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देश के इतिहास में पहला मामला अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति पर ही पुलिस ने कर दिया एससीएसटी का मामला दर्ज

छत्तीसगढ़ में विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास, लोकतंत्र की हत्या – JCCJ

देश के इतिहास में पहला मामला अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति पर ही पुलिस ने कर दिया एससीएसटी का मामला दर्ज

सड़क निर्माण में 1करोड़ 19 लाख भ्रष्टाचार का विरोध करने वाले जोगी कांग्रेसियों पर हुआ एफ आई आर

एफआईआर से बचने के लिए अधिकारी ने की जोगी कांग्रेसियों पर एफआईआर

अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम का खुलेआम दुरुपयोग

प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के निर्देशानुसार जिला मुख्यालयों में जोगी कांग्रेस सौंपेंगी महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन

रायपुर :- जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के जिला अध्यक्ष सुनील केशरवानी ने कवर्धा जिला के अंतर्गत सड़क निर्माण में एक करोड़ उन्नीस लाख रुपया के भ्रष्टाचार का विरोध करते हुए लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन करने वाले जोगी कांग्रेसियों पर अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम एवं अन्य धाराओं में अपराध दर्ज की गई है जिसे झूठा मामला बताते हुए और कार्यवाही की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा भ्रष्ट अधिकारियों के द्वारा खुद एफआईआर से बचने और अपनी साख बचाने के लिए जोगी कांग्रेसियों के विरुद्ध फर्जी मामला बनाया गया है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रदर्शन में शामिल जोगी कांग्रेस के नेता गणेश पात्रे जो कि खुद अनुसूचित जाति वर्ग के है। उनके विरुद्ध भी पुलिस के द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर की गई है जो कि संभवत देश का पहला मामला होगा। जिसमें जिस वर्ग के सुरक्षा के लिए कानून बनाया गया है उसी वर्ग के व्यक्ति के विरुद्ध यह मामला बना दिया गया और अनुसूचित जाति जनजाति अधिनियम का खुलेआम दुरुपयोग किया गया।

सुनील केशरवानी ने दुर्भावनापूर्वक की गई उक्त कार्यवाही को विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास और लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कहा छत्तीसगढ़ में अब बदलाव की नहीं बल्कि बदलापुर की राजनीति चल रही है , जिस तरीके से जनता की आवाज उठाने वाले नेताओं के खिलाफ ही एफआईआर की जा रही है उससे साफ जाहिर है की छत्तीसगढ़ में अब जनताराज नहीं बल्कि पुलिस का डंडा राज चल रहा है। इस संबंध में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी के निर्देशानुसार प्रदेश के जिला मुख्यालयों में महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर शिकायत की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर माननीय न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

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