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पाकिस्तान ने PoK की यात्रा के लिए ब्रिटिश संसदीय समूह को दिए 30 लाख रुपये

Pakistan gave UK parliamentary group on Kashmir 17,917 US dollar for PoK trip
Image Source : FACEBOOK/DEBBIE ABRAHAMS

लंदन: यह पता चला है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) की यात्रा के लिए ब्रिटेन के एक संसदीय समूह को 30 लाख पाकिस्तानी रुपये (17,917 डालर) दिए हैं। यह समूह मुख्य रूप से ‘कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन’ को उजागर करता है।

ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप के रजिस्टर से पता चला है कि ‘ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप ऑन कश्मीर (एपीपीजीके) को 18 फरवरी को पाकिस्तान सरकार से 29.7 लाख से 31.2 लाख पाकिस्तानी रुपये के बीच मिला। यह धन समूह को 18 से 22 फरवरी के बीच पीओके का दौरा करने के लिए दिया गया। इस समूह की अध्यक्ष लेबर सांसद डेबी अब्राहम हैं।

सभी संसदीय समूहों के लिए यह अनिवार्य है कि वे 1,500 पाउंड से अधिक मूल्य के लाभ या धन पाने पर इसकी घोषणा संसदीय रजिस्टर में करें। डेबी अब्राहम को 17 फरवरी को दिल्ली हवाई अड्डे पर सूचित किया गया था कि उनका ई-वीजा वैध नहीं है और उन्हें दुबई भेज दिया गया था। अगले दिन वह पाकिस्तान पहुंचीं और प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलीं। इस यात्रा का वित्त पोषण पाकिस्तान द्वारा किया गया था।

एपीपीजीके में विभिन्न दलों के ब्रिटिश सांसद हैं जिनमें से कुछ पाकिस्तानी मूल के हैं। इनका उद्देश्य ‘कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करना, ब्रिटेन के सांसदों से समर्थन प्राप्त करना, कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन को उजागर करना और वहां के लोगों को न्याय दिलाना’ है।

यह पहली बार नहीं है जब एपीपीजीके को पाकिस्तान से धन प्राप्त हुआ है। लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग ने 17 सितंबर 2018 को उसी वर्ष 17-20 सितंबर के बीच इस्लामाबाद और कश्मीर की यात्रा के लिए समूह को लगभग 12,000 पाउंड दिए थे।

डेबी अब्राहम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत दी गई जम्मू एवं कश्मीर की विशेष स्थिति को खत्म करने के भारत सरकार के फैसले की तीखी आलोचक रहीं हैं। उन्होंने पांच अगस्त, 2019 को लंदन में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त रुचि घनश्याम को पत्र लिखकर कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी।

उसी दिन उन्होंने ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमिनिक राब को लिखा कि कश्मीर में भारतीय कार्रवाइयों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है और ब्रिटेन से नई दिल्ली के कदमों पर अस्थायी रोक लगाने का अनुरोध किया था।

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