रक्से में हुई गुरुजी बीरसिंह देव जी के ब्यक्तित्व एवं कृतित्व पर काव्य संगोष्ठी


रक्से में हुई गुरुजी बीरसिंह देव जी के ब्यक्तित्व एवं कृतित्व पर काव्य संगोष्ठी

27 अगस्त रविवार को ग्राम रक्से में गुरुजी बीरसिंह देव के व्यक्तित्व और कृतित्व को लेकर भब्य काब्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया | बीरेश्वर आश्रम रक्से कवर्धा के अध्यक्ष घासी राम निषाद, उपाध्यक्ष मोहन साहू, सचिव घनश्याम साहू ने कार्यक्रम में पधारे सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया |कार्यक्रम में गुरुजी के कृपा पात्र शिष्यों की विशेष उपस्थिति रही, जिसमे सालिक राम मरकाम, प्रहलाद निषाद, घुरऊ राम साहू कन्हैया लाल गंधर्व,भागवत राम साहू की विशेष उपस्थिति रही |मुख्य अतिथी एवं वक्ता डाँ. पीसी लाल यादव ने गुरुजी के ब्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बीर सिंह देवांगन एक कुशल साहित्यकार थे उसकी रचना हमें आज भी प्रेरित करती है |उनके साहित्य में कबीर का भी दर्शन है तो तुलसी का भी दर्शन है |मीरा का भी दर्शन है तो रैदास का भी दर्शन है |उनमे ज्ञान कूट-कूट कर भरा था |उनकी कथा में अध्यात्म के दर्शन होते थे |उस समय उसकी कथा प्रवचन के सामने बड़े-बड़े विद्वान आश्चर्यचकित हो जाते थे |कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कमलेश प्रसाद शर्माबाबू ने कहा कि वे प्रथम बार किसी साहित्यकार की छत्तीसगढ़ी भाषा में रचना पढ़ी थी तीस साल पहले तो वे गुरुजी बीरसिंह देव कि मुक्त मंदाकिनी थी |गुरुजी के कृतित्व को पूरे छत्तीसगढ़ में फैलाने के लिए एक विशेष पहल करने की बात कही |कार्यक्रम में भोरमदेव साहित्य सृजन मंच के अध्यक्ष मिनेश कुमार साहू ने गुरुजी के साहित्य को राजभाषा आयोग के संज्ञान में लाते हुए विशेष पहल करने की बात कहते हुए अपनी प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीत आमा मउँर के माध्यम से शमा बाँधा l सुखदेव सिंह अहिलेश्वर ने चन्द्र यान तीन की सफलता पर कविता पढ़कर भाव विभोर किया वही राम कुमार साहू बाती बनके जरही कोन की ?अनुपम प्रस्तुति दी, घनश्याम अलकरहा ने छत्तीसगढ़ महतारी पर अपनी एक सुंदर कविता समर्पित किया, साथ ही मुकेश साहू, देवचरण धूरी, आनंद मरकाम, खिलेश साहू ने कार्यक्रम में चार चांद लगाया |पिन्टू पटेल ने स्वामी जी का प्रिय भजन कोइला ल चुपर ले तो गुरुजी जी की डोंगा रेंगाले धीरे-धीरे को सुनाकर प्रहलाद निषाद ने कार्यक्रम में खुशबू बिखेरी | स्वामी बीरसिंह देव जी के अनुयायी जन छत्तीसगढ़ी, हिन्दी व उर्दू रचनाओं का सस्वर पाठ किए।
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए कुंज बिहारी साहू ने शुरु से अंत तक काव्य संगोष्ठी को एक नये आयाम तक पहुँचाया |
कार्यक्रम की सफलता के लिए गुरुजी रामदत्त साहू ने सबका आभार प्रदर्शित किया |