ChhattisgarhINDIAखास-खबर

पान की खेती से बदल रही किसानों की तक़दीर: कलेक्टर ने खेत में पहुंचकर की सराहना

AP न्यूज विश्वराज ताम्रकार जिला ब्यूरो चीफ केसीजी

छुईखदान में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर ने इच्छुक किसानों से की चर्चा

खैरागढ़, 14 मई 2025 //
जिले के कलेक्टर  इन्द्रजीत चंद्रवाल ने छुईखदान क्षेत्र के एक प्रगतिशील किसान के खेत का निरीक्षण किया, जहां व्यावसायिक रूप से पान की खेती की जा रही है। उन्होंने खेत का भ्रमण कर पान उत्पादन की प्रक्रिया, लागत, और संभावनाओं की जानकारी ली।
निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्री चंद्रवाल ने किसान  रवि साहू से चर्चा करते हुए पान की खेती में लगने वाली लागत, श्रम, उत्पादन क्षमता और बाजार में इसकी मांग पर विस्तार से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि “पान की खेती क्षेत्र के किसानों के लिए एक लाभकारी और टिकाऊ विकल्प बन सकता है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार संभव है।” किसान श्री रवि साहू ने जानकारी दी कि उन्होंने 4000 वर्ग फुट भूमि पर पान की खेती प्रारंभ की है, जिस पर लगभग ₹1.20 लाख की लागत आई है। उन्होंने बताया कि मात्र 6 माह में ही उन्हें ₹80 हजार का शुद्ध लाभ हुआ है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि एक पान के पेड़ की औसत आयु 30 से 40 वर्ष होती है और हर पौधे से प्रति वर्ष लगभग 250 पत्ते प्राप्त होते हैं। कलेक्टर ने खेत में उगाए गए पान के पत्तों की गुणवत्ता की सराहना करते हुए स्वयं भी एक पत्ते का स्वाद लिया और किसानों को इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

छुईखदान में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर ने इच्छुक किसानों से की चर्चा

पान की परंपरागत और आर्थिक रूप से लाभकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए कलेक्टर ने इच्छुक किसानों से की परिचर्चा इस अवसर पर जिला कलेक्टर श्री इन्द्रजीत चंद्रवाल ने क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों से सीधा संवाद कर पान उत्पादन की चुनौतियों और संभावनाओं पर चर्चा की। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़ द्वारा छुईखदान में स्थापित पान अनुसंधान केंद्र के तहत आयोजित किया गया। इसमें कृषि वैज्ञानिकों, प्रशासनिक अधिकारियों और पान उत्पादक किसानों ने भाग लिया। मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री प्रेम कुमार पटेल, जनपद पंचायत अध्यक्ष, कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने मिलकर पान की खेती को पुनर्जीवित करने और इसके वैज्ञानिक विकास के लिए रणनीतियाँ साझा कीं। किसानों ने पान की उपज में आ रही समस्याओं जैसे जलवायु परिवर्तन, बाजार की कमी और लागत बढ़ने की बातें रखीं, जिन पर कलेक्टर ने समाधान का भरोसा दिलाया। कलेक्टर श्री चंद्रवाल ने निर्देश दिया कि छुईखदान क्षेत्र के 10-15 किसानों को प्रारंभिक स्तर पर चिन्हित कर पान उत्पादन हेतु प्रशिक्षित किया जाए तथा उनकी फसल को एक्सपोजर विज़िट के माध्यम से अन्य प्रमुख पान उत्पादक क्षेत्रों से जोड़ा जाए। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से क्षेत्रीय किसान आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर होंगे। कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय के डॉ. अभिनाश गुप्ता, डॉ. डी.एस. आर्य, डॉ. दीपिका देवदास, डॉ. पंकज भार्गव, डॉ. कन्हैयालाल, संजय जांगड़े सहित कई शिक्षाविद्, छात्र एवं अनुभवी किसान शामिल हुए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page