स्वंतत्रता संग्राम सेनानी स्व. कोदूराम उर्फ मोहनलाल यदु को स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में जूड़ने की प्रथम प्रेरणा उन्हें राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी से मिली।

VIKASH SONI

स्वंतत्रता संग्राम सेनानी स्व. कोदूराम उर्फ मोहनलाल यदु।

कवर्धा:- स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. कोदूराम यदु ने गरीब व पिछड़ा वर्ग कृषक यदु परिवार में ग्राम राखी (धमतरी तहसील जिला रायपुर) में 25 मार्च 1925 में जन्म लिया। अपनी शिक्षा प्रायमरी शिक्षा निकट के ग्राम कुरूद में पूरी की। बचपन से पढ़ने की ललक व दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण किसी के माध्यम से रायपुर में स्थित जैतृसाव मठ नया मंदिर रायपुर में आगे पढ़ाई के लिए स्व. श्री महंत लक्ष्मी नारायण दास द्वारा आश्रय दिया गया, जैतृसाव मठ रायमपुर में रहकर स्व. कोदूराम यदु ने अपनी हाईस्कूल की शिक्षा स्थानीय सेंटपाल स्कूल से की। स्व. कोदूराम यदु का विवाह बचपन में जब 7 वर्ष के थे सन् 1932 में हुआ था। ग्राम कोसमरा धमतरी तहसील के श्री रामचरण यदु की सुपुत्री सातो यदु जब मात्र 3 वर्ष की थी. के साथ हुआ था। सातो यद का गौना 13 वर्ष की उम्र में हुआ। स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में जूड़ने की प्रथम प्रेरणा उन्हें राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी से मिली। उस समय पहली बार राष्ट्रपिता महात्मागांधी रायपुर आये थे और रायपुर से बलौदबाजार जाते समय ग्राम पलारी में महात्मा गांधी के होने वाले भव्य स्वागत एवं सम्मान से बालक कोदुराम यदु को स्वंतत्रता संग्राम से जुड़ने की प्रेरणा प्रदान की। स्व. महंत लक्ष्मीनारायण (भूतपूर्व विधायक एवं सांसद) के पुरानी बस्ती रायपुर जैतूसाव मठ के छात्रावास में रहकर उनके राजनीति जीवन से प्रभावित हुए। जैतुसाव मठ नया मंदिर में उस समय शीर्ष राजनीति की आवाजाही सामान्य बात थी। सन् 1942 के पूर्व भी असहयोग आंदोलन के कारण महंत लक्ष्मीनारायण दास को जेल जाना पड़ा था। सो जैतू‌साव मठ के वातावरण ने भी स्व. कोदूराम के बालपन को प्रभावित किया और रही, सही कसर बापूजी (महात्मा गांधी) द्वारा दिया गया नारा करो या मरो के आव्हान पर स्व. डॉ. कोदूराम यदु ने भी अंग्रजों के खिलाफ आपत्तिजनक परचे बांटने के आरोप में रायपुर जेल में डाल दिया गया था। आपत्तिजनक परचे के संबंध में कोदूराम यदु द्वारा बताया गया कि पं. रविशंकर शुक्ल व महंत लक्ष्मीनारायण दास, श्री मनोहर लाल श्रीवास्तव हमारे नेता थे। पर्चे मुझे श्री मनोहर लाल श्रीवास्तव ने दिये थे और वे मलकापुर चले गये। उस समय पं. रविशंकर शुक्ल व महंत लक्ष्मीनारायण दास, श्री मनोहर लाल श्रीवास्तव हमारे नेता थे। उस समय पं. रविशंकर शुक्ल एवं महंत लक्ष्मीनारायण दास बम्बई में थे, बाद में पं. शुक्ल जी एवं महंत जी को मलकापुर स्टेशन पर गिरफतार कर लिया गया लेकिन श्री मनोहर लाल जी बाहर ही रहे और भूमिगत रहकर उन्होंने रायपुर में आंदोलन को जिन्दा रखा। स्व. कोदूराम यदु को तात्कालीन जेल अधीक्षक श्री किशोरीलाल द्वारा 11.09.1942 को रायपुर सेंटल जेल में भरती किया तथा 23 मार्च 1943 को जेल से रिहा हुए। जब कारावास हुआ था तब से सेंटपाल स्कूल रायपुर के 11 वीं के छात्र थे। जेल की अनुभूति के बारे में जेल के सारे बंदी आजादी के पक्षधर थे। आम बंदियो की तरह दिया गया कपड़ा पहनने से इंकार करने व खादी के कपड़े का मांग करने पर बैरक क्रमांक दस के गुनाह खाने में डाल दिया गया था। गुनाहखाना बड़ी गंदी जगह पर छोटा सा कमरा, एक