ज्ञानवापी मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को दी मंजूरी, ‘वजूखाना’ को लेकर दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर मामले पर सुनवाई करते हुए बड़ा फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद परिसर के ‘वजूखाना’ के पूरे एरिया की सफाई कराने की अनुमति दे दी है। बता दें कि इसी वजूखाने में हिंदू पक्ष ने शिवलिंग होने का दावा किया है। हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी के सील एरिया को खुलवाकर तत्काल सफाई की मांग की याचिका दायर की थी। हिंदू पक्ष की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर करते हुए सफाई का आदेश दिया है। शीर्ष कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की देखरेख में सफाई की इजाजत दी है।
हिंदू पक्ष की दलील?
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने एक महिला की याचिका पर यह आदेश दिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मस्जिद परिसर में भगवान की पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी। साथ ही पानी के टैंक की सफाई की मांग की गई थी, क्योंकि उस टैंक में मछलियां मरी पड़ी थीं। इस याचिका का मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी की ओर से विरोध नहीं किया गया। हिंदू पक्ष का कहना है कि चूंकि हमारी मान्यता के मुताबिक, वहां पर शिवलिंग मौजूद है और शिवलिंग को किसी भी तरह की गंदगी या मरे हुए जीवों से दूर रखा जाने की जरूरत है। इस तरह की गंदगी के बीच शिवलिंग का रहना असंख्य शिवभक्तों की भावनाओं को आहत करने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि टैंक की सफाई वाराणसी के जिला कलेक्टर की देखरेख में कराई जाए। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान सुनवाई में पेश हुईं। उन्होंने भी सरकार की तरफ से वजूखाने की सफाई की मांग की थी। वहीं, मस्जिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने नोट किया कि मस्जिद की अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने भी वाराणसी की ट्रायल कोर्ट में भी वजूखाने की सफाई की मांग को लेकर याचिका दायर की थी
गौरतबल है कि ‘वजूखाना’ के एरिया को 2022 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर सील कर दिया गया था, जिसमें ‘शिवलिंग’ पाए जाने का दावा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मांग पर पुरातत्व विभाग को मस्जिद परिसर का सर्वे करने की मंजूरी दी थी। इसी सर्वे में मस्जिद परिसर के वुजूखाने में एक संरचना जिसे हिंदू पक्ष द्वारा ‘शिवलिंग’ और मुस्लिम पक्ष द्वारा ‘फव्वारा’ होने का दावा किया गया था।