UNSC का अस्थाई सदस्य बना भारत, मिले 192 में से 184 वोट, अमेरिका ने कहा- स्वागत है


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न्यूयॉर्क: भारत बुधवार को 8वीं बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अस्थाई सदस्य के रूप में चुन लिया गया है। इसी के साथ भारत 2021-22 कार्यकाल के लिए UNSC का अस्थाई सदस्य बन जाएगा। 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 75वें सत्र के लिए अध्यक्ष, सुरक्षा परिषद के अस्थाई सदस्यों और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव कराया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के अलावा आयरलैंड, मेक्सिको और नॉर्वे को भी सुरक्षा परिषद में जगह मिली है।
अमेरिका ने किया गर्मजोशी से स्वागत
इस मौके पर अमेरिका ने कहा, ‘हम भारत का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सफल चुनाव के लिए बधाई देते हैं। हम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के मुद्दों पर साथ काम करने के लिए उत्साहित हैं, जो भारत और अमेरिका के बीच सहभागिता की वैश्विक रणनीति है।’ जीत के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत नेतृत्व जारी रखेगा और एक बेहतर बहुपक्षीय व्यवस्था को नई दिशा देगा। बता दें कि भारत को कुल 192 वैध वोटों में से 184 वोट मिले।
Member States elect India to the non-permanent seat of the Security Council for the term 2021-22 with overwhelming support.
India gets 184 out of the 192 valid votes polled. pic.twitter.com/Vd43CN41cY
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) June 17, 2020
पाकिस्तान ने कहा था, आसमान नहीं फट जाएगा
इससे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि 15 सदस्यीय परिषद में भारत को अस्थाई सीट मिलना नियमित प्रक्रिया है और इससे पाकिस्तान पर कोई असर नहीं पड़ेगा। कुरैशी ने कहा कि भारत का UNSC का सदस्य बनना पाकिस्तान के लिए चिंता की बात है लेकिन इससे आसमान नहीं फट जाएगा।
हर साल चुने जाते हैं 10 में से 5 अस्थायी सदस्य
महासभा हर साल दो वर्ष के कार्यकाल के लिए कुल 10 में से पांच अस्थायी सदस्यों का चुनाव करती है। ये 10 अस्थायी सीटें क्षेत्रीय आधार पर वितरित की जाती हैं। पांच सीटें अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए, एक पूर्वी यूरोपीय देशों, दो लातिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों तथा दो पश्चिमी यूरोपीय तथा अन्य राज्यों के लिए वितरित की जाती हैं। परिषद में चुने जाने के लिए उम्मीदवार देशों को सदस्य देशों के दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।



