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संसद मानसून सत्र: अंतिम फैसला अगस्त के पहले सप्ताह तक लिए जाने की संभावना, कई विकल्पों पर विमर्श जारी

Monsoon session of Parliament Discussions on several options continue 
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नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र की बैठक को लेकर कई तरह के विकल्पों पर चर्चा जारी है। इस सिलसिले में राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष संसद के मानसून सत्र को लेकर कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इसी कड़ी में बीते सोमवार को दोनों नेता इस मुद्दे पर विचार-विमर्श कर चुके हैं। राज्यसभा सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने मानसून सत्र के दौरान सामाजिक दूरी समेत सभी स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सांसदों के बैठने की व्यवस्था को लेकर कई नए विकल्पों पर चर्चा की है।

राज्यसभा सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेताओं ने दोनों ही सदनों में चेम्बरों और गैलरी में बैठने की क्षमता का आकलन किया। उन्होंने संसद की कार्यवाही चलाने के लिए चेम्बरों के इस्तेमाल पर भी चर्चा की। इस दौरान इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई कि जब लोकसभा सत्र में हो तो लोकसभा सांसदों को लोकसभा और राज्यसभा के चेम्बरों में बिठाया जाए। इसी तरह जब राज्यसभा सत्र में हो तो राज्यसभा सदस्यों को भी दोनों सदनों के चेम्बरों में बिठाया जाए। जाहिर है, इस परिस्थिति में दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग समय पर आयोजित होगी।

इस व्यवस्था के तहत राज्यसभा के चेम्बर और गैलरी में कुल 127 सांसदों को सामाजिक दूरी को ध्यान में रखते हुए बिठाया जा सकता है, जबकि लोकसभा के चेम्बर और गैलरी में 290 सांसदों को बैठाया जा सकता है। इस प्रस्ताव पर दोनों सदनों के सेक्रेटरी जनरल को समीक्षा करने को कहा गया है। दोनों सदनों के सेकेट्री जनरल तकनीकी रूप से और अन्य कारणों को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करेंगे।

सत्र के दौरान सेनिटाइजेशन, सांसदों के सदन में प्रवेश और निकासी समेत कई अन्य पहलुओं पर भी विचार किया जाना है। अलग-अलग चेम्बर में बैठने की परिस्थिति में दूसरे सदन में बैठने वाले सांसदों को ऑडियो-विसुअल कनेक्टिविटी के साथ-साथ, भाषा अनुवाद और वोटिंग की सुविधा का भी इंतजाम करना जरूरी होगा।

फिलहाल तमाम विकल्पों पर चर्चा की जा रही है। इस मसले पर अंतिम फैसला अगस्त के पहले सप्ताह तक लिए जाने की संभावना है। गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र में 11 अध्यादेशों को मंजूरी दी जानी है। केंद्र सरकार 31 मार्च को पहला अध्यादेश लाई थी। अब 24 जून तक केंद्र सरकार कुल 11 अध्यादेश ला चुकी है। इनमें मंत्रियों के वेतन-भत्तों में कमी से लेकर टैक्स प्रणाली के पुराने कानूनों में सुधार, किसानों के हित के कानून और स्वास्थ्यकर्मियों व उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान जैसे महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं।

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