व्यंग्य : नवा बछर के सड़क जेखर नवा नवा गोठ

आज थोड़किन घाम करे रिहिस अऊ में अपन ठीहा म बइठे रेहेंव , उसने बेखत म मोर एक झन संगवारी पत्रकार अपन कहीं ले भागत उड़त मोर ठीहा में अपन नाक ल मूंदे-मूंदे आ पहुंचिस। अपन माथा के पसीना पोछत कहिथे – अब्बढ़ हेच गरमी हवे , बसछागे जी संगी ….कहिके परनाम करिस। महुँ ह परनाम कहिके अपन तीर म संगी ल बईठा लेंव । थोड़किन बेरा म सुस्ताये के बाद पूंछेव.. कोन डाहर ले आवत हस संगी नाक ल मूंदे मूंदे तै। मोर संगवारी कहिथे का बतांव संगी। पेट बिकाली में निकले रेहेंव आज घाम उगिस त वहू म ऊपर वाले ह अपन पिछु कर दिस।
में समझेव नई संगवारी काय गोठियाथास तैं। काला गोठियांव संगी गरमी के दिन में बने नवा चमचमाती बाईपास सड़क ह बरसात के पहिलीच पानी में हमर हिरोइन के मेक-अप असन धोवागे हवे। अउ रेती, सिरमिट, डामर अउ बजरी गिट्टी मन भिंगे उड़िद दार के फोकला कस पानी म उफलगे हवे। सड़क ह चुहके आमा के फोकला कस खोचका-डबरा होगे। जी पराण देके जनता मन के सेवा करइय्या भैय्या जी किसम के मनखे मन कई बेरा शिकायत करे रिहिन। जेला महुँ ह दु चार झन सियान मन ले पूछ पाछ कर हमर नवा नेत्री मेर तुरते ए बात के शिकायत करेंव हवं। में कहेंव त बड़े साहेब कुन नई जातेस संगी। अरे गे रेहेंव दादा…. सड़क बनवइय्या बड़े साहेब अऊ मेडम मेरन जा के भी शिकायत करेंव । त फिर का होईस जी…
भईयेगे बसछाह गेह अऊ का?
हमर पत्रकार मन घलोग साहब ला पुछिन होही -’’कस मेडम! आजकल लाखों-करोड़ों रूपिया के बने पुल-पुलिया अउ चमचमावत सड़क मन बरसात के पहिलीच पानी में चाउर असन धोआ जावत हे। ये बड़ अचंभा के बात आय भई। अभी घला तइहा जुग के बने कतकोन पुल-पुलिया अउ भवन मन वइसने के वइसनेच हावे। फेर नवा मन कइसे निचट सिगसिगहा बानी होवत हे? थोड़को पानी-बरसात ला नइ सहे मेडम। आज बनत हे अउ काली पानी गिरिस तहन ओखर चिन्हा कालीच सिरा जावत है, ये काय बात आंय?

मेडम के बाजु च म बइठे साहब ह पहली अपन पेट में हाथ ला फेरिस अउ डकार लेवत किहिस-’’येमें अचंभा के काय बात हे यार! सियान मन कहिथे ‘तइहा के बात ला बइहा’ लेगे। पहिली के सड़क ह जुन्ना तरिका म बने हवे अब के मन बिल्कुल नवा टेक्निक ले बनात हे। बेरा के संगे-संग टेक्निक ह तो बदलबे करही न यार। हमन तो ‘सियाराम मय सब जग जानि’ के सिद्धान्त ला अपना के सबके कल्याण करत हन। देखत नइ हव सड़क में आज कल कतेक मनखे मन के कल्याण होवत हे। अरे भई! जब तरिया डबरी मन पटावत हे तब मेंचका-मछरी के रहे-बसे बर जगा लागही कि नइ लागही। जउन ला तुमन खोचका-डबरा समझत हव तउन सब मेचका-मछरी आवास योजना के अन्तर्गत इखर बर बनाय आवास आय, समझगेव?

