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छत्तीसगढ़ के युवाओं ने हसदेव बचाओ अभियान को समर्थन देने जगरनाथपुर, सरगुजा पहुंचे । युवाओं द्वारा हरिहरपुर गांव में जाकर लोगो में जागरुकता फैलाते हुए

छत्तीसगढ़ यूथ नेटवर्क द्वारा 22 और 23 मई 2022 दो दिवसीय एक्सपोजल विजित का अयोजन कर कोरबा, कवर्धा, बिलासपुर, सरगुजा से पहुंचे युवा । छत्तीसगढ़ के युवाओं ने हसदेव बचाओ अभियान को समर्थन देने जगरनाथपुर, सरगुजा पहुंचे । युवाओं द्वारा हरिहरपुर गांव में जाकर लोगो में जागरुकता फैलाते हुए लोगो के घर में जाकर बातचीत की और हसदेव अरण्य को बचाने के लिए आग्रह की ।

गांव और युवा साथियों के बीच बातचीत के दौरान निम्न बाते सामने आई :-

  • बीते एक दशक से भारत के गिने चुने सघन , वन्य जीवों व जैव विविधतता से समृद्ध और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से हसदेव अरण्य में कोयला खदानों का लगातार विरोध हो रहा है । * पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में शामिल इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण आदिवासी समुदायों के लिए इस जंगल के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना करना भी मुश्किल है ।
  • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण के इस गंभीर चुनौती भरे दौर में हसदेव अरण्य जैसे जंगल को जिसे मध्य भारत के फेफड़े कहा जाता है , कॉर्पोरेट के मुनाफे के लिए तबाह किया जाना किसी भी तर्क से उचित नहीं ।
  • बीते एक दशक से स्थानीय ग्राम सभाओं के संगठन हसदेव बचाओ संघर्ष समिति ने इस अमूल्य जंगल को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं । बातचीत के दौरान लोगो ने आंसु भरे आखों से यह भी स्पष्ट कर दिया की भले ही हमारी जान चली जाए लेकिन हम अपनी संस्कृति, जल,जंगल, जमीन को किसी भी हाल में नहीं देंगे ।
  • लोगो ने कहा पैसे, नौकरी की लालच देते, डराते धमकाते है । फिर भी हम अपने जुबान पर अटल है ।
  • हम अपनी संस्कृति अपनी पहचान को किसी को नही देंगे । हम प्राकृतिक संसाधनों के बिना रह सकते है लेकिन प्रकृति के बिना नहीं । हसदेव बचाओ संघर्ष समिति को समर्थन देते हुए युवाओं ने नेशनल यूथ नेटवर्क (YES)
    द्वारा 16 राज्यो में चलाया जा रहा 45 दिवसीय अभियान ( Voice for Green Earth )
    के विषय पर बातचीत के दौरान (SAY ‘NO’ to SINGLE USE PLASTIC) याचिका में हस्ताक्षर पर बातचीत कर गांव के लोगो को वॉइस फॉर ग्रीन अर्थ के बारे में बताया । हमारे भारत देश में प्रति वर्ष लगभग 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। जबकि प्लास्टिक को सड़ने में हजारों हजारों साल तक लगता है, जो मिट्टी और पानी को दूषित करता हैं, मनुष्यों और वन्यजीवों दोनों के लिए जोखिम पैदा करता है। मानव रक्त में माइक्रोप्लास्टिक्स की उपस्थिति हमारी खाद्य श्रृंखला में इसकी व्यापक उपस्थिति को दर्शाती है और यह एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता साबित हुई है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए दिए गए स्पष्ट आह्वान के अनुरूप, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सरकार भारत ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया, जो 2022 तक कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाली एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है। हालांकि, नियमों को अभी पूरी तरह से लागू नहीं किया है। एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के कारण प्रदूषण सभी देशों के सामने एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है । हम यूथ फॉर इकोलॉजिकल सस्टेनेबिलिटी (YES) के सदस्य इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं और धरती माता को बचाने के लिए उचित कार्रवाई करने के लिए दृढ़ हैं। इसलिए, हम एक 45-दिवसीय अभियान शुरू किए हैं, जिसे “वॉयस फॉर ग्रीन अर्थ” के नाम से जाना जाता है, जो 22 अप्रैल विश्व पृथ्वी दिवस से शुरू होकर 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस को समाप्त होगा। हमारे अभियान के दौरान, हम 16 राज्यों के YES के सदस्य आप सभी तक पहुंचने का प्रयास करेंगे और आपसे ( SAY ‘NO’ TO SINGLE USE PLASTI ) इस याचिका पर हस्ताक्षर करने और इस मुद्दे को उजागर करने में हमारा समर्थन करने का आग्रह करेंगे। 5 जून तक, एकत्र किए गए हस्ताक्षरों के साथ हम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को तुरंत लागू करने के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को अपनी याचिका प्रस्तुत करेंगे।

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