दो दिवसीय प्रवास पर राजधानी पहुंचे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज , कहा – सनातन धर्म के आगे कोई टिक नहीं सकता , मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दर्शन कर लिया आशीर्वाद


रायपुर : पुरी पीठाधीश्वर गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज इन दिनों राजधानी रायपुर (raipur) प्रवास पर है। इस दौरान यहांमीडिया से चर्चा करते हुए स्वामी निश्चलानंद ने कहा किधर्मांतरण में विदेशी तंत्र की सहभागिता है. उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के आगे कोई टिक नहीं सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर किसी समस्या के कारण धर्मांतरण हो रहा है तो सामाजिक और राजनीतिक संस्थानों की ओर से उसका हल क्यों नहीं किया जा रहा.
वही स्वामी जी ने मीडिया के सवालों के जवाब में किसान आंदोलन पर कहा कि देश में किसानों के नाम से बहुत से प्रधानमंत्री आए हैं.लेकिन सत्ता में आने के बाद किसानों से किये वादे सब भूल जाते हैं,जिसके कारण किसान भी दिशाहीन हो रहे हैं. वही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरी की मौत पर शंकराचार्य ने कहा कि जो भी हुआ वह दुखद है. चाहे जिस भी कारण से हो फिलहाल जांच चल रही है. इस पर ज्यादा नहीं बोलूंगा. यही कहूंगा कि संत समाज को धर्म के ठेकेदारों से दूर रहना चाहिए।बता दे कि महाराज के प्रवास कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार से संगोष्ठी का आयोजन किया गया है वही संगोष्ठी में धर्मांतरण के विषय में स्थिति स्पष्ट करते हुए महाराज ने उपस्थित श्रद्धालु भक्त वृद्धों से धर्म राष्ट्र एवं जाति से संबंधित जिज्ञासाओं का समाधान किया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया स्वामी जी का दर्शन स्वामी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज के आगमन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार शाम राजधानी रायपुर स्थित सुदर्शन संस्था नाम में गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के दर्शन कर उनका आशीर्वाद ग्रहण किया और महाराज के उपदेशों का श्रवण भी किया।

इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रदेश में शासन तंत्र की दिशाहीन व दूरदर्शिता के कारण हिंदुओं को धर्मच्युत किया जाता है। वर्तमान में एटम बम मोबाइल तथा कम्प्यूटर युग में भी दार्शनिक व्यवहारिक एवं वैज्ञानिक धरातल पर सनातन धर्म सर्वोत्कृष्ट है। यह कटु सत्य है कि हिंदुओं के धन का उपयोग हिंदुओं के धर्मांतरण में किया जाता है ,धर्मांतरण के मूल कारणों का निवारण आवश्यक है।उन्होंने कहा कि हमारे सनातन धर्म में कुटीर व लघु उद्योग रोजगार के पारंपरिक स्त्रोत है। सनातन धर्म में किसी भी व्यक्ति को फल से वंचित नहीं रखा गया है। सनातन वर्णाश्रम व्यवस्था में शिक्षा रक्षा अर्थ और सेवा के प्रकल्प में संतुलन रहता है ,परंतु आधुनिक युग में ऐसी कोई विधा उपलब्ध नहीं है