेलवे लाइन की अवधारणा अब कागजों से उतारकर जमीन में लाने की सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। सब कुछ अच्छा रहा तो वो दिन दूर नहीं जब जिले से होकर छुक-छुक करती रेलगाड़ी दौड़ेगी। 7 साल पहले डोंगरगढ़-कवर्धा-मुंगेली-कटघोरा रेललाइन की आधार शिला रखी गई थी, जिस पर अब काम होने को लेकर लोग आशान्वित थे। लेकिन फिलहाल स्थिति कुछ भी स्पष्ट नहीं है।

राज्य सरकार ने अपने हिस्से की 300 करोड़ रुपए की राशि फरवरी 2025 में ही दे दी थी। वहीं केन्द्र से भी 500 करोड़ रुपए राशि जारी कर चुका है। इससे जमीन अधिग्रहण के बाद कोई बाधा नहीं आएगी। सर्वे का कार्य पहेल ही पूरा कर लिया गया था। किस किसान की कितनी जमीन आ रही है कितना मुआवजा देना है सब तय था। यहां तक की रेल लाइन में आने वाले जमीन की खरीदी बिक्री पर भी रोक लगा दी गई थी, ताकि जमीन दलाल किसानों के हिस्से की जमीन को औने पौने दामों में न खरीद लें।

अब लागत भी बढ़ चुकी
सात पहले की तुलना में इस प्रोजेक्ट की लागत अत्यधिक बढ़ चुकी है। अगर अभी भी काम शुरू नहीं हुआ तो लागत बढ़ती ही चली जाएगी। साथ ही सत्ता का कोई ठिकाना नहीं रहता है। कभी राज्य में विपक्ष तो कभी केन्द्र में विपक्ष की सरकार बनते रहती है। ऐसे में विपक्षी पार्टी अच्छे कामों को भी आगे नहीं बढ़ाती है। इस मामले में उनका विचार थोड़ा तंग रहता है, खुला दिल, बड़ी सोच नहीं दिखा पा पाते है।

इस मामले में राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र के सांसद ने संतोष पाण्डेय कहा कि डोंगरगढ़-कटघोरा नई रेल लाइन के शीघ्र निर्माण प्रारंभ कराने को लेकर लगातार प्रयासरत हूं। केंद्र व राज्य सरकार भी इस दिशा में गंभीर है। हाल ही में हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान दिल्ली में केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव से मुलाकात कर उक्त विषय में चर्चा कर शीघ्र निर्माण कार्य प्रारंभ कराने का आग्रह किया हूं। सभी विभागीय प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। उमीद है शीघ्र ही नई रेल लाइन का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

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