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विभत्स की सेज पर माताओं की रूंहे भी आस में रहीं होगी.. विश्वास जो था उनको.. फिर सुकून से हुई होंगी विदा तेरे इस श्रृंगार को देखकर..

विभत्स की सेज पर माताओं की रूंहे भी आस में रहीं होगी.. विश्वास जो था उनको.. फिर सुकून से हुई होंगी विदा तेरे इस श्रृंगार को देखकर..

युवा नेत्री, विश्वास की भावना, जनमानस की आस, समाज सेविका, मां, विधायक .. और फिर विधायक मां

भावना बोहरा के हृदयस्पर्शी दत्तक ग्रहण के प्रति यूनाइटेड न्यूज ऑफ़ एशिया के फाउंडर सौरभ संतोष नामदेव ने किया प्रणाम

कबीरधाम का गौरवशाली इतिहास जरूर लिखेगा भावना बोहरा का नाम : सौरभ संतोष नामदेव

कवर्धा। कुकदूर में हुए सड़क हादसे में जिले सहित पुरे प्रदेश और देश का दिल पसीज गया । खबर के मिलते ही मानो मातम सा छा गया। तेंदू के पेड़ से एक एक पत्ता जोड़कर अपनी जीविका और परिवार चलाने वाले 19 बैगा आदिवासी एक साथ बिखर गए ।

घटना के दिन पूर्व सुबह मैं रोज़ की तरह अपने कार्यो पर निकल चूका था. और घटना स्थल से  लगभग 150 किलोमीटर दूर था. मैं खुद भी घटना से अनभिज्ञ था. इस हृदयविदारक घटना के पता चलते ही मैंने अपने साथी सहयोगियों को फ़ोन लगाया और मेरे नहीं आने की जानकारी दी पहले दिन की खबरे मुझे सहयोगियों से प्राप्त हुई. घटना पर 140 करोड़ जनता के मुखिया महामहिम राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू ने और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के तमाम बड़े नेताओ ने संज्ञान लिया तो वही शासन प्रशासन घटना स्थल पर मुस्तैद रहे. तमाम मीडिया के साथियों ने देर रात  तक घटना की कवरेज लोंगो तक पहुंचाई डिप्टी CM विजय शर्मा देर रात  तक परिजनों के साथ उनके हिम्मत बाँधने और व्यवस्थाओ  में संलिप्त रहे.

घटना के दुसरे दिन सुबह मैं अपने सभी साथियों के साथ अंतिम संस्कार स्थल पर पहुंचा. एक परिवार के 11 माताओं की चिता को देख कर मैं हत्प्रभ रह गया. वही दूसरी ओर 6  चिताए अलग अलग अग्नि में विलीन हो रही थी. डिप्टी CM शर्मा सहित तमाम वरिष्ठ जन अंतिम विदाई में शामिल थे. सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये  तो वही घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता की घोषणा की गई. सारी विधियाँ बड़े अच्छे से संपन्न हुई. अन्य मीडिया साथियों की तरह मैं भी अपनी टूटी फूटी भाषा में कवरेज करने लगा पर कमी एक चीज की थी. वीभत्स की सेज पर सजी चिताए भी मानों किसी का इंतेजार कर रही थी.

अंतिम विदाई की क्रिया संपन्न हुई सभी मीडिया साथी, सभी राजनैतिक वरिष्ठ जन अपने-अपने गंतव्य  को चले गये. दोपहर तक मैं भी घर पहुँच गया. सभी मीडिया के साथी सहित मैं स्वयं भी थका हुआ था और आराम करने की कोशिश कर रहा था लेकिन ये हृदयविदारक घटना और 11 चिताओं की सेज का ख्याल और उनके किसी के इंतज़ार का मंजर मेरे दिमाग से निकल ही नही रहा था. जैसे तैसे 4.30 बजे तक मैंने सबको फ़ोन लगाना शुरू किया. मैंने सबसे पूछा के कोई वापस जा रहा है क्या सभी सुबह से थक चुके थे इसलिए सभी का जवाब था ना….

मैंने अपने को-फाउंडर फ़याज़ और राज को फ़ोन किया जैसे तैसे फिर से उसी जगह के लिए निकल पड़ा. जब मैं वहा पहुंचा तो वहा वीभत्स की सेज पर सजी माताओं की चिताओं का इंतज़ार खत्म हो गया था. जिनका इंतज़ार वे कर रहीं थी वो उनके साथ थी और होती भी क्यों ना सब के बीच सबका भरोसा और विश्वास हर कोई जीत नहीं सकता. मंजर देख मानो ऐसा लग रहा था की उनकी रूहें भी उनके साथ खड़ी है. युवा नेत्री, जन मानस की आस, विश्वास की भावना, समाज सेविका,  माँ, विधायक भावना बोहरा ने जो किया वो कोई दूसरा राजनेता, समाज सेवक शायद ही कर पाये.

भावना बोहरा ने इस सड़क हादसे में मृत हुए माताओं के 24 बेटे-बेटियों को गोद लेकर उनके शिक्षा,विवाह और रोजगार तक की जिम्मेदारी उठाने का विश्वास परिजनों को दिया. संकल्प के खबर मिलते ही देश के तमाम कलम कारो, मीडिया घरानों, प्रबुद्ध  जनो ने इस अदम्य साहस के लिए अपने-अपने तरीके से कृतज्ञता व्यक्त की.

मैं सामने ही था सच में भावना बोहरा के ह्रदय स्पर्शी दत्तक ग्रहण के प्रति मेरा उनको प्रणाम है.

कबीरधाम का गौरव शाली इतिहास उनके नाम को अपने अविस्मरणीय पन्नो पर जरुर अंकित करेगा. उन्होंने जिस प्रकार से विश्वास दिया अंत में मैं बस इतना कहना चाहूँगा कि..

वीभत्स की सेज पर माताओं की रूहें भी आस में रही होंगी विश्वाश जो था उनको….फिर सुकून से हुई होंगी विदा तेरे इस श्रृंगार को देख कर

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