सनातन धर्म संस्कृति से है हमारी पहचान, प्रकृति और संस्कृति का जतन करें उसका सम्मान करें : मनीषा पटेल- राष्ट्रीय समन्वयक, अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ


AP NEWS : अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ के राष्ट्रीय समन्वयक मनीषा पटेल ने अपने लेख में बताया कि ब्रह्म मुहूर्त में उठे उठे यहां सुबह प्रभात फेरी की धुन सुनाई दी मैं उसमें शामिल हुई मुझे बहुत आनंद आया बरसों बाद में गांव की इस प्रथा का अनुभव कर रही थी मुझे पता चला कि यह प्रभात फेरी की परंपरा रेल गांव में पिछले 100 साल से यथावत है साथ में यहां पर विठोबा का मंदिर है जहां 100 साल से भी अधिक समय से पोथी पारायण की प्रथा चालू है। हमारे वैदिक समय में हमारे गुरुजन और हमारे वरिष्ठ आचार्य हमारे विविध शास्त्रों का पठन अध्ययन करते थे और उनके बारे में हमको बता देते श्रोता यह सुनते थे और इस प्रकार से आध्यात्मिक चरित्र निर्माण होता था। यही आध्यात्मिक वैभव हमारे सनातन भारत के प्रत्येक गांव में प्रतिष्ठित था अभी यह परंपरा बहुत ही कम गांव तक सीमित रह गई है अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ इसी सनातन धरोहर को पुनः स्थापित करने का कार्य कर रहा है ।
कहते हैं कि जब अच्छे कार्य सच्ची नीति और निस्वार्थ भाव से करने की ओर एक कदम उठाते हैं तो ईश्वर उसी राह पर हमारे साथ सौ कदम बढ़ाते हैं ऐसा ही कुछ मेरे साथ हर कार्य पर हो रहा है मेरी कल्पना से और मेरे प्रयासों से भी ज्यादा सुंदर रूप से कार्य साकार होते हैं और यह ईश्वर की ही कृपा है साथ में मेरे परिवार और मेरे साथी स्वयंसेवक पदाधिकारियों का सहयोग से सारे कार्य सहज रूप से सार्थक हो रहे हैं 1 1 मई को महाराष्ट्र प्रदेश की स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है और मां नर्मदा की कृपा से यह दिवस महाराष्ट्र के संत भूमि पर बहुत ही गर्व रूप से मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । जिला परिषद प्राथमिक शाला में मुझे माननीय श्री लक्ष्मण सीता राम पाटील दादा, अन्ना आंगनवाड़ी के शिक्षिका ,व्यवस्थापक मातृशक्ति यों के साथ ध्वजारोहण के साथ राष्ट्र गीत महाराष्ट्र गीत और महान छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके महान माता जीजाबाई के शौर्य साहस, त्याग और अभीदान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए उनके आदर्शों को प्रस्थापित करने के संकल्प से गांव वासी को प्रेरित करने का अमूल्य अवसर प्राप्त हुआ । महाराष्ट्र प्रदेश के प्रभारी होने के नाते विशेष रुप से मेरे लिए ईश्वर, प्रकृति और हमारे संतो और स्वयं शिवा जी महाराज के प्रत्यक्ष आशीर्वाद समान थी मैं अपने आनंद और गर्व का वर्णन शब्दों से करने में असमर्थ हूं उस दिन मुझे वास्तविक रुप से उस दैविक उर्जा का अनुभव हो रहा था।