कोने पर पीने का पानी दूसरे कोने पर शौच के लिए पीट और सोने के लिये सीमेंट का चबूतरा। ठंड बिना कपड़ो के काटी लेकिन जेलवाने हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़िया डालकर जबरन मिल के बने कपड़े पहनाते थे। गुनाह खाने में बगैर कपड़े के लगभग 15 दिन तक निर्वस्त्र रहा आखिर में जेलर ने खादी के वस्त्र पहनने को दिया। जेल कर्मियों का व्यवहार अत्यंत कठोर था, परंतु तत्कालीन कलेक्टर श्री पाटिल का नजरिया कुछ अलग ही था। पूरे 6 महीने 13 दिन जेल में बिताने के बाद होली के दूसरे दिन रिहा किया गया। स्वाधीनता संग्राम में सकिय भाग लेने से उस समय एक वर्ग द्वारा सराहना मिली उसमें प्रमुख आज के नामी हस्तियों में मोतीलाल त्रिपाठी, केयर भूषण, माणिकलाल चतुर्वेदी, काकेश्वर बघेल, मनोहर लाल श्रीवास्तव, अनंतदास आदि लोग। स्व. कोदूराम यदु ने बाद में चिकित्सा क्षेत्र में अपनी सेवाभाव से पीड़ित लोगों को राहत पहुंचाई। स्व. कोदूराम यदु रामकुंड में स्थित रायपुर होमियोपैथिक एवं बायोकेमिक चिकित्सा महाविद्यालय के संस्थापक सदस्य रहे। वे जीवन पर्यन्त हामियोपैथिक कॉलेज रायपुर के प्रति समर्पित सेवाभाव से कार्य करते रहे, चाहे कॉजेज की सर्वांगिण विकास से लेकर मान्यता प्राप्त करने के प्रयास में। रायपुर नागरिक बैंक के संस्थापक सदस्य भी रहें। स्व. कोदूराम यदु स्थानीय भूमि विकास बैंक रायपुर में ब्रांच एजेंट के पद पर कार्य करते हुए सन् 1983 में सेवा निवृत हुए। स्व. कोदूराम यदू ने स्वंतत्रता संग्राम सेनानी अपने अंतिम समय पर भरत नगर सरदार वल्लभ भाई पटेल वार्ड नं. 6 में रहकर समाज के गरीब तबके के लोगों का
निस्वार्थ भाव से चिकित्सा सेवा का कार्य जिसका ज्वलंत उदाहरण सन् 1998 में इस वार्ड में महामारी का संक्रमण प्रकोप हो गया था तो स्व. डॉ. कोदूराम यदु ने घूम-घूमकर वार्ड के पीड़ित व्यक्तियों को निःशुल्क दवा स्वयं के द्वारा निःशुल्क वितरित किया गया। उस समय केबिनेट मंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा म.प्र. शासन द्वारा वार्ड का निरीक्षण किया गया था तथा श्री तरुण चटर्जी विधायक ग्रामीण रायपुर ने इस दिशा में अथक प्रयास कर महामारी को रोकने में अहम भूमिका निभाई। स्व. कोदूराम यदु स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को अपने जीवन पर्यन्त तक सम्मान प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री दिग्विजय म.प्र. शासन द्वारा प्रशस्ति पत्र 15 अगस्त 1997 को, म.प्र. कांग्रेस कमेटी (3) भोपाल द्वारा प्रांतीय अधिवेशन बैतूल में। अगस्त 1993 को, लायंस क्लब ऑफ कवर्धा द्वारा नागरिक अभिनंदन 15 अगस्त 1997 को शहर (जिला) कांग्रेस कमेटी रायपुर द्वारा 15 अगस्त 1972 को सम्मानित किया गया था। ज्ञातव्य हो कि कवर्धा निवासी भूतपूर्व विधायक स्व. हमीदुल्लाह खान सेंट पान स्कुल रायपुर में स्व. कोदुराम यदु के सहजाठी थे। माननीय श्री भूपेश बघेल पूर्व मुख्यमंत्री छ.ग. शासन के मार्ग निर्देशन में व उनके आर्शीवाद से नगरपालिका कवर्धा के पी.जी. कॉलेज से तहसील ऑफिस तक सड़क का नामकरण “स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. डॉ. कोदूराम यद के नाम पर हुआ जिसका लोकार्पण पूर्व प्रभारी मंत्री व पूर्व विधायक श्री मोहम्मद अकबर द्वारा 15.8.23 में किया गया था। ऐसे महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. कोदूराम यदु का स्वर्गवास 20 फरवरी 1999 को उनके निवासगृह भरत नगर सरदार वल्लभ भाई पटेल वार्ड रायपुर (म.प्र.) में 74 वर्ष की आयु मे हुआ।

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