राजस्थान: सचिन पायलट खेमे के विधायक हेमाराम चौधरी ने किया बड़ा दावा, जानिए आज का अपडेट


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जयपुर। राजस्थान सियासत में लगातार बाड़ेबंदी जारी है। अब सचिन पायलट खेमे के विधायक हेमाराम चौधरी का बड़ा बयान सामने आया है। हेमाराम चौधरी ने आज सोमवार को कहा कि गहलोत खेमे के 10-15 विधायक हमारे संपर्क में हैं और कह रह हैं कि फ्री होते ही वे हमारे खेमे में आ जाएंगे। अगर गहलोत विधायकों को छोड़ देते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कितने विधायक उनके पक्ष में बने हुए हैं।
10-15 MLAs of Ashok Gehlot camp are in contact with us & are saying they will come to our side as soon as they are set free. If Gehlot removes restrictions, it’ll become clear how many MLAs remain on their side: Hemaram Choudhary, MLA, Sachin Pilot camp#RajasthanPoliticalCrisis pic.twitter.com/2ikP7h1Rut
— ANI (@ANI) July 27, 2020
राजस्थान का सियासी संकट राज्यपाल, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति भवन तक पहुंच चुका है। जानिए राजस्थान सियासी संकट में आज क्या-क्या हुआ। आज के राजस्थान सियासी घटनाक्रम पर नजर डालें तो कांग्रेस और उससे संबद्ध विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा है। साथ ही राजभवन के साथ जारी गतिरोध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल के व्यवहार को लेकर भी आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिकायत की है। सीएम गहलोत ने इस बारे में पीएम मोदी को फोन कर पूरी जानकारी दी। कांग्रेस ने राजस्थान राजनीतिक संकट के बीच उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मामले में दखल देंगे और राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित करेंगे।
आशा है राजस्थान के राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित करेंगे राष्ट्रपति: कांग्रेस
कांग्रेस ने राजस्थान में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच सोमवार को उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मामले में दखल देंगे और राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए निर्देशित करेंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने यह आरोप भी लगाया कि विधानसभा सत्र बुलाने से जुड़े राज्य कैबिनेट के प्रस्ताव को ‘नहीं मानना’ कानून और संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ है तथा ऐसे कदमों से संसदीय लोकतंत्र कमजोर होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से भी पूछा जाना चाहिए कि विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग के संदर्भ में उनकी क्या राय है। चिदंबरम ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं आशा करता हूं कि जिस तरह से संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है, राष्ट्रपति उसका संज्ञान लेंगे और इन हालात में जो सही है वो करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास राज्यपाल को यह बताने का पूरा अधिकार है कि वह क्या गलत कर रहे हैं और उनसे विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कह सकते हैं।
राज्यपाल मिश्र ने सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव सरकार को लौटाया
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ ‘बिंदुओं’ के साथ सरकार को वापस भेजा है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। इसके साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राजभवन की विधानसभा सत्र नहीं बुलाने की कोई भी मंशा नहीं है। राजभवन ने जो तीन बिंदु उठाए हैं उनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए।
राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है। इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था। सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने तीन बिंदुओं पर कार्यवाही किए जाने का समर्थन देते हुए पत्रावली पुन: प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
इनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर सुनिश्चित हो सके। राजभवन की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है। राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 के अंतर्गत तीन परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किए जाने हेतु कार्यवाही किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं। इसमें कहा गया कि, ‘‘विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राज राजभवन की नहीं है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है परंतु सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है। यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है।’’