रेल गांव का प्रत्येक घर सनातन संस्कार की सुगंध से सुभाषित है यहां गौ सेवा प्रत्येक घर में है। गांव वासी बहुत सरल सहज और प्रकृति प्रेमी है यहां सदाचार और नैतिकता पग पग पर महसूस होती है। गांव के प्रत्येक वासी की तरफ से मुझे इतना प्यार मिला जैसे मैं मायके आई हुई उनकी बेटी थी हम महा गणपति के दर्शन भी किए, पास के लाडली गांव के लाडकेश्वर महादेव के दर्शन को भी गए, यहां यहां भी हमारा बहुत ही भाव से मातृशक्ति भाई बंधू बुजुर्ग बच्चों द्वारा सम्मान सत्कार हुआ यहां पर भी बच्चों ने नर्मदा अष्टकम का पाठ किया यह गांव जैसे सोने पर सुहागा था रेल गांव से भी ज्यादा समरसता और आध्यात्मिक पुरुषार्थ के प्रति समर्पित लाडली गांव के वासी है। यहां सभी सनातन परंपराओं को सभी वर्ग के लोगों द्वारा सम्मान दिया जाता है ।बहुत भावपूर्ण श्रद्धा से सभी त्योहार कार्यक्रम और आतिथ्य सत्कार यहां होता है भारत के ऐसे ही सनातन गांव की खोज में हम निकले थे, क्योंकि यही भारत का वास्तविक सनातन स्वरूप है और अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ प्रत्येक गांव में शहर में इसी सनातन भारत को पुनर्स्थापित करने का कार्य कर रहा है। लाडली गांव से लौटकर दूसरे दिन हमने एक वैवाहिक संस्कार मैं होने वाली हमारी परंपरा गत लोकगीत और रीति रिवाज को प्रत्यक्ष रूप से देखा शाम को हम बैलगाड़ी में बैठकर पुण्य सलिला गिरना मैया के तट से होते हुए हमारे महान ऋषि करण की तपोभूमि के दर्शन को गए जिसका जीर्णोद्धार महान राजा महाराणा प्रताप के दसवें वंशज श्री चंद्र किरण स्वामी जी ने किया है जिनकी पढ़ाई कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई और विदेश में रहते थे लेकिन उनके सनातन संस्कार उनके उद्देश्य को पूर्ण करना था तो भारत भूमि तक लेकर आए,यहां उन्होंने तपस्वी जीवन जिया और कण्व ऋषि की तपोभूमि का जीर्णोद्धार किया ।अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ पौराणिक भारत की धरोहर हमारे पौराणिक मंदिरों घाटो आश्रम तीर्थ स्थानों का जीर्णोद्धार उनका महत्व स्वच्छता सम्मान इत्यादि विषयों पर कार्य कर रहा है यह बैलगाड़ी यात्रा बहुत सुखद रही गांव के लोग इतने प्राकृतिक है कि यहां पर जैविक खेती के साथ प्राकृतिक स्त्रोतों का भी बहुत ध्यान रखा जाता है यहां गिरना मैया में से रेत का खनन नहीं किया जाता पूर्ण रूप से यहां के लोग द्वारा यह प्रतिबंधित है। मुझे गांव के लोगों की यह प्राकृतिक प्रकृति प्रेम बहुत स्पर्श कर गया यह हमारा नैतिक दायित्व और कर्तव्य है कि हम प्रकृति और संस्कृति का जतन करें उसका सम्मान करें।
अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ का उद्देश्य है कि हम हमारे सनातन संस्कृति के महत्व को समझें और सनातन संस्कार को जीवन में अपनाएं उसका सम्मान करें और भारत का प्रत्येक नागरिक अपने महान इतिहास के गौरव के साथ न्याय करें। अखिल भारतीय मां नर्मदा परिक्रमा सेवा संघ कलयुग की प्रत्यक्ष अधिष्ठात्री देवी मां नर्मदा को आधार मानकर सनातन संस्कृति से जुड़े सभी विषयों पर मां नर्मदा सेवा यज्ञ द्वारा संकल्पित कार्य निस्वार्थ रूप से करने का उद्देश्य के साथ विश्व भर में सनातन संस्कृति संस्कार सभ्यता की विरासत को गौरव पूर्ण रूप से पुनर्स्थापित हेतु विभिन्न सेवा कार्य का संयोजन समन्वय और सहयोग कर रहा है। जलगांव की रेल गांव और लाडली गांव के भावपूर्ण सानिध्य की यादें जीवन पर शाश्वत रहेगी वहां के गांव वासी अब मेरा परिवार है और उनकी सरलता सहजता सादगी मैं सनातन भारत अभी भी जीवंत है और मैं उसी जीवन सनातन भारत को अपने ह्रदय में लेकर हर गली गली हर गांव गांव तक पहुंचने का उत्साह उमंग उर्जा और बहुत सारा आशीर्वाद लेकर जैसे एक बेटी की विदाई होती है उसी प्रकार भावपूर्ण निरोप के साथ मैं वडोदरा लौटी।



