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छंद चंदैनी बगर गे : राजनांदगांव के आदिवासी मंगल भवन म छंद के छ: परिवार के अविस्मरणीय आयोजन ह होइस संपन्न

छंद चंदैनी बगर गे : राजनांदगांव के आदिवासी मंगल भवन म छंद के छ: परिवार के अविस्मरणीय आयोजन ह होइस संपन्न

AP NEWS : राजनांदगाव के आदिवासी मंगल भवन मा
दिनाँक 22/05/2022 दिन रविवार के “छन्द के छ” के स्थापना दिवस कार्यक्रम सम्पन्न होइस। कार्यक्रम में प्रदेश भर के 27 जिला के लगभग दो सौ ले आगर छन्द साधक, कलमकार मन संघरे रहिन।

कार्यक्रम के माई पहुना प्रो.राजन यादव जी, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ रहिन, अध्यक्षता करिन श्री नीलकंठ गढे जी, राष्ट्रीय महासचिव केन्द्रीय गोंड महासभा छ.ग.और खास रहिन डॉ. विनोद कुमार वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार , व्याकरणविद् – बिलासपुर, श्री विरेन्द्र बहादुर सिंह जी, श्री कुबेर साहू जी और छन्द के छ के संस्थापक गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी।
तीन सत्र मा आयोजित ए कार्यक्रम के पहली सत्र के शुभारंभ छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के तैलचित्र मा माल्यार्पण अउ पूजा अर्चना, महतारी भाखा के वंदना के संग होइस।

छंद परिवार के उद्घोषक श्री अजय अमृतांशु जी के बँधाय, लच्छादार अकादमिक संचालन मा अतिथि मन के स्वागत,अभिवादन,अभिनन्दन छंद परिवार अउ राजनादगाँव के छंद साधक मन पुष्प माला तिलक चंदन ले करिन। सबो पहुना मन के सत्कार के बाद पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम सम्पन्न होइस, जउन मा ओसरी पारी आठ किताब मन के विमोचन होइस।सात काव्य अउ एक गद्य, ए मन हवँय -:

छन्द चंदैनी – आशा देशमुख,जयकारी जनउला अउ फुरफुन्दी – कन्हैया साहू ‘अमित’, छन्द बगीच्चा – रामकुमार चंद्रवंशी,बरवै छन्दकोठी अउ गुल की कुण्डलिया – धनेश्वरी सोनी ‘गुल’, बहुरिया( गद्य ) – चोवाराम वर्मा ‘बादल’ अउ आखिर मा विमोचित कृति-
तैं तो पूरा कस पानी उतर जाबे रे – शोभामोहन श्रीवास्तव। कृति मन के संबंध मा कृतिकार अउ एक-एक विद्वान वक्ता के द्वारा अपन विचार रखे गइस । कृतिकार मन अपन कृति ले जुड़े एक एक रचनापाठ के संग अपन अपन संक्षिप्त उद्बोधन दिन।

कार्यक्रम के दूसर सत्र सम्मान समारोह के रहिस। ‘छन्द के छ’ परिवार (आनलाईन गुरुकुल) छत्तीसगढ़ी भाखा साहित्य के सेवा बर छत्तीसगढ़ी भाखा मा छन्दबद्ध संग्रहणीय किताब प्रकाशन खातिर कलमकार मन ला ‘ छन्द रतन’ सम्मान प्रदान करिन हे सम्मान समारोह में ‘छन्द रतन’ जैसे गौरवपूर्ण सम्मान प्राप्त करवइया छन्दसाधक, कलमकार हे- आशा देशमुख जी कोरबा (छन्द चंदैनी),कन्हैया साहू ‘अमित’ जी भाटापारा- ( जयकारी जनउला ), मनीराम साहू ‘मितान’ जी सिमगा – ( महापरसाद), बोधनराम निषादराज ‘विनायक’ जी कबीरधाम( अमृतध्वनि छन्द),जगदीश हीरा साहू जी (छन्द संदेश),रामकुमार चंद्रवंशी जी राजनांदगांव ( छन्द झरोखा, छन्द बगीच्चा),और धनेश्वरी सोनी ‘गुल’ जी(गुल की कुण्डलिया, बरवै छन्दकोठी)।

तीसर सत्र के शुरुवात गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के परिचयात्मक उद्बोधन अउ आशीर्वचन ले होइस।

छंद के छ किताब के विमोचन -2016 के दिन ले शुरु होय आंदोलन हर आज हमर पुरा प्रदेश, देश अउ बिदेश मा घलो बगर गे हे|अउ छंदकार मन के छंद मय प्रस्तुतिकरण ले छत्तीसगढ़ी भाखा, साहित्यहर हर पोठ होवत दमकन लगे, जगजगावन लगे हे।

गुरुदेव निगम जी कहिन,अहंकार भाव के संग सच्चा साधना नइ हो सकय। साधना के मूल्याकंन हमेशा भविष्य करथे।वर्तमान के द्वारा किए जावत व्यवहारिक प्रसंशा, ताली आदि जादातर मृगतृष्णा ही साबित होथे, जेमें पड़े ले साधना मा बाधा ही उत्पन्न होथे।

