इन शहरों के लिए 240 ई-बस सेवा, नागरिकों को होंगे ये फायदे

इन शहरों के लिए 240 ई-बस सेवा, नागरिकों को होंगे ये फायदे
AP न्यूज़ कवर्धा : छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई सुशासन सरकार न केवल अधोसरंचना के विकास पर जोर रही है, बल्कि हर वर्ग के लोगों तक उन सुविधाओं को पहुंचा रही है, जो एक व्यक्ति के जरूरी होता है। बढ़ती जनसंख्या के साथ सार्वजनिक आवागमन साधन एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है। खासकर उन शहरों के लिए जहां की जनसंख्या अधिक है। प्रदेश में विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा में काम हुआ है। साय सरकार ने केंद्र सरकार के समन्वय से “प्रधानमंत्री ई-बस सेवा” का सफल क्रियान्वयन कर रही है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में ये योजना परिवहन को नया रूप दे रही है, साथ ही पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा रही है।
प्रधानमंत्री ई-बस सेवा क्या है और इसका मकसद क्या है?
प्रधानमंत्री ई-बस सेवा योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसके तहत इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती की जा रही है। इस योजना का मकसद, सार्वजनिक परिवहन की सुविधा बढ़ाना और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम करना है। भारत सरकार ने पीपीपी मॉडल पर 10,000 इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती करके बस संचालन को बढ़ाने के उद्देश्य से 16 अगस्त 2023 को “पीएम-ईबस सेवा योजना” शुरू की है। इस सेवा के जरिए शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। साय सरकार चाहती है कि हर नागरिक को किफायती और भरोसेमंद परिवहन मिले, वो भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना। इसमें बसों को स्मार्ट ट्रैकिंग सिस्टम से जोड़ा गया है, ताकि यात्री आसानी से बस की लोकेशन और टाइमिंग चेक कर सकें।
छत्तीसगढ़ में कितनी ई-बसें और कहां-कहां चलेंगी?
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल से छत्तीसगढ़ को इस योजना के तहत 240 इलेक्ट्रिक बसें मिली हैं। रायपुर को 100 मीडियम बसें, दुर्ग-भिलाई को 50 मीडियम, बिलासपुर को 35 मीडियम और 15 मिनी, जबकि कोरबा को 20 मीडियम और 20 मिनी बसें दी गई हैं। इन बसों को चलाने के लिए सुडा को नोडल एजेंसी और जिलों में अरबन पब्लिक सर्विस सोसाइटी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। योजना में शहरों को उनकी आबादी के हिसाब से चार ग्रुप में बांटा गया है। 20-40 लाख आबादी वाले शहरों को 150, 10-20 लाख और 5-10 लाख वाले को 100-100, और 5 लाख से कम वाले को 50 बसें मिलती हैं। इसी आधार पर छत्तीसगढ़ के चार शहरों को बसें अलॉट की गई हैं, जो भारत सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक खरीदी और ऑपरेट की जाएंगी।
ई-बसों से पर्यावरण और अर्थव्यवस्था को हो रहा फायदा?
ई-बसें बैटरी से चलती हैं, इसलिए इनसे कार्बन उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होता। ये डीजल-पेट्रोल बसों से ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट हैं, जिससे ईंधन की बचत होती है और ऑपरेशनल कॉस्ट भी कम रहती है। प्रदूषण कम होने से हवा साफ होगी, जो छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए बड़ी राहत है। ये बसें एक बार फुल चार्ज होने पर 150 किलोमीटर तक चल सकती हैं। साथ ही, इनके संचालन, मेंटेनेंस और चार्जिंग स्टेशनों के लिए नई नौकरियां भी बन रही हैं। साय सरकार का मानना है कि इससे राज्य को लंबे वक्त तक आर्थिक फायदा होगा।
छत्तीसगढ़ में ई-बसों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी
रायपुर में बस डिपो के लिए 14.33 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं, जिसमें केंद्र का 8.60 करोड़ और राज्य का 5.73 करोड़ शामिल है। बीटीएम पावर इंफ्रा के लिए 12.90 करोड़ रुपये अलग से दिए गए हैं। इसी तरह, दुर्ग-भिलाई को 6.73 करोड़, बिलासपुर को 8.37 करोड़ और कोरबा को 7.19 करोड़ रुपये मिले हैं। इसके अलावा चार्जिंग स्टेशनों का मजबूत नेटवर्क तैयार किया जा रहा है, ताकि बसें बिना रुकावट चल सकें। नए रूट्स बनाए गए हैं, जो मुख्य शहरों को जोड़ते हैं और दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रहे हैं। इन बसों में AC, इंटरनेट और सिंगल टिकट सिस्टम जैसी सुविधाएं भी हैं।
छत्तीसगढ़ में ई-बसों और बजट का ब्योरा
शहर बसों की संख्या सिविल इंफ्रा बजट (केंद्र+राज्य) बीटीएम पावर बजट
रायपुर 100 मीडियम 14.33 करोड़ (8.60 + 5.73) 12.90 करोड़
दुर्ग-भिलाई 50 मीडियम 6.73 करोड़ (4.04 + 2.69) 11.02 करोड़
बिलासपुर 35 मीडियम + 15 मिनी 8.37 करोड़ (5.02 + 3.35) 3.08 करोड़
कोरबा 20 मीडियम + 20 मिनी 7.19 करोड़ (4.31 + 2.88) 3.78 करोड़