दूसर बात ये आय कि आजकल मनखे मन गजब सुविधाभोगी होगे हावे। मिहनत के काम जादा नइ करे तेखर सेती किसम-किसम के बीमारी ओमन ला घेरे रहिथे। शरीर ह निचट कमजोर होवत जावत हे। खेल मैदान अउ चरागन में मनखे मन अवैध कब्जा करके बइठे हे। तिही पाय के हमन सोचे हन मनखे जब उबड़-खाबड़ सड़क में चलही तब उखर अच्छा व्यायाम होही। जिनगी के ऊँच-नीच रद्दा में रेंगे के बने अभ्यास होही। हमन जउन नवा तकनीकि ले सड़क बनावत हन ओमें कई किसम के फायदा हे। पहली बात तो ये हे कि हम जनसंख्या नियंत्रण अउ अंधत्व निवारण बर स्वास्य् विभाग ला अपन भरपूर सहयोग देवत हन। जउन मनखे हमर बनाय सड़क में बने सोझबाय रेंगत हे मतलब समझ जाओ कि ओखर दुनो हेडलाइट ठीक हे अउ जउन सड़क के खोचका-डबरा में झपाके गिरत-हपटत हे मने उखर आँखी के फ्यूज होय के डर हे। ओला बिना जाँच-पड़ताल के सोझे आॅपरेशन थियेटर में ओइलाय के जरूरत हे, समझेव? तीसर बात ये हे कि आजकाल अन्तर्राश्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में हमर खिलाड़ी मन अपन खेल के बने प्रदर्शन नइ कर पावत हे, येखर कारण ला जानथव, नहीं ना? येखर कारण खेल मैदान के कमी होना आय।
हमर यहाँ तो खेल के मैदान के सती गति कर दे हव। अरे बीच म झन बोल ! पहली मोर बात ल सुन ले….. मोला पक्का विश्वास हे हमर खिलाड़ी मन हमर नवा टेक्निक ले बने सड़क में जब कूदत-फांदत रेंगही तब उखर अच्छा प्रेक्टिस होही अउ ओमन कहीं नहीं ते लंबी कूद अउ ऊँची कूद में सफल होके हमर नगर बर जरूर मेडल जीत के लानही। चौथा फायदा ये हे कि सड़क के गड्ढा में पानी भरे रही तब जल संरक्षण घला होही। पानी भरे सड़क में चलइय्या मोटर-गाड़ी मन अपने-आप धोवाही तब उखर मालिक मन के पइसा बाँचही। सड़क के दचका में कोन्हो मोटर-गाड़ी मन साबूत बाँचगे तब समझ लेव कि गाड़ी बहुत मजबूत हे, मतलब येखर ले गाड़ी-मोटर के मजबूती के जाँच घला होही अउ—

साहब के गोठ ला सुनके सुनइय्या पत्रकार मन ला तीन डिग्री के बुखार धर लिस, ओमन मुड़ धरके बइठगे। एक झन किहिस-’’भइगे ददा! हमन समझगेन, आपमन अइसन सड़क के माध्यम ले गजब अकन कल्याणकारी योजना चलावत हव। हमी मन मूरख हन ददा जउन आपमन के योजना ला आज ले नइ समझे रेहेन। अब समझगेन, अउ जादा झन समझा। जादा समझे में तो हमर इहींचे कल्याण होय के डर हे। हमन जावत हन ददा।’’

साहब अउ मेडम ह हव कहिके अपन मुड़ी ला डोला के पेट में हाथ फेरिस, वतकेच बेरा ओला डकार आगे। कुरिया भर डामर अउ सीमेंन्ट, मुरुम , गिट्टी के बदबू भरगे। उहाँ रिहिन तउन मन तुरते उहाँ ले भागिन। उहां ले तुरते तोर तिरन आवत हों। अब तिहिं बता सीनियर ए सड़क बर काय उपाय करे जाय।
अच्छा अइसन बात हवे संगी। त ओखर कल्याणकारी योजना के लाभ ल तहूँ ले अउ वहू ल देवा थोड़कुन।

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