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कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखण्ड अंतर्गत दर्जनों शाला भवन जर्जर सरकारी स्कूल का हाल बेहाल।

कवर्धा पंडरिया:- सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल, कुंभकर्णी नींद में शिक्षा विभाग

कवर्धा। कबीरधाम जिले के पंडरिया विकाखण्ड अंतर्गत दर्जनों शाला भवन जर्जर हो गया है।इसके बावजूद जर्जर भवन की मरम्मत व नवनिर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे है। स्कूली बच्चे जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूल भवन में पढ़ने पर मजबूर हैं। वहीं, अब पालक भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं।

ब्लाक मुख्यालय पंडरिया से 12 किलोमीटर दूर ग्राम किशुनगढ़ के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला जा भवन जर्जर हो गया है, बिजली कनेक्शन भी पूरा ढप हो गया है।पानी पीने के लिए नल कनेक्शन भी खराब हो गए है।स्कूल भवन जर्जर होने के कारण छत के प्लास्टर गिरने लगा है। स्कूल में बाउंड्रीवाल भी नहीं है। बाउंड्रीवल नहीं होने से शराबियों के द्वारा स्कूल के परिसर में शराब पीकर सीसी बोतल को फेक दिया जाता है।साथ ही आए दिन मवेशियों का डेरा रहता है। एक ओर जिले के सरकारी विद्यालयों में लगातार संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन इन संसाधनों का लाभ स्कूलों में जाने वाले नौनिहालों को नहीं मिल पा रहा। बच्चे बिना बल्ब और पंखे के पढ़ने मजबूर है। इस ओर शासन प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कतई ध्यान नहीं है। ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में लगभग ? बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए मूलभुत सुविधा उपलब्ध नहीं होने और भवन जर्जर होने के कारण बच्चों की जान पर खतरा बना हुआ है।लेकिन, शिक्षा विभाग के अफसरों पर इस ओर कोई ध्यान नहीं है।इस सरकारी स्कूल में शिक्षा के नाम पर मासूमों को मौत के मुंह में धकेलने का काम चल रहा है, लेकिन शिक्षा विभाग गहरी नींद में सोई हुई है।

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किशुनगढ़

आपको बता दे की जिस तरह से शासकीय माध्यमिक शाला किशुनगढ़ का हाल बेहाल है। उससे ज्यादा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का हाल बेहाल है।सुना या सोचा जाता है। की जितनी ऊंची शिक्षा उतनी बड़ी उपलब्धि लेकिन यहा ये देखने को मिल रहा है। यहां शिक्षक का ही कोई आने जाने का समय नहीं है। न कोई नियम है। आज विद्यालय में जाके देखा गया तो राष्टगान होने के समय में सिर्फ कुछ ही शिक्षक उपस्थित थे।हमारे चैनल के प्रतिनिधि द्वारा बताया गया और प्रिंसपल से भी बात किया गया इस विषय में तो उनके द्वारा कोई सही उत्तर नही मिला। आय दिन चार से पांच शिक्षक छुट्टी में रहते है। तो जो शिक्षक छुट्टी में रहते है। तो बच्चो का कोर्स कैसे पूरा किया जाता होता होगा। कहते है की 12 वी की परीक्षा जीवन में सफल होने का एक पहला सीढ़ी होता है। लेकिन शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय  किशुनगढ़ में पहला ही सीढ़ी खतरे में है। लेकिन, शिक्षा विभाग के अफसरों पर इस ओर कोई ध्यान नहीं है। जहां हमको शिक्षा प्रदान किया जाता है। वहा ही कोई नियम से न चले तो स्कूल के बच्चो को क्या सीखने को मिलेगा।

और विद्यालय में किसी भी कक्षा में जाओगे तो सुविचार देखने को मिलता है लेकिन यह विद्यालय में कुछ अलग ही देखने को मिला यहां तक की कहीं धोखे से अपना नाम या कोई भी टिकट टिप्पणी कक्षा के अंदर लिख देता है तो उसको मिटाया भी जा सकता है लेकिन यहां के शिक्षा यह भी देखकर नजर अंदाज कर रहे हैं। एक तरफ मैगी कुमारी तो एक तरफ देव साहू लिखा हुआ है।

विद्यालय में तो देखेंने को तो बहुत कुछ मिला लेकिन इस ओर शासन प्रशासन और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कतई ध्यान नहीं।

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