छत्रपाल ठाकुर की कलम से
,,,सन्त समाज को कलंकित कर गया कथित सन्त कालीचरण,,,
कालीचरण,,उर्फ अभिजीत धनन्जय सराय शिक्षा 8 वी तक
अपने निम्न इस्त्रीय सोच के चलते कलंकित कर गया सन्त समाज को कथित सन्त कालीचरण
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अपमान पूरे भारत का अपमान है . और जो कथित सन्त ने अभिब्यक्ति दी अभद्र तरीके से इस तरह सोच रखने वाले जितने भी ब्यक्ति हैं चाहे वो किसी भी संस्थान से हो इनको बहिस्कृत करना चाहिए और इनके ऊपर जो भी कानूनी कार्यवाही हो सके करना चाहिए भगवा,लम्बे बाल,, रुद्राक्ष, चार संस्कृत के दोहे याद करने से कोई सन्त नही हो जाता।कथित सन्त कालीचरण ने शरीर तो पहलवान का बनाया है बुद्धि से सविधान विरोधी,जुबान सड़क छाप गुंडे जैसा लगता है इस ब्यक्ति को भारत का इतिहास नही मालूम या फिर ये जो बोल रहा है इसके पीछे किसी बड़े संस्था का हाथ है जो गोडसे समर्थक है जिन्होंने कभी गांधी को समझने की कोशिश ही नही किया गोडसे हत्यारा था शर्म नही आती एसे लोगों को जो आजादी के बाद खुल कर हत्यारे के साथ खड़े है शायद ये वही लोग है जो अंग्रेजों के तलुए चाटा करते थे
धर्म संसद,,हमने धर्म सभा सुना था धर्म संसद नही कौन है इसका जनक और एसे धर्म संसद का आयोजन करता कौन है पहला एफ ई आर तो आयोजक पर होनी चाहिए ये इसलिए सही है जब कथित सन्त ने महात्मा गांधी को गाली दी और गोडसे को नमस्कार कहा तब पूरी सभा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी।तो क्या माना जाय इसे ।यही न कि कुछ को छोड़ कर सभी कालीचरण विचार धारा के थे पूरे सभा में एक ब्यक्ति रामसुंदर दास ने एक भारतीय सन्त होने का परिचय दिया और उस धर्म संसद से अपने आप को बाहर कर लिया सही किया कथित सन्त को शायद इसीलिए बुलाया गया था कि इस मंच के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को कोसना और गोडसे का महिमा मंडन करना
छत्तीसगढ़, रायपुर में धर्म सभा के नाम से अराजकता फैलाने का काम जो किया गया है इस निंदनीय कृत्य की चर्चा पूरे भारत में हो रही है तब तो भारत के यसस्वी प्रधान मंत्री भी सुन चुके होंगे क्योंकि सत्ता में आने के बाद गांधी जी के नाम का उपयोग मोदी ने जनहित की योजनाओं में बहुत किया है जैसे स्वच्छता अभियान,,शौचालय,, रोज़गार गारंटी योजना देख कर लगता है कि मोदी जी महात्मा गांधी को दिलसे प्रेरणा स्रोत मानते है और मानना भी चाहिए क्यों कि गांधी जी राष्ट्रपिता जो कहलाते हैं हालांकि मोदीजी मुख्यमंत्री,,प्रधानमंत्री इन सर्वोच्च पदों में आने से पहले जनसंघ के सम्मानित सदस्य रहे है।ये बात पूरा भारत जनता है कि जनसंघ और गांधी दोनों अलग अलग विचार धारा का नाम है।अब देखना ये है कि मोदी जी एसे सन्तो के प्रति क्या विचार रखते हैं और इन दंगाई सन्तो को क्या जवाब देते है हर एक भारतीय को इसका इंतजार रहेगा क्योंकि उस कुर्सी के पीछे दीवाल पर गांधी जी का चित्र अवश्य होगा जहां मोदी जी बैठे हैं फिर तो ये अपमान मोदी जी का भी है
चूंकि ये धर्म संसद रायपुर छ ग का है इसलिए प्रेदेश के मुख्य मंत्री भूपेश बघेल जो कि गांधीवादी पार्टी कांग्रेस से है छत्तीसगढ़ की जनता इंतजार कर रही है एसे अराजकता फयलाने वाले सन्तो को क्या सबक सिखाएंगे क्योंकि ये सीधा सीधा कांग्रेस पर प्रहार है
एसे समय में छत्तीसगढ़ के उन दो रष्ट्रीय नेता जो बीजेपी से हैं ।पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह,वर्तमान संसद राजनांदगांव सन्तोष पांडे।इस कथित सन्त के विचार से कितना इत्तफाक रखते इनका क्या विचार है इसका इंतजार रहेगा क्योंकि कुछदिन पहले कवर्धा शहर में दो समुदायों के बीच एक झंडा विवाद हुआ था जो बाद में प्रकरण में तब्दील हो गया जिसपर कुछ गिरप्तारियाँ और प्रकरण भी बने कुछ हिन्दू संगठनों ने भगवा ध्वज को हिन्दू धर्म का प्रतीक बता कर हिंदुओं के अस्मिता का सवाल खड़े कर दिया साधु संतों और भाजपा नेताओं ने खूब मेहनत की आखिर कार उनके मनसा अनुरूप काम सफल हुआ छत्तीसगढ़ शासन और प्रसासनिक अधिकारियों ने पूरा सहयोग किया।तब जाकर हिन्दू अस्मिता के प्रतीक चिन्ह भगवा ध्वज 108 फुट की इस्थापना हो गई इस सफलता में जिन लोगों की अहम भूमिका थी उसे कवर्धा वासियों ने देखा है और भूलेंगे भी नही
कर्फ्यु के वो यादगार 20 दिन जिसे हर वर्ग के लोगों ने झेला है खास कर पुलिस और जिला प्रशासन,,,इस बीच जिले के नागरिकों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा सबसे ज्यादा बुरा उन्हें लगा है जिनके इसी बीच मौत हुई और मृतक के शव यात्रा में उनके परिजन शामिल नही हो सके।जितना जरूरी शव यात्रा में शामिल होना था उतना ही जरूरी कानून का पालन करना।हालांकि छत्तीसगढ़ के कद्दावर भाजपाई नेताओं पर कोई कानून लागू नही था इस बीच रैली भी निकाली गई बीच बीच मैं नेताओं ने हिन्दू मुस्लिम पर खूब ज्ञान भी बाटे।
आज वो समय आगया है इनसे जवाब मांगने का।भगवा वस्त्र पहन कर कथित सन्त खुले मंच में भड़काऊ भाषण देता है भगवा धारण करके मुह से गालियां निकलता है तो क्या इसे हिन्दू धर्म पर खुला प्रतिघात नही माना जायेगा।अब जवाबदारी बनती है सन्त समाज और कद्दावर भाजपाई नेताओं की ।खुलकर अपना विचार प्रगट करे या फिर इसे राजनीति का एक बड़ा हिस्सा मान ले देश की जनता