साहित्य साधक के रूप मा कालजयी केवल दो पंक्ति ही हर साधक ला अमर कर देथे । ‘छन्द के छ’ आनलाईन गुरुकुल के मूल मंत्र हे सीखबो अउ सिखाबो, छंद ज्ञान पाबो अउ बांँटबो ,बगराबो, महतारी भाखा पोठ होही। ए तरह सीखत सिखावत हर छन्द साधक शिष्य हे अउ गुरू घलो आए।

इही सत्र मा छंद परिवार के दस
बुधियार अउ वरिष्ठ छंदकार मन के बेहतरीन प्रस्तुतिकरण हर अल्हादित करत, मनत्रमुग्ध कर दिहिन।

ए ओरी मा श्री जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी के संचालन मा श्री दिलिप वर्मा बइगा जी भाठा पारा बलौदाबाजार, श्री बलराम चंद्राकर जी भिलाई , श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी कवर्धाकबीरधाम, श्री चोवाराम वर्मा “बादल” हथबंद बालौदाबाजार , गुरुदीदी आदरणीया आशा देशमुख जी कोरबा,दीदी बासंती वर्मा जी बिलासपुर,उमाकांत टैगोर जांजगीर चांपा, राम कुमार चौधरी राजनांदगाँव, दीदी शोभा मोहन श्रीवास्तव दुर्ग मन अपन सुमधुर प्रस्तुती दिहिन

फेर भोजन के बाद मा अजय अमृतांशु जी , श्री जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी , श्री ईश्वर साहू ‘आरुग’,श्री कौशल कुमार साहू, अश्वनी कोसरे ‘रहँगिया’ और धनेश्वरी सोनी ‘गुल’ के बारी-बारी शानदार संचालन मा संझौती मुँधियार होवत ले छन्दमय काव्यपाठ के ओरी सरलग चलिस। बीच – बीच मा अतिथि मन के उद्बोधन ले सभासदन हर अनमोल ज्ञान अउ जिनगी बर सीख, बहुमूल्य मोती असन साहित विमर्श ,विचार भाव पावत रहिन।

छत्तीसगढ़ी व्याकरण उपर अपन विमर्श रखत डाॕ विनोद कुमार वर्मा जी मन कहिन छत्तीसगढ़ी भाषा मा लिंग के कउनो समस्या नइ हे ।कन्फर्म शब्द ल उदाहरण देवत कइ भाषा मा लिंग संबंधी दोष ला निरुपित करत सार तथ्य मन ला रखिन।

माई पहुना डाॕ राजन यादव जी
अपन बात रखत : छत्तीसगढ़िया लोक छंद ,लोक धुन अउ शास्त्रीय छंद के राग ,गति मा साम्यता ल मिलावत कई उदाहरण ले महतारी भाखा के समृद्धि अउ बिराजे विरासत साहित के बखान करिन। लयबद्धता अउ माधुर्य , लालित्य के का महत्व हे साहित अउ छत्तीसगढ़ी गीत मा ए बात ला रेखांकित करत छत्तीसगढ़ के साहित विभूति पुरखा कलम कार मन ला पढ़े के प्रेरणा देवत, दलित जी, डाॕ हरि ठाकुर, विप्र जी, दानेश्वर शर्मा जी
मन के गीत मन के भाव व्यंजना ला दर्शावत कविता मन के सस्वर वाचन करिन।

खास पहुना वरिष्ठ साहित्यकार
श्री कुबेर साहू जी हर अपन उद्बोधन मा छत्तीसगढ़ी गद्य विधा के बात करत निबंध आलेख संस्मरण कहानी आदि के महत्व ल अभिव्यक्त करिन।

अध्यक्षता करत जिला आदिवासी गोड़ सभा के माननीय अध्यक्ष श्री नीलकण्ठ गढ़े जी हर कवि मन के छंद बद्ध कविता छंद गीत के प्रशंसा करत कहिन अइसन अद्भूत प्रस्तुतिकरण ला सुन के अभिभूत होगँय अउ सदैव अइसन आयोजन बर आदिवासी मंगल भवन ला देहे बर कहिन|
संस्कारधानी मा आयोजित ए गौरवपूर्ण आयोजन मा कबीरधाम जिला ले श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी,श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर,श्री बोधनराम निषादराज, श्री डी.पी.लहरे मौज, अश्वनी कोसरे रहँगिया, देवचरण धुरी, श्री रमेश कुमार चौरिया और कमलेश प्रसाद शरमाबाबू ,मन अपन सहभागिता देहिन अउ रचनापाठ करिन,संगे मा कवर्धा ले रामकुमार साहू जी, घनश्याम कुर्रे अलकरहा जी, हेम साहू मास्टर जी,रिखी राम दूजहा जी मन घलो संघरे रहिन।
कार्यक्रम के गरिमापूर्ण सफल संयोजन ले राज भर मा छंद के चंदैनी हर बगर गय। श्री महेन्द्र कुमार बघेल, ओमप्रकाश ‘अंकुर’, श्री रामकुमार चंद्रवंशी के संग जिला राजनांदगाँव के छन्द साधक मन के संयोजन ले ए आयोजन हर अपन सबके मया दुलार पावत सफल होइस।छंद परिवार के वरिष्ठ साधक श्री महेंद्र बघेल जी हर कार्य क्रम के समापन मा आभार अभिवादन व्यक्त करिन।

राजनाँदगाँव के सबो साधक मन ला सफल अउ बड़ सुग्घर आयोजन बर कोटि कोटि हार्दिक बधाई, साधुवाद – अश्वनी कोसरे रहँगिया कबीरधाम।

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