कवर्धा:अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जिला न्यायालय में हुआ कार्यक्रम अलग-अलग क्षेत्र में काम करने वाले महिलाये हुई सम्मानित
कवर्धा, 09 मार्च 2021। जिला एवं सत्र न्यायाधीश व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की अध्यक्ष श्रीमती नीता यादव की अध्यक्षता में आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जिला न्यायालय के परिसर में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती यादव द्वारा सरस्वती जी के छायाचित्र में दीप प्रज्जवित, पुजा अर्चना कर प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश श्री जयदीप विजय निमोणकर, कुटुम्ब न्यायालय, श्रीमती स्वर्णलता टोप्पो, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्री वेन्सेस्लास टोप्पो, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, (एफ.टी.सी.), श्री नरेन्द्र कुमार, प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, श्री भूपत सिंह, न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, श्री नरेन्द्र तेंदुलकर, न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी, बार अधिवक्ता संघ के सचिव श्री ज्ञानेन्द्र वर्मा सहित बार के समस्त अधिवक्तागण एवं पैनल अधिवक्ता श्रीमती सविता अवस्थी, जिला न्यायालय एवं प्राधिकरण के समस्त स्टॉफ तथा पी.एल.व्हीगण उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त लगभग 100 महिलाए अलग-अलग सेक्टर से आए हुए थे, जिन्हें महिला दिवस में पेन, फुल व अन्य सामाग्रियां भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित समस्त महिलाओं का पुष्पगुच्छ एवं पेन प्रदान करते हुए उत्कृष्ठ पी.एल.व्हीगण एवं उपस्थित महिला कर्मचारीगण का स्वागत किया गया।
श्री नरेन्द्र कुमार, प्रभारी सचिव, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 1908 से मनाया जा रहा है। जब 1500 महिलाओं ने न्यूयार्क शहर की सड़कों पर अपने अधिकार को लेकर प्रदर्शन किया। कम घण्टे, बेहतर वेतन, और मतदान का अधिकार उनकी मांगे थी। लेकिन पहला अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन 1911 को आयोजित किया गया था। तब से हम लोग 8 मार्च को प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाते है। उन्होने कहा कि महिलाओं का सम्मान जेन्डर के कारण नहीं बल्कि स्वयं के पहचान के लिए करना होगा। हमे यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज के बेहतरी के लिए पुरूष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते है। यह जीवन को लाने वाली महिला है। हर महिला विशेष होती है, चाहे व घर पर हो या ऑफिस में। वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें जो अपने जीवन में सफलता हासिल कर रही हैं और अन्य महिलाओं और अपने आस-पास के लोगों के जीवन में सफलता ला रही है।
उपस्थित न्यायाधीशगण सहित समस्त महिला कर्मचारीगणों द्वारा उक्त दिवस के अवसर पर अपने-अपने आबंटित विषयों पर उद्बोधन प्रस्तुत किया गया, जिसमें महिलाओं को निःशुल्क विधिक सहायता, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के अधिकारों, घरेलु हिंसा, पीड़ित क्षतिपूर्ति, महिला और एच.आई.व्ही, एड्स, महिला और मानवाधिकार, महिला और लड़कियों में निवेश, समान अधिकार-समान अवसर, ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना, गरीबी और भुखमरी का अन्त, वचन देना एक वचन है, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्यवाही, 2030 तक ग्रह में सभी 50-50 लैंगिंग समानता के लिए आगे आना, समान सोचें, बिल्ड स्मार्ट, बदलाव के लिए नया करे, जनरेशन इक्वालिटी इत्यादि विषयों की विस्तृत जानकारी विभिन्न अधिकृत वक्तागण द्वारा प्रसारित किया गया।