Chhattisgarhखास-खबर

पंचायतों में सूचना के अधिकार का बनाया जा रहा मजाक

फर्जीवाड़े को छुपाने मिल रहा अधिकारियों का संरक्षण

भानुप्रतापपुर। विकासखण्ड अंतर्गत स्थित ग्राम पंचायतों में खुलेआम भर्राशाही जारी है। यहाँ बिना कार्य किये ही मनमाने फर्जी बिल लगाकर पैसे निकलवा लिए जाते हैं। इसकी जानकारी मांगने पर जानकारी भी नहीं दी जाती है। सूचना के अधिकार का भी यहाँ मजाक बना दिया गया है। नियमतः 30 दिनों के भीतर आवेदक को जानकारी प्रेषित करनी है, पर पंचायतों में आवेदन देने के कई महीनों बाद भी आवेदक को जवाब नहीं मिलता। यहाँ तक की उच्च अधिकारियों को अपील करने के बाद भी पंचायत द्वारा जानकारी नहीं दी जाती। इससे यह तो साफ है कि पंचायतो में हो रहे फर्जी कार्यों को छुपाया जा रहा है और उन्हें उच्च अधिकारियों का संरक्षण भी मिल रहा है। पर उसके साथ ही सूचना के अधिकार क़ानून का भी इनमें कोई भय नहीं रह गया है जिसके चलते दिनों दिन पंचायत के फर्जी कार्यों में बढ़ोत्तरी होने लगी हैं। ज्ञात हो कि सन 2005 में सूचना का अधिकार कानून लागू किया गया ताकि शासकीय कार्यों में पारदर्शिता लाइ जा सके। लेकिन भानुप्रतापपुर ब्लाक में इस कानून का अब कोई औचित्य नहीं रह गया है। अधिकारी कर्मचारीयों में इस कानून का कोई भय नहीं है जिसके चलते खुलेआम शासकीय राशि की बंदरबांट की जा रही है। आवेदक को महीनों तक जानकारी के लिए घुमाया जाता है, अपील करने के बाद भी जब कोई सुनवाई नहीं होती तो आवेदक थक कर इसे ऐसे ही छोड़ देते हैं। ब्लाक के पंचायतों में हो रहे फर्जीवाड़े को उजागर करने आरटीआई कार्यकर्ता देवव्रत टांडिया ने ग्राम पंचायत परवी में सूचना के अधिकार के तहत विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत राशि खर्च के सम्बंध में जानकारी पाने हेतु आवेदन किया था। किंतु जन सूचना अधिकारी सचिव ने समय पर जानकारी नहीं दी। वहीं जानकारी देने के एवज में प्रति पेज फोटोकॉपी हेतु 5 रुपये की दर से राशि की मांगी की जो कि नियम विरुद्ध है। शासन द्वारा 2 रुपये प्रति पेज की दर निर्धारित की गई है, पर सचिव द्वारा अधिक राशि की मांग करने से ऐसा लगता है कि या तो उन्हें सूचना के अधिकार नियम की जानकारी नहीं है या फिर वे जानकारी देना ही नहीं चाहते। इसी प्रकार आरटीआई कार्यकर्ता यशवंत चक्रधारी ने भी ग्राम पंचायत चीचगांव व डोंगरगांव में सूचना के अधिकार आवेदन के तहत जानकारी मांगी थी, पर आवेदन के 30 दिवस बीत जाने के बाद भी जानकारी नहीं दी गयी। समय सीमा खत्म होने के पश्चात प्रथम अपील की गई उसके बावजूद पंचायतो द्वारा जानकारी नहीं दी जा रही है। वहीं ग्राम पंचायत बाँसला में आवेदन के 30 दिन बीत जाने के बाद भी न कोई जवाब आया न ही जानकारी दी गयी। इन बातों से तो साफ है कि ग्राम पंचायतों में अधिकारियों के संरक्षण से भारी मात्रा में फर्जीवाड़े हुए हैं जिनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है। अब देखना यह है कि आगे अपील करने के बाद इस सम्बंध में उच्च अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page