पंडरिया : विकलांग बड़े भाई को पढ़ा रही छोटी बहन..बहन बोली अनपढ़ नहीं रहने दूंगी भाई को

पंडरिया : विकलांग बड़े भाई को पढ़ा रही छोटी बहन..बहन बोली अनपढ़ नहीं रहने दूंगी भाई को

AP न्यूज़ पंडरिया  : पूरी कायनात में भाई-बहन के प्यार जैसा कोई रिश्ता नहीं होता है। आज हम आपको ऐसी बहन के बारे में बताने वाले है, जो उम्र में छोटी है लेकिन हौसले से बड़ी। वह अपने विकलांग भाई के लिए संघर्ष कर रही है, ताकि उसे अच्छी शिक्षा मिल सके

बहन अपने भाई को रोजाना ले जाती है स्कूल
यह मार्मिक तस्वीर सगे भाई-बहन की है। संध्या यादव 8 साल की हैं, जबकि उसका बड़ा भाई जयराम यादव 9 साल का है, जो चल-फिर नहीं सकता। कवर्धा ब्लॉक के मानिकचौरी गांव में रहने वाली संध्या यादव अपने विकलांग भाई जयराम को प्राथमिक शिक्षा की प्रगति की राह पर खुद लेकर चलती है। वह अपने भाई जयराम को स्कूल ले जाने के लिए रोजाना 2 किलोमीटर पैदल चलती है।
व्हीलचेयर को धकेलते हुए। ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग ला रही है। यही वजह की उनकी भाई आज कक्षा दूसरी की पढ़ाई कर रहा है। दरअसल संध्या शासकीय प्राथमिक स्कूल मानिकचौरी में कक्षा दूसरी की छात्रा है, वह अपने साथ उसी स्कूल में जयराम को स्कूल ले जाती है।
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पहले मां-बाप की गोद में ले जाती थी स्कूल
संध्या यादव कक्षा पहली में दाखिला लिया, तब उसकी जिद पर भाई जयराम को, जब व्हीलचेयर नहीं थी तब वह अपने मां-बाप की गोद में स्कूल जाती थी। अब संध्या का कहना है कि मैं अपने भाई को अनपढ़ नहीं रहने दूंगी और उसकी पढ़ाई के लिए जो भी मुसीबत का सामना करना पड़े मैं करूंगी। साथ ही संध्या बताती है कि जहां तक वह पढऩा चाहेगा मैं उसकी मदद करूंगी।


ऐसी बहन सभी को दे
संध्या व जयराम की मां मंदाकिनी यादव का कहना है कि वह दैनिक मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। चार बच्चों के देखरेख में संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में हम अपने बच्चों की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। अगर संध्या नहीं होती तो उसका बेटा पढ़ भी नहीं सकता था। उसकी देखभाल और वह स्कूल भी लेकर जाती है। तैयार भी करती साथ ही उसका होमवर्क भी कराती है। भगवान सभी को ऐसी ही बहन दे।
आर्थिक स्थिति ठीक नहीं.संध्या के पिता गणेश यादव मजदूरी करते हैं। वह कच्चे घर में रहते हुए जीवन यापन करते हैं। उनके पास पुश्तैनी जमीन भी नहीं है जिससे खेती कर सके। चार बच्चों के लालन-पालन रोजी-रोटी मजदूरी कर चलती है। अब तक पक्का घर का सपना अधूरा है, आस लगाए बैठे हैं। शासन से केवल राशन मिल रहा है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है।




 

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